छेरछेरा परब विशेष-छंदबद्ध कविता
छेरछेरा
------------
(चंद्रमणि छंद)
अरन बरन कोदो झरन, देबे तभ्भे हम टरन।
लइका मन सब आय हें, छेर छेर चिल्लाय हें।
आज छेरछेरा हवय,पावन पुन बेरा हवय।
सुग्घर आय तिहार ये, देथे जी संस्कार ये।
एकर जी इतिहास हे, फुलकैना के खास हे।
राजा चलन चलाय हे, जमींदार वो साय हे।
माँगे मा का लाज हे, परंपरा के काज हे।
सूपा मा भर धान ला,करथे धर्मिन दान ला।
दान करे धन बाढ़थे,मन के पीरा माढ़थे।
बरसा होथे प्यार के, आसिस अऊ दुलार के।
ढोलक माँदर ला बजा,माँगत आथे बड़ मजा।
डंडा नाचत झूम के, गाँव ल पूरा घूम के।
धन्य हवय छत्तीसगढ़, जेकर सुंदर कीर्ति चढ़।
भाँचा रघुपति राम हे, दया धरम के धाम हे।
चोवा राम वर्मा 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
*सरसी छंद*
*छेरछेरा तिहार*
कहत छेरछेरा माँगत हें, लइका सबो सियान।
पारा बस्ती अउ घर-घर मा, देवत हावँय दान।।
डंडा नाचत गावत हें गा, गली खोर अउ द्वार।
झाँझ मंजिरा सबो बजावत, मानत हवें तिहार।।
दीदी बहिनी सुवा गीत के, छेड़त हावँय तान।
पारा बस्ती अउ घर-घर मा, देवत हावँय दान।।
सबो मनावत हावँय सुघ्घर, मिलके बने तिहार।
सबके मन मा अब्बड़ छाये, हावय खुशी अपार।।
दया मया के गुरतुर बोली, बने मिलत हे मान।
पारा बस्ती अउ घर-घर मा, देवत हावँय दान।।
*अनुज छत्तीसगढ़िया*
*पाली जिला कोरबा*
💐💐💐💐💐💐💐💐8💐💐💐💐
*महा परब छेरछेरा---दोहा छंद*
छेरिक छेरा सब कहत, गली-गली अउ खोर ।
नाचत कूदत जात हें, करत हवयँ जी शोर ।।
लइका मन झोला धरे, माँगत घर-घर जात ।
महा परब हे दान के, खोंची खोंची पात ।।
अरन-बरन कोदो दरन, कहिके हाँक लगात ।
रोटी- पीठा हे बने, मुसुर-मुसुर सब खात ।।
नाचँय डंडा अउ सुवा, ढोलक माँदर साज ।
छेरिक छेरा बोल के, माँगे मा का लाज ।।
पूस माह के हे परब, करव अन्न के दान ।
मुठा- मुठा देवव सबो, होही गा कल्यान ।।
*मुकेश उइके "मयारू"*
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
मनहरन घनाक्षरी(छेरछेरा)
छेरछेरा छेरछेरा, हेरहेरा हेरहेरा, पारा पारा गली गली, भारी चिचियात हें।
माँगत हें अन्न दान, मिल लइका सियान, खेवन- खेवन देखौ, खंझा खंझा आत हें।
दोरदिर-दोरदिर, कोरकिर-कोरकिर, रेंगत हें एती ओती, भारी उम्हियात हें।
माँ शाकम्भरी बार मा, अन्न दान तिहार मा, मया प्रेम भाईचारा, मिल बगरात हें।
आप सब ला अन्नदान के बड़का परब छेरछेरा के गाड़ा -गाड़ा-गाड़ा बधाई।
- मनीराम साहू 'मितान'
💐💐💐💐💐8💐💐💐💐💐💐💐
छेरछेरा
छेरिक छेरा हे परब,अन्न दान के मान।
अपन कमाये धान ले,कोठी भरय किसान।
कोठी भरय किसान,छेरछेरा पुन्नी मानय।
छोट बड़े के भेद,बंधना ला नइ जानय।
सुनो मधुर के गोठ,लोक किंवदंती डेरा।
साक दान जगदंब, परब बड छेरिकछेरा।।
(2)
दानव रूरू नाव के,बढ़गे अइताचार।
देवी डंडा नाचथे,करिन उखर संहार।
करिन उखर संहार,नाच के डंडा साँचा।
तबले हे शुरुवात,छेरछेरा मा नाचा।
शिव परीक्षा लीन,बिहा गौरी तब जानव।
बिकट मधुर संवाद,मानथे देवी दानव।।
डाॅ मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ़
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
*छेरछेरा आगे - लावणी छंद*
पूस माह के पुन्नी आगे,
छेरिक छेरा आगे ना।
सुनलव मोरे भाई बहिनी,
धरम करम सब जागे ना।
पूस माह के पुन्नी आगे........
होत बिहनिया देखौ लइका,
बर चौरा सकलावत हे।
कनिहा बाँधे बड़े घाँघरा,
नाचत अउ मटकावत हे।।
देवव दाई-ददा धान ला,
कोठी सबो भरागे ना।
पूस माह के पुन्नी आगे........
