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Saturday, July 19, 2025

हमर राज के दर्शनीय स्थान

 



*हमर राज के दर्शनीय स्थान- मनहरण घनाक्षरी छंद मा*


देखे के लाइक हवै, जघा कतको जी इहॉं,

जाय बर उॅंहा कोनो, झन सकुचाव जी।

कोनो ए धरम धाम, झरना गुफा हे बड़े,

ध्यान प्रभु मा लगाव, मन बहलाव जी।।

भरे हे खजाना इहॉं, खूबसूरती के बने,

देख देख घेरी बेरी, उही मा मोहाव जी।

धान के कटोरा वाले, राज ए छत्तीसगढ़,

महिमा एकर चारों, मुड़ा बगराव जी।।


डोंगरी म हवै माता, बमलाई कथें जेला,

टेशन डोंगरगढ़, उतर के जाव जी।

बगुलामुखी कहाथे, देवी बमलाई घलो,

दरसन  पा के मूड़, अपन नवाव जी।।

श्रद्धा बिसवास धरे, दूनों हाथ जोड़ खड़े,

दुख फरिया के बने, माई ला बताव जी।

दम धरौ कुछ दिन,करहीं जी माता कृपा ,

छुटकारा दुख ले तो, पक्का तुम पाव जी।।


झरना ए चित्रकोट, संग मा तीरथगढ़,

इहॉं के नियाग्रा कथें, देखौ बरसात मा।

जघा जगदलपुर, रोड हे सनान तभो,

लग जथे सात घंटा, दुरुग ले आत मा।।

जतमई घटारानी, झरना ए भले छोटे,

सावन मा आथे जिहॉं, मजा तो नहात मा।

देखे के लाइक जघा, अऊ हे बहुत भाई,

अतके लिखाइस हे, अभी आधा रात मा।।


सूर्यकांत गुप्ता, जुनवानी, भिलाई (छत्तीसगढ़)


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मनभावन कोरबा-रूपमाला छंद


कोइला हा कोरबा के आय करिया सोन।

नीर हा हसदेव के जिनगी हरे सिरतोन।।

हे कटाकट बन बगीचा जानवर अउ जीव।

अर्थबेवस्था हमर छत्तीसगढ़ के नीव।।


माँ भवानी सर्वमँगला के हरे वरदान।

कोसगाई मातु मड़वा देय धन अउ धान।।

टारथे चैतुरगढ़िन दुख आपदा डर रोग।

एल्युमिनियम संग बिजली के बड़े उद्योग।।


बाँध बांगो हा बँधाये हे गजब के ऊँच।

बेंदरा भलवा कहे पथ छोड़ दुरिहा घूँच।।

साँप हाथी संग मा औषधि हवे भरमार।

मन लुभाये ऊँच झरना अउ नदी के धार।।


वास वनवासी करें संस्कृति अपन पोटार।

हाथ मा धरके धनुष खोजे बहेड़ा चार।।

मीठ बोली कोरवा गूँजय गली बन खोर।

आय बेपारी घलो सुन कोरबा के शोर।।


आय मनखे कोरबा मा सुन  इहाँ के नाम।

देख के बन बाग झरना पाय सुख आराम।।

कारखाना झाड़ झरना कोइला के खान।

देश दुनिया मा चले बड़ कोरबा के नाम।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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