"होही सदा फुरमान"
दाई ददा के पाँव छू,परगट खड़े सतनाम जी।
आशीष लेके जाय मा,होथे सफल सब काम जी।
सँउहे म चारो धाम हे,सँउहे गुरू के ज्ञान हे।
पबरित चरन परताप हे,मूरत बसे भगवान हे।
बेटा अपन माँ बाप के,करले बिनय करजोर गा।
खुश हो जही भगवान हा,बिगड़ी बनाही तोर गा।
खच्चित पहुँचिहौ ठाँव मा,अंतस धरौ बिसवाँस जी।
पाहौ सदा आशीष ला,जिनगी म जब तक साँस जी।
जाथस कहाँ गा छोड़ के,पुरखा पहर के गाँव ला।
पाबे कहाँ संसार मा,अइसन मया के ठाँव ला।
दाई ददा के संग हा,जिनगी म सुख के खान जी।
मूड़ी म रइही हाँथ ता,होही सदा फुरमान जी।
रचनाकर - श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर "अँजोर"
गोरखपुर,कवर्धा
04/05/2017
दाई ददा के पाँव छू,परगट खड़े सतनाम जी।
आशीष लेके जाय मा,होथे सफल सब काम जी।
सँउहे म चारो धाम हे,सँउहे गुरू के ज्ञान हे।
पबरित चरन परताप हे,मूरत बसे भगवान हे।
बेटा अपन माँ बाप के,करले बिनय करजोर गा।
खुश हो जही भगवान हा,बिगड़ी बनाही तोर गा।
खच्चित पहुँचिहौ ठाँव मा,अंतस धरौ बिसवाँस जी।
पाहौ सदा आशीष ला,जिनगी म जब तक साँस जी।
जाथस कहाँ गा छोड़ के,पुरखा पहर के गाँव ला।
पाबे कहाँ संसार मा,अइसन मया के ठाँव ला।
दाई ददा के संग हा,जिनगी म सुख के खान जी।
मूड़ी म रइही हाँथ ता,होही सदा फुरमान जी।
रचनाकर - श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर "अँजोर"
गोरखपुर,कवर्धा
04/05/2017
वाहःहः सुखदेव भाई
ReplyDeleteसुघ्घर भाव अद्धभुत शब्द चयन
उत्कृष्ट छंद सृजन
बहुत बहुत बधाई
सादर आभार दीदी।प्रणाम।
ReplyDeleteबेहतरीन छंद लिखे हावस सुखदेव, तोला बहुत बहुत बधाई हे भाई!
ReplyDeleteसादर आभार दीदी।प्रणाम
Deleteझन भुलव माँ बाप ला, गजब
ReplyDeleteझन भुलव माँ बाप ला, गजब
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सर
Deleteअनुपम कृति सर
ReplyDeleteअनुपम कृति सर
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सर
Deleteबहुत बढ़िया भईया जी
ReplyDeleteसादर धन्यवाद जोगी सर जी
ReplyDeleteवाह वाह लाजवाब भैया
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सर
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