छत्तीसगढ़ी लोक संगीत के जादूगर श्री खुमान साव जी ला उनकर चौथइया पुण्यतिथि के अवसर म सादर प्रणाम करत, भाव सुमन अर्पित हे।
संगीत के जादूगर
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जादूगर संगीत कला के,गुरुवर साव खुमान।
छत्तीसगढ़ी लोक गीत ला, देये जग पहिचान।
गाँव ठेकुवा सन उनीस सौ, बछर रहिस उन्तीस।
पाँच सितम्बर जनम धरे तैं,देइन सब आसीस।
पढ़े-लिखे अउ गुरुजी बनके, बाँटे सुग्घर ज्ञान।
छत्तीसगढ़ के लोकगीत ला, देये जग पहिचान।
नाचा पार्टी मा तैं जावस,मँदराजी के संग।
तोर कला ला देखत लोगन, हो जावयँ गा दंग।
हरमुनिया मा अँगरी खेलै, अमरित घोरै कान।
छत्तीसगढ़ के लोकगीत ला, देये जग पहिचान।
रामचंद्र दाऊ के सँग मा, आइस अइसन मोड़।
तैं रम गेये जोगी जइसे, हिरदे नाता जोड़।
फुलिस चँदैनी गोंदा तब तो,धरती बर वरदान।
छत्तीसगढ़ के लोकगीत ला, देये जग पहिचान।
अदभुत धुन सिरजाये तैं हा,मन के मया चिभोर।
गाँव-गाँव अउ गली-गली मा, जेकर होगे सोर।
लोक गीत गा के रस घोरै, मस्तुरिया के तान।
छत्तीसगढ़ के लोकगीत ला, देये जग पहिचान।
भाव सुमन अर्पित हे गुरुवर, पुण्यतिथि मा आज।
बसे हवस जन-जन के हिरदे,अमर करे हस काज।
हे खुमान संगीत अमर तो, करथे जग गुणगान।
छत्तीसगढ़ के लोकगीत ला, देये जग पहिचान।
चोवा राम वर्मा 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
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