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Sunday, September 11, 2022

छन्न पकैया छंद विषय - पानी/जल

 छन्न पकैया छंद

विषय - पानी/जल


छन्न पकैया छन्न पकैया, कम हें झाड़-झरोखा।

अइसे मा बोलव जी कइसे, पानी गिरही चोखा।। 


छन्न पकैया छन्न पकैया, पानी नइ हे माढ़त।

हमर भूल के सेती देखव, ताप धरा के बाढ़त।। 


छन्न पकैया छन्न पकैया, काली बर अब सोचव।

बादर तीर बलाये खातिर, हर दिन पउधा रोपव।। 


छन्न पकैया छन्न पकैया, सजा भुगतहू भारी।

जीवनदायी नँदिया मन सन, करव नहीं गद्दारी।। 


छन्न पकैया छन्न पकैया, खीक खेल ला रोकव।

पानी ला बर्बाद करत हें, उँन लोगन ला टोकव।। 


छन्न पकैया छन्न पकैया, जल के कीमत जानव।

नहीं करन जल के बर्बादी, मन मा सबझिन ठानव।। 


छन्न पकैया छन्न पकैया, लहुटावव खुशहाली।

काम करव सब जुरमिल अइसे, दउँड़य नँदिया-नाली।। 


छंदकार - श्लेष चन्द्राकर

महासमुंद (छत्तीसगढ़)

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