*छप्पय छंद----आशा देशमुख*
*आज*
हे पथरा के राज,बिकत हे खेती डोली।
करके मिहनत रोज,बनावत हे दू खोली।
जुच्छा लागे गाँव, रीत मन तको नँदावत।
फैशन होगे पोठ,मान हा तको भगावत।
अब तो मनखे जाग रे,सुन माटी के गोठ ला।
बदरा बदरा फेक दे,रख ले दाना पोठ ला।1।
*करम भाग*
करव भाग्य निर्माण,करम के धरव कुदारी।
मन बीजा पिकियाय ,परे जब पानी धारी।
जिनगी गदगद होय,दिखे जब हरियर हरियर।
साँच करम के संग,रहय अंतस हा फरियर।
करम धरम हा सार हे, जिनगी के आधार हे।
रोज पसीना गार लव,जिनगी अपन सँवार लव।2।
*ज्ञान दान*
करँय ज्ञान के दान ,गुरू के महिमा भारी।
सुनव गुरू के बात, अबड़ होवय हितकारी।
मन के कंकड़ फेक, गुरू हा रतन बनावँय।
नीर क्षीर मा भेद,हंस मति ज्ञान बतावँय ।
गुरू ज्ञान अनमोल हे,अतका सब तो जान लव।
गुरू बिना अँधियार हे,यहू बात ला मान लव।3।
*छंद*
किसम किसम के छंद,सुघर सबके लय हावै।
गावँय छंद सुजान,सबो के मन ला भावै।
दया मया के गीत,लगे जस निर्मल धारा।
अंतस ख़ुशी समाय, फूटथे ये फव्हारा।
लिखव गीत अब छंद मा, मन झूमे आनन्द मा।
सुघ्घर कविता गाव जी,सुम्मत ज्योत जलाव जी।4।
*पाखंड*
धरम बने व्यापार, अतिक बाढ़त पाखंडी।
फैलाये भ्रमजाल, भरत हें लालच मंडी।
मनखे मन नादान,सोच तो कछु नइ पावँय।
सच हावै चुपचाप,झूठ छल मन भरमावँय।
गावव सच के राग ला,लिखव अपन खुद भाग ला।
झन मानँव पाखण्ड ला, फेंकव दूर घमण्ड ला।5।
*मशाल*
बनके रहव मशाल,हवय जग मा अँधियारी।
भूले भटके लोग,गरीबी अउ लाचारी।
फइले अँधविश्वास,जागरण हवय जरूरी।
ठग जग के भरमार,ठगावत हे मजबूरी।
बारव दीया ज्ञान के,दूर करव अँधियार ला।
देश गाँव उन्नत रहय,शिक्षा दव परिवार ला। 6।
*समय*
समय रहत ले काम,करे मा हवय भलाई।
बखत जाय जब बीत, होय नइ तो भरपाई।
आये जब बरसात,बीज ला बोना होथे।
बइठे समय बिताय, कोढ़िया मन हा रोथे।
समय अबड़ अनमोल हे,बीते हा नइ आय जी।
शीत घाम बरसात हा, अपन समय मा भाय जी। 7।
आशा देशमुख
एनटीपीसी रामगुंडम
तेलंगाना
*आज*
हे पथरा के राज,बिकत हे खेती डोली।
करके मिहनत रोज,बनावत हे दू खोली।
जुच्छा लागे गाँव, रीत मन तको नँदावत।
फैशन होगे पोठ,मान हा तको भगावत।
अब तो मनखे जाग रे,सुन माटी के गोठ ला।
बदरा बदरा फेक दे,रख ले दाना पोठ ला।1।
*करम भाग*
करव भाग्य निर्माण,करम के धरव कुदारी।
मन बीजा पिकियाय ,परे जब पानी धारी।
जिनगी गदगद होय,दिखे जब हरियर हरियर।
साँच करम के संग,रहय अंतस हा फरियर।
करम धरम हा सार हे, जिनगी के आधार हे।
रोज पसीना गार लव,जिनगी अपन सँवार लव।2।
*ज्ञान दान*
करँय ज्ञान के दान ,गुरू के महिमा भारी।
सुनव गुरू के बात, अबड़ होवय हितकारी।
मन के कंकड़ फेक, गुरू हा रतन बनावँय।
नीर क्षीर मा भेद,हंस मति ज्ञान बतावँय ।
गुरू ज्ञान अनमोल हे,अतका सब तो जान लव।
गुरू बिना अँधियार हे,यहू बात ला मान लव।3।
*छंद*
किसम किसम के छंद,सुघर सबके लय हावै।
गावँय छंद सुजान,सबो के मन ला भावै।
दया मया के गीत,लगे जस निर्मल धारा।
अंतस ख़ुशी समाय, फूटथे ये फव्हारा।
लिखव गीत अब छंद मा, मन झूमे आनन्द मा।
सुघ्घर कविता गाव जी,सुम्मत ज्योत जलाव जी।4।
*पाखंड*
धरम बने व्यापार, अतिक बाढ़त पाखंडी।
फैलाये भ्रमजाल, भरत हें लालच मंडी।
मनखे मन नादान,सोच तो कछु नइ पावँय।
सच हावै चुपचाप,झूठ छल मन भरमावँय।
गावव सच के राग ला,लिखव अपन खुद भाग ला।
झन मानँव पाखण्ड ला, फेंकव दूर घमण्ड ला।5।
*मशाल*
बनके रहव मशाल,हवय जग मा अँधियारी।
भूले भटके लोग,गरीबी अउ लाचारी।
फइले अँधविश्वास,जागरण हवय जरूरी।
ठग जग के भरमार,ठगावत हे मजबूरी।
बारव दीया ज्ञान के,दूर करव अँधियार ला।
देश गाँव उन्नत रहय,शिक्षा दव परिवार ला। 6।
*समय*
समय रहत ले काम,करे मा हवय भलाई।
बखत जाय जब बीत, होय नइ तो भरपाई।
आये जब बरसात,बीज ला बोना होथे।
बइठे समय बिताय, कोढ़िया मन हा रोथे।
समय अबड़ अनमोल हे,बीते हा नइ आय जी।
शीत घाम बरसात हा, अपन समय मा भाय जी। 7।
आशा देशमुख
एनटीपीसी रामगुंडम
तेलंगाना