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Friday, September 16, 2022

बरवै छंद* किसान के पीरा


*बरवै छंद*


किसान के पीरा 


*झन कर पानी अब तो, बंठाढार ।*

*पार  लगादे  हमरो, कर बउछार ।।*


*होही तब तो हरियर, खेती खार ।*

*धान सुघर लहराही,  बहरा नार ।।*


*आजा रे तँय पानी, हो तइयार ।*

*सुक्खा होगे हावय, खेती खार ।।*


*धान पान मा बगरे, रोग हजार ।*

*करव दवाई संगी,  दव उपचार ।।*


*कइसे माने अब तो, फसल तिहार ।*

*होवत नइ हे बरखा,  सुन गोहार ।।*


*खेती तोरे सेती,  मन झन मार ।*

*बने गिरादे पानी,  कर उपकार ।।*

*मुकेश उइके "मयारू*

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