सार नाम के बाँधे गठरी,
तेने लखही भाई !
अाने ताने भज के मैना,
कोड़ै खुद बर खाई !!
अंत्ते तंत्ते देखत नैना,
लाहो लेथच काहे !
सत्तनाम रे ! अंत्तस साखी,
लबरा होगय काहे !!
साध-साध में कोनो जाही,
रस्ता संकट छाये !
साधे साधक तब तो पाही,
नइते रोवत आये !!
रूप रंग के नोहय रस्ता,
माया कपटी होथे !
कंचन काया साधक तोरे,
साधे जस ला धोथे !!
जपव नाम रे निरगुन मनवा,
ओही पार लगाही !
जगत भगत तो राखे साँई,
सतगुरु आज लखाही !!
रचनाकार - श्री अतनु जोगी
छत्तीसगढ़
तेने लखही भाई !
अाने ताने भज के मैना,
कोड़ै खुद बर खाई !!
अंत्ते तंत्ते देखत नैना,
लाहो लेथच काहे !
सत्तनाम रे ! अंत्तस साखी,
लबरा होगय काहे !!
साध-साध में कोनो जाही,
रस्ता संकट छाये !
साधे साधक तब तो पाही,
नइते रोवत आये !!
रूप रंग के नोहय रस्ता,
माया कपटी होथे !
कंचन काया साधक तोरे,
साधे जस ला धोथे !!
जपव नाम रे निरगुन मनवा,
ओही पार लगाही !
जगत भगत तो राखे साँई,
सतगुरु आज लखाही !!
रचनाकार - श्री अतनु जोगी
छत्तीसगढ़
सुग्घर सार छंद अतनु भाई
ReplyDeleteबहुँत बहुँत धन्यवाद भईया जी
Deleteबहुत सुग्घर सार छंद ,अतनु भैया।बधाई अउ शुभकामना।
ReplyDeleteबहुँत बहुँत धन्यवाद भईया जी
Deleteबढ़िया
ReplyDeleteबढ़िया
ReplyDeleteबहुँत बहुँत धन्यवाद भईया जी
Deleteबहुतेच सुग्घर सार छंद बर अतनु जी ला हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबहुँत बहुँत धन्यवाद भईया जी
Deleteबहुत बढ़िया है अतनुभाई सार छंद सृजन
ReplyDeleteबहुँत बहुँत धन्यवाद दीदी जी
Deleteछत्तीसगढिया सबले - बढ़िया, नोनी के मरना ए
ReplyDeleteसज्जनता हर कमजोरी ए, शकुन देख गहना ए।
आपमन के आसिस अउ मया अइसने मिलत रहै आदरणीय दीदी जी
Deleteवाह्ह् शानदार सार छंद हे आसकरण जी।
ReplyDeleteबहुँत बहुँत धन्यवाद भईया जी
Deleteशानदार सार छंद मा रचना लिखे हव सर।सादर बधाई
ReplyDeleteशानदार सार छंद मा रचना लिखे हव सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुँत बहुँत धन्यवाद भईया जी
Deleteबहुँत बहुँत धन्यवाद भईया जी
Deleteआदरणीय पूज्य गुरुदेव निगम जी ल बहुँत बहुँत धन्यवाद 🙏
ReplyDeleteआदरणीय पूज्य गुरुदेव निगम जी ल बहुँत बहुँत धन्यवाद 🙏
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर सार छंद सिरजाये हवव अतनु भाई।। बधाई।।
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