Followers

Sunday, January 1, 2023

अंग्रेजी नवा बछर 2023 विशेष छंदबद्ध कविता


 

डी पी लहरे: सार छन्द गीत

नवा बछर के गाड़ा-गाड़ा,झोंकव मोर बधाई।

मंगलमय जिनगी हा राहय,जीयत भर सुखदाई।।


दुख के बादर दुरिहा राहय,सुख के होवय बरसा।

तन मन मा हरियाली राहय,जइसे उलहा परसा।।

हँसी-खुशी मा बीतय जिनगी,पावव मया मिठाई।

नवा बछर के गाड़ा-गाड़ा,झोंकव मोर बधाई।।


जबतक जिनगी हावय संगी,कसके मजा उड़ालौ।

झूमव नाँचव मया बाँट के,अंतस ला हर्षालौ।।

सत के रद्दा चलव हमेशा,खाहू दूध- मलाई।

नवा बछर के गाड़ा-गाड़ा,झोंकव मोर बधाई।।


डी.पी.लहरे"मौज"

कवर्धा छत्तीसगढ़

💐💐💐💐💐💐💐


: *नही नही कहिके सबझन जनवरी म नवा साल मनाथे*


नहीं नही कहिके सब, नावा साल मनाथें।

हाँसत कूदत सबझन, नाचत नाचत गाथें।


डीजे डिस्को जगमग, आनी बानी जाथे।

दारू ठर्रा मन मउहा, सबझन झड़काथे।


कलचुप कलचुप घरमा ,कुकरी मुर्गा खाथे।

रंग रंग के केक काटथे, पिकनिक सबो मनाथे।


चैत मानथे कहिथे, कतको कतुक बताथे।

छोड़ सकै नइ येला, नया कलेंडर लाथें।


झूठ झूठ कहिथे सब, नइ मानन येला।

हैप्पी न्यू ईयर कहिथे,जेला पाथे तेला।


गुरतुर गोठ मया के,एके दिन बतियाथे।

नवा साल हे कहिके, मया सबो ल जताथे।।


बिनहा उठके साधू, बनके सिधवा लागै।

गुजरय असने साल ह, सोचत सोचत जागै।


साफ सफाई करथे, घर घर दिया जलाथे।

दूसर दिन ले ढर्रा,उसने फुन रंग दिखाथे।


रतिहा जगमग जगमग, लागै जस दीवाली।

होटल डिस्को जाके, करथे पइसा खाली।


साल नवा मा सुनलौ, मन मा दिया जलावौ।

अंतस के बाती बारौ, मनखे ला मनखे भावौ।


मया पिरित ला समझौ,जग के अँधियार मिटावौ।

नावा साल चैत क महिना, राम सिया ला माथ नवावौ।।


धनेश्वरी सोनी गुल

बिलासपुर

💐💐💐💐💐💐💐💐💐

: बरवै छन्द 


सबले आगर लागे, हमरो देश। 

नवा बिहनिया आगे, नव परिवेश।। 


जन गण मन हा छागे, देश विदेश। 

नवा पाग ला पाके, दिखय विशेष।। 


तीनों रंग तिरंगा  , मन ला भाय। 

पबरित बोहे गंगा, जन हितलाय।। 


बनके भारत रानी, राज  चलाय। 

उन्नति भरे जुवानी, हे बलखाय।। 


सुमित्रा शिशिर "

💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

 ज्ञानू कवि: अंग्रेजी नवा बछर के बहुत बहुत बधाई💐


नवा बछर के शुभ बेला मा, बाँटव मया दुलार।

का का होवत हे दुनिया मा, थोरिक करव बिचार।।


करम धरम ला भूले मनखे, अउ भूले सत्कार।

छोटे छोटे बात बात मा, टूटय घर परिवार।


धन दौलत पद पाके मनखे, करे गजब मतवार।

आज नता रिश्ता मनखे बर, होगे हे व्यापार।।


दाई ददा अन्न पानी बर, तरसत रहिथे रोज।

मिलय नही प्रभु मंदिर बेटा, करले कतको खोज।।


रिश्वतखोरी के दीमक हा, चाट खाय संसार।

भेंट चढ़े भ्रष्ट्राचारी के, लाखों बंठाधार।।


चक्कर काँटय आँफिस लोगन, अफसर हे अबसेन्ट।।

अफसरशाही मौज करत हे, खा खाके परसेन्ट।।


लोकतंत्र नइ बोट बैंक हे, थोरिक करव बिचार।

जिम्मेदारी भूले काबर, राजनीति बाजार।।


धरती दाई रोवत हावय, देख जगत के हाल।

बेजाकब्जा हा फइलत हे, जइसे मकड़ी जाल।।


कोर्ट कचहरी अपराधी बर, घरघुँदिया के खेल।

मौज करत हे खुल्लमखुल्ला, नियम कायदा फेल।।


 अउ किसान बपुरा के जिनगी,  बीतत हे तँगहाल।

कमा कमा मजदूर बिचारा, के नइ बाँचत  खाल।।


महँगाई हा सुरसा होगे, बाढ़त कनिहा टोर।

करत हवय सब त्राहि त्राहि गा, कोरोना के शोर।।


नवा बछर के शुभबेला मा, लेवव ये संकल्प।

सरग बनाबो ये भुइँया ला, करबो काया कल्प।।


ज्ञानु

💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

 नवा बछर (लावणी छंद)


नवा बछर मा झूमौ नाचौ, 

               मन मा खुशी मनावौ जी।

सुख के दिन हा आवत हावै, 

             स्वागत फूल सजावौ जी।।


नवा काम बर बाना बाँधौ, 

               मिलके बहिनी भाई मन।

नवा अँजोरी लाने बर अब,

                  आगू रहिहौ दाई मन।।

अपन करम ला खुदे बनावौ,

             महिनत दीप जलावौ जी।

नवा बछर मा..............


नवा जमाना संग चले बर,

                     रस्ता नवा बनाना हे । 

पाछू दिन के सुध ला छोड़ौ, 

                   आगू ध्यान लगाना हे।।

पथरा फोर पाट के डबरा, 

              भुइयाँ सरग बनावौ जी।

नवा बछर मा................


का खोए अउ का पाए हव,

              बिसरा दव अब ओला जी।

नवा बछर मा उन्नति होवै,

                सुम्मत धरलौ झोला जी।।

कोन अपन अउ कोन पराया,

                सब ला संग चलावौ जी।

नवा बछर मा.................


रचनाकार:-

बोधन राम निषादराज"विनायक"

सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐


नवा बछर के गाड़ा गाड़ा बधाई.


( छन्न पकैया छंद) 


छन्न पकैया छन्न पकैया, नवा बछर हा आगे |

जगर मगर हे जम्मो कोती, मन मा खुशी अमागे ||


छन्न पकैया छन्न पकैया, लइका पिचका नाचे |

नवा साल के नव उमंग ला, झूमत गावत बाँचे ||


छन्न पकैया छन्न पकैया, डी जे गाना बाजे |

मस्ती मा हे मस्त राम सब, चटक ओनहा साजे ||


छन्न पकैया छन्न पकैया, केक मगन हो काटे |

मुँह भर जम्मो लगा केक ला, अँगरी अँगरी चाटे ||


छन्न पकैया छन्न पकैया, कइसना रीति आगे |

अपन देश के संस्कृति ला सब, फैशन मा भूलागे ||


छन्न पकैया छन्न पकैया, जागव भइया जागव |

कति तोर सभ्यता जावत हे, मन गुन लव तब भागव ||


अशोक कुमार जायसवाल

भाटापारा

1-1-2023

💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐


सुगति छन्द मा


नव साल हे ।खुशहाल हे।

विपदा टरे। सुख हा भरे।


मनमीत रे।गा गीत रे।

जग खुश रहै।गंगा बहै।


सूरुज उगे।किस्मत जगे।

उजियार हो।आधार हो।


सद्भावना।शुभकामना।

जग घूम ले।पग चूम ले।


विश्वास हे।उल्लास हे।

तँय उड़ बने।मन बल सने।


मुँह हार के।फटकार के।

शुभ हाथ मा।जग साथ मा।


आकाश हे ।कैलाश हे।

ईश्वर हवे।ठुड़गा नवे।


जग जीत ले।सच रीत ले।

नेकी करौ।गड्डा भरौ।


घर द्वार मा।परिवार मा।

बसथे मया।रहिथे दया।


सबके सुनव ।मन मा गुणव।

जब साँच हे।का आँच हे।


पानी रहय।छानी रहय।

माँ बाप हे।शुभ छाप हे।


झन कर कपट।झन तो झपट।

सुख चैन रख।मुख बैन रख।


चल शान से।सम्मान से।

बानी नरम।चूल्हा गरम।


जे छल करे।तरवा धरे।

सुम्मत रखौ।सुख ला चखौ।


सब एक हो।मन नेक हो।

जिनगी हँसे।दुख हा धँसे।


आशा देशमुख

एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

💐💐💐💐💐💐💐💐💐


2 comments:

  1. अंग्रेजी नवा बछर के सुग्घर छंद संकलन

    ReplyDelete