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Saturday, March 4, 2023

गीत(रंग के तिहार मा- सार छंद)

 गीत(रंग के तिहार मा- सार छंद)


चलव सँगी रँग के तिहार मा, सब दिन बर रँग जाबों।

दया मया सत सुम्मत घोरे, तन मन दुनों रँगाबों।।


नीर नदी नरवा तरिया के, रहै सबे दिन सादा।

झन मइलाय अँटाये कभ्भू, सबें करिन मिल वादा।।

रचे रहै धरती हरियर मा, बन अउ बाग बचाबों।।

चलव सँगी रँग के तिहार मा, सब दिन बर रँग जाबों।


बने रहे सूरज के लाली, नीला नभ मन भाये।

चंदन लागे पिंवरा धुर्रा, महर महर ममहाये।।

प्लासामा सेम्हर कस फुलके, सबके जिया लुभाबों।

चलव सँगी रँग के तिहार मा, सब दिन बर रँग जाबों।


जे रँग जे हे अधिकारी, वो रँग वोला देबों।

भेद करन नइ जड़ चेतन मा, सबके सुध मिल लेबों।।

दुःख द्वेष डर लत लालच ला, होरी बार जलाबों।

चलव सँगी रँग के तिहार मा, सब दिन बर रँग जाबों।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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