*बरवै छंद*
किसान के पीरा
*झन कर पानी अब तो, बंठाढार ।*
*पार लगादे हमरो, कर बउछार ।।*
*होही तब तो हरियर, खेती खार ।*
*धान सुघर लहराही, बहरा नार ।।*
*आजा रे तँय पानी, हो तइयार ।*
*सुक्खा होगे हावय, खेती खार ।।*
*धान पान मा बगरे, रोग हजार ।*
*करव दवाई संगी, दव उपचार ।।*
*कइसे माने अब तो, फसल तिहार ।*
*होवत नइ हे बरखा, सुन गोहार ।।*
*खेती तोरे सेती, मन झन मार ।*
*बने गिरादे पानी, कर उपकार ।।*
*मुकेश उइके "मयारू*
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