पसीना गिराये सरी जिन्दगानी।
नही पाँव जूता न मूड़ी म छानी।
टिके खाँध मा हे बड़े कारखाना।
तभो ले नही भाग मा चारदाना।
धरे नौकरी ठाठ मा हे दु तल्ला।
गली मा फिरे तोर बेटा निठल्ला।
कहाँ कोन हा तोर बाँटा नँगाथे।
फँसा ढोंग मा राख तोला धराथे।
कहाँ कोन से ढोल मा पोल हे जी।
चिन्हारी करौ कोन सो झोल हे जी।
बिना आँख खोले न होवै बिहानी।
कथें बात सच्चा गुरू संत ज्ञानी।
रचनाकार:- श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"
गोरखपुर,कवर्धा( छ.ग.)
01/05/2018
नही पाँव जूता न मूड़ी म छानी।
टिके खाँध मा हे बड़े कारखाना।
तभो ले नही भाग मा चारदाना।
धरे नौकरी ठाठ मा हे दु तल्ला।
गली मा फिरे तोर बेटा निठल्ला।
कहाँ कोन हा तोर बाँटा नँगाथे।
फँसा ढोंग मा राख तोला धराथे।
कहाँ कोन से ढोल मा पोल हे जी।
चिन्हारी करौ कोन सो झोल हे जी।
बिना आँख खोले न होवै बिहानी।
कथें बात सच्चा गुरू संत ज्ञानी।
रचनाकार:- श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर"अँजोर"
गोरखपुर,कवर्धा( छ.ग.)
01/05/2018
सादर प्रणाम।आभार गुरुदेव।
ReplyDeleteवाहःहः भाई सुखदेव
ReplyDeleteबहुते बढ़िया छंद सिरजाय हव।
बहुत बहुत बधाई
सादर धन्यवाद दीदी।
Deleteवाह्ह्ह् सुग्घर रचना भइया जी
ReplyDeleteवाह्ह्ह् सुग्घर रचना भइया जी
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सर जी।
Deleteवाह्ह्ह् भइया, सुग्घर छंद
ReplyDeleteवाह्ह्ह् बहुत बढ़िया रचना अहिलेश्वर जी
ReplyDeleteवाह्ह्ह् बहुत बढ़िया रचना अहिलेश्वर जी
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सर।
Deleteशानदार छंद के रचना करे हस, सुखदेव भाई। बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteसादर आभार दीदी।
Deleteबहुत बहुत बधाई बहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई बहुत बढ़िया
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सर।
Deleteअनुपम रचना सर
ReplyDeleteअनुपम सृजन। हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteसादर आभार सर
Deleteभुजंग प्रयात छंद बढ़ सुघ्घर लिखे हव सुखदेव भाई आपके सृजन ल सत् सत् नमन् बधाई हो
ReplyDeleteसादर धन्यवाद दीदी
Deleteबहुँत सुग्घर रचना अहिलेश्वर जी।बधाई
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सर
Deleteबहुत खूब सर
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सर
Deleteसादर धन्यवाद सर
ReplyDelete