24 मई जेठ दसमी वीर आल्हा जयंती -
*** *कथा प्रसंग* ***
हे गनेस तैं सबद बरन दे, सदा सहायक सारद माय।
हाँथ धरे हँव तुँहर लेखनी, अक्छर-अक्छर 'अमित' लिखाय।~1
जोंड़ जाँड़ के आखर-आखर, लिखय 'अमित' अँड़हा मतिमंद।
गुरु किरपा के बरसे बरसा, तभे लिखत हँव आल्हा छंद।~2
अब्बड़ अद्भुत अलखा आल्हा, अलहन अलकर टार मिटाय।
अटकर अजरा अलवा-जलवा, अड़हा अगियानी का बताय।~3
महाबीर बन जनमें आल्हा, बाहुबली ये 'अमित' कहाय।
जोश जवानी जउँहर जिनगी, सुन के कायर लड़ मर जाय~4
आल्हा ऊदल दू झन भाई, रहँय महोबा बीर महान।
गाँव-गाँव मा गाथैं गाथा, आल्हा ऊदल जस गुनगान।~5
धरमराज अवतारी आल्हा, भीम सहीं ऊदल दमदार।
लड़ें लडा़ई बावन ठन जी, जिनगी भर नइ जानिन हार।~6
कौरव पांड़व कुल हा जूझे, लड़गे कुरूक्षेत्र मैदान।
जनम धरें कलजुग मा दूनों, आल्हा ऊदल होंय महान।~7
जस गुन गावँव इन जोद्धा के, हमरे बस के नइहे बात।
जेखर कीरति घर-घर बगरे, जस गाथा गावँय दिन रात।~8
** *आल्हा के जनम* **
*जेठ महीना दसमी* जनमे, आल्हा देवल पूत कहाय।
बन जसराज ददा गा सेउक, गढ़ चँदेल के हुकुम बजाय।~9
ददा लड़त जब सरग सिधारे,आल्हा होगे एक अनाथ।
दाई देवल परे अकेल्ला, राजा रानी देवँय साथ।~10
तीन महीना पाछू जनमे, बाप जुद्ध में जान गवाँय।
बीर बड़े छुट भाई आल्हा, ऊधम ऊदल नाँव धराय।~11
राजा परमल पोसय पालय, रानी मलिना राखय संग।
राजमहल मा खेंलँय खावँय, आल्हा ऊदल रहँय मतंग।~12
सिक्छा-दीक्छा होवय सँघरा, लालन-पालन पूत समान।
बड़े बहादुर बलखर बनगे, लागँय राजा के संतान।~13
बड़े लड़इया आल्हा ऊदल, जेंखर बल के पार न पाय।
रक्छक बन परमाल देव के, आल्हा ऊदल जान लुटाय।~14
आल्हा संगी सिधवा मितवा, नइहे चोला एको दाग।
थरथर कापँय कपटी खोड़िल,बैरी बर बड़ बिखहर नाग।~15
बन चँदेल राजा के सेउक, अपन हँथेरी राखँय प्रान।
नित चँदेल हो चौगुन चाकर, दुनिया भर मा बाढ़य शान।~16
'अमित' महोबा के बलवंता, आल्हा आगू कोन सजोर।
बाढ़त नदियाँ पूरा पानी, पुन्नी कस चन्दा अंजोर।~17
झगरा माते बात-बात मा, मार काट अउ हाहाकार।
पोठ लहू के होरी होवय, पवन सहीं खड़कय तलवार।~18
काँही तो नइ भावय इनला, रास रंग अउ तीज तिहार।
फड़फड़ फरकय भक्कम भुजबल, रहँय जुद्ध बर बीर तियार।~19
सुते नींद नइ आवय दसना, बड़ बज्जर बलखर बलबीर।
लड़त-लड़त बीतय दिन रतिहा, दँय झट बैरी छाती चीर।~20
राजपाट राजा रज रक्छक, आल्हा नइ तो चिटिक अबेर।
कुकुर कोलिहा सौ का करहीं, आल्हा ऊदल बब्बर शेर।~21
सतरा बछर उमर मा होवय, आल्हा के शुभ लगन बिहाव।
नैनागढ़ नेपाली राजा, बेटी मछला संग धराव।~22
राजकुमारी मछला जानय, जादू के जब्बर जर ग्यान।
नाँव सोनवा मछला जानव, रहय एक नइ इँखर समान।~23
बीर बहादुर बघवा बेटा, मछला आल्हा के संतान।
