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Wednesday, April 14, 2021

सूरुज सम सुखदाता संविधान निर्माता"-सुखदेव अहिलेश्वर


 

"सूरुज सम सुखदाता संविधान निर्माता"-सुखदेव अहिलेश्वर


लोकतंत्र पाये तैं पाये पद ला भाग्य विधाता के।

संगवारी सुध सुरता करले, संविधान निर्माता के।


चौदह अप्रेल अठ्ठारह सौ इन्क्यानवे ईसवी सन।

भीमराव के जनम भइस ॲंधियारी रात पहाती कन।


विश्वरतन के पिता रामजी सुबेदार सकपाल कहॅंय।

बाबा साहब ला माता भीमाबाई के लाल कहॅंय।


बचपन ले संघर्ष डगर के, पथरीला रस्ता रेंगिस।

संविधान के बॉंध बना के, सुख के जलधारा छेंकिस।


मध्यप्रदेश महू के माटी, गुण गाथे जे नाता के।

संगवारी सुध सुरता करले, संविधान निर्माता के।


भाग्य-वाद ला भेद बताइस, महिमा भागीदारी के।

चिन्ह्वाइस चलके देखाइस, चौखट करम दुवारी के।


शिक्षा समानता समता सुख के घर काला कहिथे जी।

पुरुषारथ के परदरशन बर अवसर काला कहिथे जी।


भारत के बढ़वार बड़ाई अउर भलाई कइसे हे।

ऑंखी ला अलखाइस देखाइस के देखव दइसे हे।


थके घमाये शोषित मनके, छानी छइहॉं छाता के।

संगवारी सुध सुरता करले, संविधान निर्माता के।


दफ्तर के दरवाजा-फइका, खुलगे अक्कल अलमारी।

खुर्शी मा बइठे खुश हावयॅं, सबन जाति के नर नारी।


सिपचाये ले अब नइ सिपचय, जात-धरम के चिंगारी।

भारत माता के लइकन मा, देखे लाइक हे यारी।


पछुआ परजा जनतन्तर मा, जनता जनार्दन होगे।

भले अपन अदरा आदत चलते लाचार असन होगे।


शासन सत्ता सुलभ करइया, सूरुज सम सुखदाता के।

संगवारी सुध सुरता करले, संविधान निर्माता के।


रचना-सुखदेव सिंह''अहिलेश्वर''

गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़


3 comments:

  1. बेहतरीन सृजन जय भीम

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर 🙏

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  2. बहुत सुन्दर जय भीम

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