छत्तीसगढ़ के 36 भाजी-
भाजी *तिवरा* *गोंदली*, *मुनगा* अउ *बोहार*।
*चुनचुनिया* अउ *चौलई*,मिलय *चरोटा* खार।।
*कुरमा पटवा खेंडहा*, *पुतका* भाजी *लाल*।
*भथवा आलू लहसुवा*, *सरसों* करे कमाल।।
*गोभी कुसुम मछेरिया,बर्रे मखना* लाय।
*चना अमारी* राँध ले, *कजरा* गजब सुहाय।।
*गुडरू उरला चिरचिरा, चेंच चनौरी* सार।
*तिनपनिया* अउ *करमता*, *कांदा* बगरे नार।।
*पालक मुसकेनी* हवय, सब भाजी मा शान।
*उरला मुरई* खाय जब, कोंदा करय बखान।।
भाजी-भाजी झन कहव, एकर करव बखान।
खावव येला मन लगा, हो जावव बलवान।।
रचनाकार - श्री जगदीश "हीरा" साहू
ग्राम - कड़ार, व्हाया भाटापारा
छत्तीसगढ़
भाजी *तिवरा* *गोंदली*, *मुनगा* अउ *बोहार*।
*चुनचुनिया* अउ *चौलई*,मिलय *चरोटा* खार।।
*कुरमा पटवा खेंडहा*, *पुतका* भाजी *लाल*।
*भथवा आलू लहसुवा*, *सरसों* करे कमाल।।
*गोभी कुसुम मछेरिया,बर्रे मखना* लाय।
*चना अमारी* राँध ले, *कजरा* गजब सुहाय।।
*गुडरू उरला चिरचिरा, चेंच चनौरी* सार।
*तिनपनिया* अउ *करमता*, *कांदा* बगरे नार।।
*पालक मुसकेनी* हवय, सब भाजी मा शान।
*उरला मुरई* खाय जब, कोंदा करय बखान।।
भाजी-भाजी झन कहव, एकर करव बखान।
खावव येला मन लगा, हो जावव बलवान।।
रचनाकार - श्री जगदीश "हीरा" साहू
ग्राम - कड़ार, व्हाया भाटापारा
छत्तीसगढ़
वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् बहुँत सुग्घर भाजी मन के बखान करत दोहा सिरजाय हव।बधाई।
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर भाजी के महिमा बखान करे हव जगदीश जी।।बधाई
ReplyDeleteभाजी के महिमा कहिस, अनुज मोर जगदीश
ReplyDeleteकतका सुग्हर - नाव हे, दुनियाँ भर के ईश।
व्वाहःहः बहुत सुघ्घर भाजी महिमा सृजन करे हव भाई
ReplyDeleteवाह्ह भईया अब्बड़ सुग्घर भाई जम्मो भाजी मनके बखान गा
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर छत्तीस भाजी के दोहा लिखे हव जगदीश भाई पढ़के मोला बढ़ियाँ लागिस बधाई हो
ReplyDeleteअरे क्या बात है भाई जी सुग्घर वर्णन करे हव
ReplyDeleteअरे क्या बात है भाई जी सुग्घर वर्णन करे हव
ReplyDeleteबहुत सुग्घर।छत्तीसगढ़ के भाजी बर बड़ सुग्घर दोहावली सिरजाय हव,भैया।बहुतबहुत बधाई अउ शुभकामना।
ReplyDeleteसुग्घर दोहा वली
ReplyDeleteलाजवाब
ReplyDeleteघातेच् सुग्घर दोहावली।सादर बधाई
ReplyDeleteघातेच् सुग्घर दोहावली।सादर बधाई
ReplyDeleteभाजी के भरमार हे, सबके हे गुन दोस।
ReplyDeleteराँधे के दरकार हे, लेबो हमी परोस।।
अतेक नाव गनाये हें भाई हर के सुरता रखई मुसकुल हो जही....