कटय बिमारी शुगर के, करू करेला राँध ।
रोटी भर खाना हवय, अपन पेट ला बाँध ।।
अपन पेट ला, बाँध रखे हँव, लालच छोड़े ।
गुरतुर-गुरतुर, स्वाद चिखे बर, मुँह ला मोड़े ।।
लीम बेल अउ, तुलसी पत्ता, हे गुणकारी ।
रोज बिहनिया, दउड़े ले तो, कटय बिमारी ।।
रचनाकार - श्री रमेश कुमार सिंह चौहान
मिश्रापारा,नवागढ़
जिला-बेमेतरा (छ.ग.)
मो.9976069545
बहुत बढ़िया अमृत ध्वनि छंद हे भाई
ReplyDeleteबिमारी हा टंकण त्रुटि मा बिमीरी होगे हे।
संशोधन कर लेवव
हवै मोर बर लागू बढ़िया ए संदेसा
ReplyDeleteरहै नियंत्रित पइधै झन जी अऊ कलेसा..
भाई रमेश ल हिरदे ले बधाई जी...
बहुत बढ़िया बधाई हो भईया जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया बधाई हो भईया जी
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई रमेश, बहुत बढिया छंद के रचना करे हस।
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर छंद लिखे हव रमेश भाई आप ल बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना बधाई हो
ReplyDeleteबहुत खूब सर जी
ReplyDeleteवाह्ह चौहान भइया बड़ सुग्घर सन्देश देवत छंद भइया बधाई हो
ReplyDeleteसुग्घर छंद भइया,
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना सर
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना सर
ReplyDeleteसुगर के बढ़िया इलाज चौहान जी
ReplyDeleteसुगर के बढ़िया इलाज चौहान जी
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