सरग निसैनी -
भजन नइ करे तँय सियाराम के।
कभू नइ जपे तँय बिना काम के।
करे काय हावस इहाँ आय के।
बता दे सबो आज फरियाय के।।1।।
फँसे रात दिन तँय मया जाल मा।
भरे पाप कोठी अपन चाल मा।
बने काम करके सबो हाल मा।
बनौका बनाले बुढ़त काल मा।।2।।
बसा साँस मा ले सियाराम ला।
तहूँ पाय लेबे परमधाम ला।
भजन कर सबो दिन समय पाय के।
निसैनी बनाले सरग जाय के।।3।।
लगा भक्ति चंदन सदा माथ मा।
बना मुक्ति मारग अपन हाथ मा।
रहस नइ पियासे कुआँ कोड़ के।
रखे रहि भरोसा गरब छोड़ के।।4।।
परोसी रहिस तोर जब गा दुखी।
जुगत नइ लगाये करे बर सुखी।
कभू तो करे कर करम दान के।
दरश पाय खातिर ग भगवान के।।5।।
गये गा शरण नइ बिना मान के।
लिखे नाँव सूची म धनवान के।
इहें छूट जाही सबो चीज हा।
करम खेत बो भक्ति के बीजहा।।6।।
लिखे भाग ला जी उही राम हे।
धरम काज मा ओकरे धाम हे।
करम खेल करथन सबो साथ मा।
बँधे डोर जे राम के हाथ मा।।7।।
रचनाकार - श्री मोहनलाल वर्मा
ग्राम अल्दा (तिल्दा), जिला रायपुर
छत्तीसगढ़
भजन नइ करे तँय सियाराम के।
कभू नइ जपे तँय बिना काम के।
करे काय हावस इहाँ आय के।
बता दे सबो आज फरियाय के।।1।।
फँसे रात दिन तँय मया जाल मा।
भरे पाप कोठी अपन चाल मा।
बने काम करके सबो हाल मा।
बनौका बनाले बुढ़त काल मा।।2।।
बसा साँस मा ले सियाराम ला।
तहूँ पाय लेबे परमधाम ला।
भजन कर सबो दिन समय पाय के।
निसैनी बनाले सरग जाय के।।3।।
लगा भक्ति चंदन सदा माथ मा।
बना मुक्ति मारग अपन हाथ मा।
रहस नइ पियासे कुआँ कोड़ के।
रखे रहि भरोसा गरब छोड़ के।।4।।
परोसी रहिस तोर जब गा दुखी।
जुगत नइ लगाये करे बर सुखी।
कभू तो करे कर करम दान के।
दरश पाय खातिर ग भगवान के।।5।।
गये गा शरण नइ बिना मान के।
लिखे नाँव सूची म धनवान के।
इहें छूट जाही सबो चीज हा।
करम खेत बो भक्ति के बीजहा।।6।।
लिखे भाग ला जी उही राम हे।
धरम काज मा ओकरे धाम हे।
करम खेल करथन सबो साथ मा।
बँधे डोर जे राम के हाथ मा।।7।।
रचनाकार - श्री मोहनलाल वर्मा
ग्राम अल्दा (तिल्दा), जिला रायपुर
छत्तीसगढ़
बहुते सुघ्घर शक्ति छंद सिरजाय हव भाई मोहन जी
ReplyDeleteआप सबो के आशीर्वाद अउ मार्गदर्शन हे,दीदी।आभार।
Deleteअब्बड़ सुघ्घर शक्ति छंद सिरजाय हवव मोहन भाई।।बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद भैया जी।
Deleteछंद बढ़िया हे, बधाई ।
ReplyDeleteप्रणामदीदी।आप सबो के मया दुलार सदा मिलत ।
Deleteआध्यात्म ला पिरोये मोहन लाल जी के अनुपम शक्ति छंद। हार्दिक बधाई।
ReplyDeleteआप सबो के आशीर्वाद अउ मार्गदर्शन हाबय गुरुदेव।सादर प्रणाम।
Deleteबहुत सुग्घर रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबहुत सुग्घर रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबने बात तैं तो लिखे सोच के।
ReplyDeleteहरी नाम हावै दवा मोच के।।
तभोले भुलाथें हमेशा कहौं।
बड़ा हे कठिन गा कहाँ मैं रहौं।।
बड़ मुश्किल म नानमुन लिखाथे जी...
बढ़िया हे भाई....
बधाई....