बाप कका कस बड़ बलवंता, इंदल बरवाना बलवान।~24
**आल्हा के पराक्रम**
राग रागिनी नइ तो भावय, राजमहल अब नइच सुहाय।
बोल बचन सुन महतारी के, बेटा बाघ मार घर लाय।~25
आज बाघ कल बैरी मारव, तब छतिया के दाह बुताय,
बिन अहीर के मैं नइ मानँव, दाई ताना इही सुनाय।~26
जेखर बेटा कायर निकले, महतारी रो-रो पछताय।
सुनव दुनों तुम आल्हा ऊदल, असल पूल जे बचन निभाय।~27
कुकुर बछर बारा बस जीयय, जीयय सोला साल सियार।
बरिस अठारा छत्री जीये, आगू के जिनगी धिक्कार।~28
मूँड़ टँगागे बाप कका के, माँडूगढ़ बर रुख के डार।
अधरतिया के अध बेरा मा, मूँड़ी बड़ पारय गोहार।~29
आवव आल्हा ऊदल आवव, मोर लड़ंका लठिया लाल।
बँच के आहू माँडूगढ़ मा, बन बघेल के जी के काल।~30
खूब लड़इया लहुआ आल्हा, दूसर ले देवी बरदान।
भगत भवानी सारद माँ के, जइसे सीया के हनुमान।~31
बइठ बछर बारा बन तपसी, मैहर माई के दरबार।
मूँड़ काट अरपन देवी ला, होय अमर आल्हा अवतार।~32
आल्हा ऊदल चलथें अइसे, जइसे रामलखन चलि जाय।
भुजबल भारी भक्कम भइगे, आँखी भभका कस भमकाय।~33
आल्हा ऊदल सिरतों सेउक, समझँय येला अपन सुभाग।
धरम करम हे राजपूत के, लड़त-लड़त दँय प्रान तियाग।~34
धरम धजा कस उड़े पताका, नाँव धराये हे अलहान।
सूरुज बूड़य बुड़ती बेरा, नइ बूड़े आल्हा के शान।~35
जीत-जीत के जिनगी जीयँय, जउँहर जोद्धा जय जयकार।
जेखर बैरी जीयँत जागय, ओखर जिनगी हा बेकार।~36
रन मा आल्हा करँय सवारी, पुष्यावत हाथी के नाँव,
खदबिद-खदबिद घोडा़ दउँड़े, कहाँ थोरको माढ़य पाँव।~37
देशराज बर खाये किरिया, आल्हा जोरय जम्मों जात।
एकमई सब राहव काहय, भेदभाव के छोड़व बात।~38
सबके हितवा आल्हा ऊदल, परहित मा ये भरँय हुँकार।
रक्छक बहिनी महतारी के, बैरी के कर दँय सरी उजार।~39
आल्हा ऊदल बड़ बलिदानी, राज महोबा के बिसवास।
करनी अइसन करें तियागी, अमर नाँव लिखगे इतिहास।~40
रचनाकार - श्री कन्हैया साहू "अमित"*
शिक्षक ~भाटापारा, छत्तीसगढ़
संपर्क ~ 9200252055
*** *कथा प्रसंग* ***
हे गनेस तैं सबद बरन दे, सदा सहायक सारद माय।
हाँथ धरे हँव तुँहर लेखनी, अक्छर-अक्छर 'अमित' लिखाय।~1
जोंड़ जाँड़ के आखर-आखर, लिखय 'अमित' अँड़हा मतिमंद।
गुरु किरपा के बरसे बरसा, तभे लिखत हँव आल्हा छंद।~2
अब्बड़ अद्भुत अलखा आल्हा, अलहन अलकर टार मिटाय।
अटकर अजरा अलवा-जलवा, अड़हा अगियानी का बताय।~3
महाबीर बन जनमें आल्हा, बाहुबली ये 'अमित' कहाय।
जोश जवानी जउँहर जिनगी, सुन के कायर लड़ मर जाय~4
आल्हा ऊदल दू झन भाई, रहँय महोबा बीर महान।
गाँव-गाँव मा गाथैं गाथा, आल्हा ऊदल जस गुनगान।~5
धरमराज अवतारी आल्हा, भीम सहीं ऊदल दमदार।
लड़ें लडा़ई बावन ठन जी, जिनगी भर नइ जानिन हार।~6
