जय जग जननी
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जय जग जननी मातु भवानी,जय जग पालनहार।
शरण परे गोहारत हाववँ, सुन ले मातु पुकार।।
आदि शक्ति जगदम्बा तोरे, शिवजी जस बगराय।
लक्ष्मीपति हा विनय सुनाथे, ब्रह्मा माथ नवाय।
भगत उबारे बर तैं लेथच, नव दुर्गा अवतार।
शरण परे गोहारत हाववँ, सुन ले मातु पुकार।।
खप्पर वाली माता काली, रूप हवै बिकराल।
रूंड-मुंड के माला पहिरे, लफलफ जिभिया लाल।
ये धरती के भार हरे तैं, महिषासुर ला मार।
शरण परे गोहारत हाववँ, सुन ले मातु पुकार।।
भस्मासुर ला भसम करे बर, माया मा भरमाय।
चंड मुंड ला मार गिराये, शुंभ निशुंभ नसाय।
रक्तबीज के मूड़ी काटे, पिये लहू के धार।
शरण परे गोहारत हाववँ, सुन ले मातु पुकार।।
लाल चुनरिया लाल सँवागा, शेर सवारी तोर।
रावाँभाँठा के बंजारी, निकले धरती फोर।
डोंगरगढ़ मा बमलाई के, लगे रथे दरबार।
शरण परे गोहारत हाववँ, सुन ले मातु पुकार।।
कलजुगिहा अड़हा नइ जानवँ,पूजा पाठ बिधान।
मैं बेटा अँव तैं महतारी ,अतके हावय ज्ञान।
तोर भरोसा बल हे भारी, होही बेड़ापार।
शरण परे गोहारत हाववँ, सुन ले मातु पुकार।।
चोवा राम 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
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