कज्जल छन्द (14-14)
14/14 मात्रा के 4 चरण वाले समपाद मात्रिक छन्द आय.
हर चरण के आखिरी मा गुरु, लघु अनिवार्य
उदाहरण -
समय रहत ले अरे चेत (कज्जल छन्द)
रुखराई ला काट काट
नदिया नरवा पाट पाट
नँगत बनाये नगर हाट
जंगल मन हो गिन सपाट।।
सहर लील गिन हमर खेत
लाँघन हन लइका समेत
सपना मन बन गिन परेत
समय रहत ले अरे चेत ।।
चेताइस केदार नाथ
भुइयाँ के झन छोड़ साथ
नइ तो हो जाबे अनाथ
कुछू नहीं हे तोर हाथ ।।
जेला कहिथस तँय विकास
वो तो भाई हे बिनास
समझावय धरती अगास
भुइयाँ ला झन कर हतास ।।
हरियर कर दे खेत-खार
जंगल के कर दे सिंगार
रोवय झन नदिया पहार
पीढ़ी-पीढ़ी ला उबार ।।
प्रस्तुतकर्ता - अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग छत्तीसगढ़
14/14 मात्रा के 4 चरण वाले समपाद मात्रिक छन्द आय.
हर चरण के आखिरी मा गुरु, लघु अनिवार्य
उदाहरण -
समय रहत ले अरे चेत (कज्जल छन्द)
रुखराई ला काट काट
नदिया नरवा पाट पाट
नँगत बनाये नगर हाट
जंगल मन हो गिन सपाट।।
सहर लील गिन हमर खेत
लाँघन हन लइका समेत
सपना मन बन गिन परेत
समय रहत ले अरे चेत ।।
चेताइस केदार नाथ
भुइयाँ के झन छोड़ साथ
नइ तो हो जाबे अनाथ
कुछू नहीं हे तोर हाथ ।।
जेला कहिथस तँय विकास
वो तो भाई हे बिनास
समझावय धरती अगास
भुइयाँ ला झन कर हतास ।।
हरियर कर दे खेत-खार
जंगल के कर दे सिंगार
रोवय झन नदिया पहार
पीढ़ी-पीढ़ी ला उबार ।।
प्रस्तुतकर्ता - अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग छत्तीसगढ़
विधान सहित कज्जल छंद मा अनुपम अउ अनुकरणीय रचना ,गुरुदेव। सादर नमन।
ReplyDeleteबहुते सुन्दर कज्जल छंद गुरुदेव।संग ये छंद विधान के अनमोल ज्ञान।
ReplyDeleteबहुते सुघ्घर कज्जल छंद हे गुरुदेव
ReplyDeleteछंद खजाना के कोठी भरत हे गुरुवर।
ReplyDeleteसादर आभार
अनमोल ज्ञान मिलत हे हम सब ला।
अनुकरणीय रचना गुरुदेव जी
ReplyDeleteअनुकरणीय रचना गुरुदेव जी
ReplyDeleteबहुँत सुग्घर रचना गुरुदेव।स्वारथ म आके मनखे मन बड़ गलती करत हे।आप के रचना मा चिंता वाजिब हे।
ReplyDeleteवाह वाह गुरुदेव गजब सुघ्घर,,सादर पायलागी
ReplyDeleteबहुते बढ़िया कज्जल छंद गुरुदेव विधि समेत।
ReplyDelete