मुठा मुठा सब धान सकेलय,
टुकनी हा भर छलकत हे।
छत्तीसगढ़ी रीति नियम ये,
मन हा सुग्घर कुलकत हे।।
छेरिक छेरा परब हमर हे,
भाग घलो लहरागे ना।
पूस माह के पुन्नी आगे........
देखव संगी चारों कोती,
बने घाँघरा बाजत हे।
बोरा चरिहा टुकना बोहे,
बहुते लइका नाचत हे।।
छेरिक छेरा नाच दुवारी,
खोंची खोंची माँगे ना।
पूस माह के पुन्नी आगे.........
छंदकार:-
बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
-घनाक्षरी
कहिके छेरिक छेरा, मनखे करय फेरा,
बाजा गाजा ल बजात, लइका सियान हे।
पूस पुन्नी छेरछेरा, दान पुन्न के जी बेरा,
देवय आशीष अउ, झोली मा ले धान हे।।
दानी पावै गा सम्मान, गावै सब गुनगान,
माई कोठी के धान, बाँटत किसान हे।
मानै सुग्घर तिहार, हँसी खुशी परिवार,
करम धरम मा तो, डूबय इंसान हे।।
विजेंद्र वर्मा
नगरगाँव (धरसीवाँ)
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
: दोहा छंद
छेरिक छेरा माँग के,पाये सब झन दान।
बाजा धर के आय हे,लइका अऊ सियान।।
मुठ्ठी मुठ्ठी दान ले,झोला हा बर जाय।
होय मगन लइका सबो,नाचत गावत आय।।
आय साल भर बाद में,छेरीकछेरा तिहार।
बरा सुहाँरी राँध के,मगन सबो परिवार।।
धान दान देथें सबो,सूपा में भर लान।
दान दिवस येला कथे,पाथे सब सम्मान।।
बाजा बाजे द्वार में,गाथें सुग्घर गीत।
बन के राधा अउ किसन,लागे सबके मीत।।
राम राम जपते रथें,गाथें सीता राम।
दान धरम कर लो कथें, बनही बिगड़े काम।।
केवरा यदु"मीरा"राजिम
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
छेरछेरा(सार छंद)
कूद कूद के कुहकी पारे,नाचे झूमे गाये।
चारो कोती छेरिक छेरा,सुघ्घर गीत सुनाये।
पाख अँजोरी पूस महीना,आवय छेरिक छेरा।
दान पुन्न के खातिर अड़बड़,पबरित हे ये बेरा।
कइसे चालू होइस तेखर,किस्सा एक सुनावौं।
हमर राज के ये तिहार के,रहि रहि गुण ला गावौं।
युद्धनीति अउ राजनीति बर, जहाँगीर के द्वारे।
राजा जी कल्याण साय हा, कोशल छोड़ पधारे।
आठ साल बिन राजा के जी,काटे दिन फुलकैना।
हैहय वंशी शूर वीर के ,रद्दा जोहय नैना।
सबो चीज मा हो पारंगत,लहुटे जब राजा हा।
कोसल पुर मा उत्सव होवय,बाजे बड़ बाजा हा।
राजा अउ रानी फुलकैना,अब्बड़ खुशी मनाये।
राज रतनपुर हा मनखे मा,मेला असन भराये।
सोना चाँदी रुपिया पइसा,बाँटे रानी राजा।
रहे पूस पुन्नी के बेरा,खुले रहे दरवाजा।
कोनो पाये रुपिया पइसा,कोनो सोना चाँदी।
राजा के घर खावन लागे,सब मनखे मन माँदी।
राजा रानी करिन घोषणा,दान इही दिन करबों।
पूस महीना के ये बेरा, सबके झोली भरबों।
ते दिन ले ये परब चलत हे, दान दक्षिणा होवै।
ऊँच नीच के भेद भुलाके,मया पिरित सब बोवै।
राज पाठ हा बदलत गिस नित,तभो होय ये जोरा।
कोसलपुर माटी कहलाये, दुलरू धान कटोरा।
मिँजई कुटई होय धान के,कोठी हर भर जावै।
अन्न देव के घर आये ले, सबके मन हरसावै।
अन्न दान तब करे सबोझन,आवय जब ये बेरा।
गूँजे सब्बे गली खोर मा,सुघ्घर छेरिक छेरा।
वेद पुराण ह घलो बताथे,इही समय शिव भोला।
पारवती कर भिक्षा माँगिस,अपन बदल के चोला।
ते दिन ले मनखे मन सजधज,नट बन भिक्षा माँगे।
ऊँच नीच के भेद मिटाके ,मया पिरित ला टाँगे।
टुकनी बोहे नोनी घूमय,बाबू मन धर झोला।
देय लेय मा ये दिन सबके,पबरित होवय चोला।
करे सुवा अउ डंडा नाचा, घेरा गोल बनाये।
झाँझ मँजीरा ढोलक बाजे,ठक ठक डंडा भाये।
दान धरम ये दिन मा करलौ,जघा सरग मा पा लौ।
हरे बछर भरके तिहार ये,छेरिक छेरा गा लौ।
जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐
बहुत सुंदर संग्रह संपादित करेहव गुरुदेव
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद
श्री बादल गुरुदेव के चंद्रमणि छंद है नवा लगत हे। फेर बढ़िया से। विधान का हे?
बहुत सुग्घर संकलन गुरुदेव
ReplyDelete