कौरव पांड़व कुल हा जूझे, लड़गे कुरूक्षेत्र मैदान।
जनम धरें कलजुग मा दूनों, आल्हा ऊदल होंय महान।~7
जस गुन गावँव इन जोद्धा के, हमरे बस के नइहे बात।
जेखर कीरति घर-घर बगरे, जस गाथा गावँय दिन रात।~8
** *आल्हा के जनम* **
*जेठ महीना दसमी* जनमे, आल्हा देवल पूत कहाय।
बन जसराज ददा गा सेउक, गढ़ चँदेल के हुकुम बजाय।~9
ददा लड़त जब सरग सिधारे,आल्हा होगे एक अनाथ।
दाई देवल परे अकेल्ला, राजा रानी देवँय साथ।~10
तीन महीना पाछू जनमे, बाप जुद्ध में जान गवाँय।
बीर बड़े छुट भाई आल्हा, ऊधम ऊदल नाँव धराय।~11
राजा परमल पोसय पालय, रानी मलिना राखय संग।
राजमहल मा खेंलँय खावँय, आल्हा ऊदल रहँय मतंग।~12
सिक्छा-दीक्छा होवय सँघरा, लालन-पालन पूत समान।
बड़े बहादुर बलखर बनगे, लागँय राजा के संतान।~13
बड़े लड़इया आल्हा ऊदल, जेंखर बल के पार न पाय।
रक्छक बन परमाल देव के, आल्हा ऊदल जान लुटाय।~14
आल्हा संगी सिधवा मितवा, नइहे चोला एको दाग।
थरथर कापँय कपटी खोड़िल,बैरी बर बड़ बिखहर नाग।~15
बन चँदेल राजा के सेउक, अपन हँथेरी राखँय प्रान।
नित चँदेल हो चौगुन चाकर, दुनिया भर मा बाढ़य शान।~16
'अमित' महोबा के बलवंता, आल्हा आगू कोन सजोर।
बाढ़त नदियाँ पूरा पानी, पुन्नी कस चन्दा अंजोर।~17
झगरा माते बात-बात मा, मार काट अउ हाहाकार।
पोठ लहू के होरी होवय, पवन सहीं खड़कय तलवार।~18
काँही तो नइ भावय इनला, रास रंग अउ तीज तिहार।
फड़फड़ फरकय भक्कम भुजबल, रहँय जुद्ध बर बीर तियार।~19
सुते नींद नइ आवय दसना, बड़ बज्जर बलखर बलबीर।
लड़त-लड़त बीतय दिन रतिहा, दँय झट बैरी छाती चीर।~20
राजपाट राजा रज रक्छक, आल्हा नइ तो चिटिक अबेर।
कुकुर कोलिहा सौ का करहीं, आल्हा ऊदल बब्बर शेर।~21
सतरा बछर उमर मा होवय, आल्हा के शुभ लगन बिहाव।
नैनागढ़ नेपाली राजा, बेटी मछला संग धराव।~22
राजकुमारी मछला जानय, जादू के जब्बर जर ग्यान।
नाँव सोनवा मछला जानव, रहय एक नइ इँखर समान।~23
बीर बहादुर बघवा बेटा, मछला आल्हा के संतान।
बाप कका कस बड़ बलवंता, इंदल बरवाना बलवान।~24
**आल्हा के पराक्रम**
राग रागिनी नइ तो भावय, राजमहल अब नइच सुहाय।
बोल बचन सुन महतारी के, बेटा बाघ मार घर लाय।~25
आज बाघ कल बैरी मारव, तब छतिया के दाह बुताय,
बिन अहीर के मैं नइ मानँव, दाई ताना इही सुनाय।~26
जेखर बेटा कायर निकले, महतारी रो-रो पछताय।
सुनव दुनों तुम आल्हा ऊदल, असल पूल जे बचन निभाय।~27
कुकुर बछर बारा बस जीयय, जीयय सोला साल सियार।
बरिस अठारा छत्री जीये, आगू के जिनगी धिक्कार।~28
मूँड़ टँगागे बाप कका के, माँडूगढ़ बर रुख के डार।
अधरतिया के अध बेरा मा, मूँड़ी बड़ पारय गोहार।~29
आवव आल्हा ऊदल आवव, मोर लड़ंका लठिया लाल।
बँच के आहू माँडूगढ़ मा, बन बघेल के जी के काल।~30
