*ट्रैफिक सिग्नल देख के*
संगी सिरतों कहना मान। हवय कीमती सबके जान।
गाड़ी चलत हवय अनलेख। रेंगव ट्रैफिक सिग्नल देख।।1।।
हरा कहत हे जल्दी जाव। कहय पींवरा धीरे आव।।
लाल कहय तुरते रुक जाव। जानव येला उमर बढ़ाव।।2।।
डेरी बाजू रेंगत जाव। कभू कहूँ धोखा नइ पाव।।
सड़क नियम ला जानव आज। इही हवय गा सुख के राज।।3।।
करना हवय सड़क ले पार। पहिली दाँया देखव यार।।
फेर देख लव बाँया ओर। आगू देखव उहाँ अगोर।।4।।
खाली हे जब दूनों छोर। पार करव जी कोरे-कोर।।
रस्ता देखत हे परिवार। इही बात हे जग मा सार।।5।।
चढ़व साइकिल करके चेक। राहय जेमा पुख्ता ब्रेक।
अलवा-जलवा ला दव फेंक। नइते राखव घर मा छेंक।।6।।
गाड़ी झन चलावव रेस। मारव झन गा ओमा टेस।।
बस दूये झन चढ़के जाव। जिनगी भर जी मजा उड़ाव।।7।।
हेलमेट जे राहय ठीक। रोज लगावव होवय नीक।।
करव कभू झन ओवरटेक। झनकर जल्दी कभू अतेक।।8।।
दारू पीके जेन चलाय। दुर्घटना ला अपन बलाय।।
जे गाड़ी मा करथे होड़। घर बइठय वो हड्डी तोड़।।9।।
मानुस जीवन हे अनमोल। रेंगव सबझन आँखी खोल।।
दिये हवय सबला भगवान। अपन बरोबर सबला मान।।10।।
रचनाकार - श्री जगदीश "हीरा" साहू
कड़ार (भाटापारा)
छत्तीसगढ़
संगी सिरतों कहना मान। हवय कीमती सबके जान।
गाड़ी चलत हवय अनलेख। रेंगव ट्रैफिक सिग्नल देख।।1।।
हरा कहत हे जल्दी जाव। कहय पींवरा धीरे आव।।
लाल कहय तुरते रुक जाव। जानव येला उमर बढ़ाव।।2।।
डेरी बाजू रेंगत जाव। कभू कहूँ धोखा नइ पाव।।
सड़क नियम ला जानव आज। इही हवय गा सुख के राज।।3।।
करना हवय सड़क ले पार। पहिली दाँया देखव यार।।
फेर देख लव बाँया ओर। आगू देखव उहाँ अगोर।।4।।
खाली हे जब दूनों छोर। पार करव जी कोरे-कोर।।
रस्ता देखत हे परिवार। इही बात हे जग मा सार।।5।।
चढ़व साइकिल करके चेक। राहय जेमा पुख्ता ब्रेक।
अलवा-जलवा ला दव फेंक। नइते राखव घर मा छेंक।।6।।
गाड़ी झन चलावव रेस। मारव झन गा ओमा टेस।।
बस दूये झन चढ़के जाव। जिनगी भर जी मजा उड़ाव।।7।।
हेलमेट जे राहय ठीक। रोज लगावव होवय नीक।।
करव कभू झन ओवरटेक। झनकर जल्दी कभू अतेक।।8।।
दारू पीके जेन चलाय। दुर्घटना ला अपन बलाय।।
जे गाड़ी मा करथे होड़। घर बइठय वो हड्डी तोड़।।9।।
मानुस जीवन हे अनमोल। रेंगव सबझन आँखी खोल।।
दिये हवय सबला भगवान। अपन बरोबर सबला मान।।10।।
रचनाकार - श्री जगदीश "हीरा" साहू
कड़ार (भाटापारा)
छत्तीसगढ़
वाह्ह्ह् जगदीश भाई, ट्रैफिक नियम के बढ़िया जानकारी देत सुग्घर छंद
ReplyDeleteधन्यवाद इजारदार
Deleteधन्यवाद भाई जी
Deleteधन्यवाद भाई जी
Deleteवाहहहहहहह वाहहह बड़ सुग्घर संदेश धरे शानदार चौपई
ReplyDeleteछंद
धन्यवाद अहिलेश्वर जी
Deleteधन्यवाद अहिलेश्वर जी
Deleteशानदार छंद लिखे हावस जगदीश, तोला बहुत - बहुत बधाई।
ReplyDeleteधन्यवाद दीदी
Deleteवाहःहः जगदीश भाई
ReplyDeleteबहुत बढ़िया चौपई छंद
धन्यवाद दीदी
Deleteधन्यवाद दीदी
Deleteसुग्घर संदेश चौपई छन्द
ReplyDeleteआभार कौशल भइया
Deleteआभार कौशल भइया
Deleteबहुत बढ़िया चौपाई बधाई हो
ReplyDeleteधन्यवद असकरन भाई
Deleteधन्यवद असकरन भाई
Deleteबहुत बढ़िया चौपाई बधाई हो
ReplyDeleteवाह वाह खूब
ReplyDeleteधन्यवाद भइया जी
Deleteबहुत सुन्दर रचना के लिए बधाई भैयाजी
ReplyDeleteअइसने साथ मिलत रहय भइया जी
Deleteअइसने साथ मिलत रहय भइया जी
Deleteबहुत सुन्दर रचना के लिए बधाई भैयाजी
ReplyDeleteवाह वाह बेहतरीन चौपई छंद हे।हीरा भाई। बधाई अउ शुभकामना हे।
ReplyDeleteधन्यवाद भइया जी
ReplyDeleteधन्यवाद भइया जी
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