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Saturday, March 4, 2023

खुदकुशी - तातंक छंद*

 *खुदकुशी - तातंक छंद*


बढ़त हवै खुदकुशी करे के, घटना नवा जमाना मा।

प्राण तियागे दुख हे कहिके, ता कतको झन ताना मा।।


कोनो कूदे छत मिनार ले, कोनो मोटर गाड़ी मा।

फाँसी मा कतको झन झूलें, जले कई झन हाँड़ी मा।।

नस नाड़ी ला कोनो काटे, कोनो मरगे हाँ ना मा।।

बढ़त हवै खुदकुशी करे के, घटना नवा जमाना मा।


एक अकेल्ला कोनो मरगे, कतको झन माई पिल्ला।

चिहुर मातगे घर अउ बन मा, दुख मा अउ आँटा गिल्ला।

धीर गँवा के बड़े मरत हें, छोटे मन बचकाना मा।

बढ़त हवै खुदकुशी करे के, घटना नवा जमाना मा।


दुख हा परखे मनखे मन ला, सरल हवै सुख मा जीना।

जियत मरत दूनों मा दुख हे, ता काबर महुरा पीना।

बिना मगज के जीव जानवर, जीथें पानी दाना मा।

बढ़त हवै खुदकुशी करे के, घटना नवा जमाना मा।


अजर अमर नइहे ये तन हा, सब ला इकदिन जाना हे।

हे हजार अलहन मारे बर, जीये बर दू खाना हे।।

जउन मोल तन के नइ जानें, वोमन फँसयँ फँसाना मा।

बढ़त हवै खुदकुशी करे के, घटना नवा जमाना मा।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा (छग)

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