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Sunday, August 17, 2025

15 अगस्त राष्ट्रीय परब विशेष छंद----------

 15 अगस्त राष्ट्रीय परब विशेष छंद----------


लाल लहू तन सीँचिन हे तब,

          आज धरा हरियाय हवे।

टोरिन हे बँधना बिपदा तब,

      आँगन मा सुख आय हवे।

भारत भूमि अजाद करे बर,

        लाख नरी ह कटाय हवे।

बीर बहादुर पूतन के बल,

         देश ध्वजा लहराय हवे।


जात न पंथ समाज रहे सब,

            भारत के सन्तान रहे।

 ज्योति जरे सुनता सुख के अउ

            प्रेम दया पहिचान रहे।

पाय सुराज म राज सिहासन, 

           मान रहे अभियान रहे।

आवव जी लहराव ध्वजा सब, 

          हीमगिरी कस शान रहे।


राजकुमार चौधरी"रौना"

टेड़ेसरा राजनांदगांव।

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जब जब आय परब आजादी, सुरता आथे बलिदानी।

येला पाये खातिर संगी, होंगे कतको कुर्बानी।।


हमर देश के  शान तिरंगा, लहर लहर ये लहराये।

भेदभाव ला छोड़ छाड़ के, हँसी खुसी सब फहराये।।


केसरिया सादा अउ हरियर, तीन रंग झंडा प्यारा।

सदा उड़य नित ये अगास मा, दुनियाँ ले सुग्घर न्यारा।।


ऊँच नीच अउ जाँत पाँत के, पाँटन हम सब मिल खाई।

एक संग सब मिलजुल रहिबो, छोड़न हम अपन ढिठाई।।


छोड़ लोभ लालच स्वारथ ला, सुग्घर अब रोज कमाबो।

प्रान देश हित बर अरपन कर, भुइयाँ के लाज बचाबो।।


 ज्ञानु

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 कुकुभ छंद गीत- *आज परब आजादी के*


आज परब आजादी के हे, चलव तिरंगा फहराबो।

वन्देमातरम संग जनगणमन गीत सबो मिल गाबो।।


हम सब बर उपकार बड़े हे, स्वंत्रता सेनानी के।

रखना हावय मान सदा दिन, उँखर दिये बलिदानी के।।

वीर शहीद अमर हो जुग-जुग, चरनन मा माथ झुकाबो।

आज परब आजादी के हे, चलव तिरंगा फहराबो।।1


सोन चिरइया दींन बना जी, ये भारत के माटी ला।

अनेकता मा बसे एकता, देइन शुभ परिपाटी ला।।

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, हम सब भाई कहलाबो।

आज परब आजादी के हे, चलव तिरंगा फहराबो।।2


संविधान शुभ ग्रन्थ इँहे हे, सब ला हक सुविधा देथे।

न्याय मिले निष्पक्ष जिहाँ तो, हर सबके दुविधा लेथे।।

गजानंद भारत भुइँया कस, देश कहाँ हम तो पाबो।

आज परब आजादी के हे, चलव तिरंगा फहराबो।।3


✍🏻इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 15/08/2025

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: वीर सैनिक---- मदन छंद


देश बर जी जान देथे छोड़ घर परिवार।

मार बइरी ला गिराथे लाँघ सीमा पार।।

रोज पहरा देत रहिथे नइ करय आराम।

वीर सैनिक के लहू आथे वतन के काम।।


तान सीना ला खड़े वो जब करै ललकार।

शेर कस सँउहे दहाड़े कोन पावय पार।।

वीर सैनिक जब लड़े गा सब करैं अभिमान।

देश के रक्षा करे बर दे सदा बलिदान।।



मुकेश उइके "मयारू"

ग्राम- चेपा, पाली, कोरबा(छ.ग.)

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 विजेन्द्र: 

भारत मा सन  संतावन ले, होइस शुरू लड़ाई हाI  

आजादी बर फाँसी चढ़हिन, उँखरे होय बड़ाई हाII


कतका दाम चुकाइन वीरन, ऊँच रखिन खुद्दारी लाI

मातृभूमि के रक्षा खातिर, छोड़िन महल अटारी लाII 


रानी लक्ष्मी झाँसी के हा, खूब लड़िन बन मरदानीI 

बाँध पीठ मा लइका छुटका, रचदिन गा नवा कहानीII 


प्रान अपन हाथे मा लेके, लहू बहाइन बलिदानीI 

हालत खसता बइरी मन के, देखिन जब रूप भवानीII 


तात्या टोपे वीर शिवा जी, दिन हावय कुरबानी लाI 

देश धर्म के रक्षा खातिर, रखिन करेजा चानी लाII 


बिगुल बजाइन आजादी के, रिहिन बड़ा गा बलधारीI 

देख अँग्रेजन काँपय थर-थर, भारत माँ के  हितकारीII 


सत्य अहिंसा के बल बूते, अलख जगाइन गाँधी हाI 

बिस्मिल भगत राजगुरु के तब, चलिस बड़ोरा आँधी हाII 


देश प्रेम मा शेखर झुलगे, गर मा फंदा फाँसी लाI  

दूर करिन हे बोस खुदी हा, सबके इहाँ उदासी लाII  


महिमा गावँव मँय हा कतका, चन्दन जइसे माटी केI 

भारत भुइयाँ सोन चिरइया, सुग्घर पर्वत घाटी केII 


लाल बाल अउ पाल बनव जी, भीम राव जस गा ज्ञानीI

ऊँच-नीच के खाई पाटव, बोलव सब गुरतुर बानीII 


हिंदू मुस्लिम सिक्ख इसाई, लड़िन सबो भाई-भाईI 

तीन रंग के लाज रखे बर, कतको झन प्रान गँवाईII 


कतका शोसन ला सहिके उन, लाइस हे आजादी लाI 

धजा तिरंगा ऊँचा राखव, पहिरे हव गर खादी लाII


विजेद्र कुमार वर्मा 

नगरगाँव धरसीवांँ

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: आजादी के परब : सार छंद


                            - वसन्ती वर्मा


आजादी के परब आज हे,झंडा जी फहराबो ।

भारत माता के सेवा कर,जिनगी सफल बनाबो।


तीन रंग ले बने तिरंगा,सुघ्घर हे चिन्हारी।

देस प्रेम कर रक्षा करबो,भुइयाँ हे महतारी।


पुरखा मन जी लड़िन लड़ाई, मिलिस तभे आजादी।

नारा लगा स्वदेशी के जी,पहिरँय सब झन खादी।


सुरता हमन करत हन सब ला, होय जेन बलिदानी।

आजादी बर फाँसी चढ़के,लिख दिन अमर कहानी।


छंदकार:     वसन्ती वर्मा

            नेहरूनगर, बिलासपुर

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