खूब लड़इया लहुआ आल्हा, दूसर ले देवी बरदान।
भगत भवानी सारद माँ के, जइसे सीया के हनुमान।~31
बइठ बछर बारा बन तपसी, मैहर माई के दरबार।
मूँड़ काट अरपन देवी ला, होय अमर आल्हा अवतार।~32
आल्हा ऊदल चलथें अइसे, जइसे रामलखन चलि जाय।
भुजबल भारी भक्कम भइगे, आँखी भभका कस भमकाय।~33
आल्हा ऊदल सिरतों सेउक, समझँय येला अपन सुभाग।
धरम करम हे राजपूत के, लड़त-लड़त दँय प्रान तियाग।~34
धरम धजा कस उड़े पताका, नाँव धराये हे अलहान।
सूरुज बूड़य बुड़ती बेरा, नइ बूड़े आल्हा के शान।~35
जीत-जीत के जिनगी जीयँय, जउँहर जोद्धा जय जयकार।
जेखर बैरी जीयँत जागय, ओखर जिनगी हा बेकार।~36
रन मा आल्हा करँय सवारी, पुष्यावत हाथी के नाँव,
खदबिद-खदबिद घोडा़ दउँड़े, कहाँ थोरको माढ़य पाँव।~37
देशराज बर खाये किरिया, आल्हा जोरय जम्मों जात।
एकमई सब राहव काहय, भेदभाव के छोड़व बात।~38
सबके हितवा आल्हा ऊदल, परहित मा ये भरँय हुँकार।
रक्छक बहिनी महतारी के, बैरी के कर दँय सरी उजार।~39
आल्हा ऊदल बड़ बलिदानी, राज महोबा के बिसवास।
करनी अइसन करें तियागी, अमर नाँव लिखगे इतिहास।~40
रचनाकार - श्री कन्हैया साहू "अमित"*
शिक्षक ~भाटापारा, छत्तीसगढ़
संपर्क ~ 9200252055
सादर नमन गुरुदेव,आपके सिखोना ले लिखाय ये आल्हा छंद।
ReplyDeleteवाह अमित भाई,बड़ सुग्घर आल्हा रचे हच।बधाई।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया आल्हा छंद
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई
शब्द चयन अड़बड़ हे सुग्घर, पढ़त जोश तुरते बढ़ जाय।
ReplyDeleteकरे अमित जी सुग्घर सिरजन, आल्हा गाथा खूब बनाय। ।
बहुत बढ़िया आल्हा बर बधाई हो भईया जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया आल्हा बर बधाई हो भईया जी
ReplyDeleteपंदोली दे खातिर आप सबो के हिरदे ले अभार।
ReplyDeleteवाह वाह बेहतरीन आल्हा छंद हे भैया जी। सादर बधाई।
ReplyDeleteवाह्ह वाह अमित भइया कतका सुग्घर प्रसंग लेके आल्हा रचे हव भइया आपके लेखनी ला प्रणाम करत हव ।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई भइया
ऐतिहासिक प्रसंग मा शानदार आल्हा छन्द। अमित भाई ला हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteबधाई अमित भाई
ReplyDeleteबधाई अमित भाई
ReplyDeleteवाह वाह,अद्भुत आल्हा चालीसा, सादर बधाई
ReplyDeleteअनुपम रचना सर
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteएमा कुछ जगह टंकण त्रुटि दिखत हावय।
ReplyDeleteआप गुरु गयानी धियानी भैया संगी संगवारी मन ला पयलगी। अंतस ले अभार पंदोली दे खातिर।
ReplyDeleteअनुपम रचना सर हार्दिक बधाई।
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