राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी अउ गुदड़ी के लाल शास्त्री जी के जयंती विशेष छंदबद्ध रचना
सार छंद- जीतेन्द्र वर्मा खैरझिटिया
***शत शत नमन-लाल बहादुर शास्त्री जी ला****
जय जवान अउ जय किसान के, जग ला दिस हे नारा।
लाल बहादुर शास्त्री जी के, चलो करिन जयकारा।।
पद पइसा लत लोभ भुलाके, जीइस जीवन सादा।
बोलिस कम हे जिनगी भर अउ, काम करिस हे जादा।
रिहिस मीत बर मीठ बताशा, बइरी मन बर आरा।।
जय जवान अउ जय किसान के, जग ला दिस हे नारा।
आजादी के रथ ला हाँकिस, फाँकिस दुख दुर्गुन ला।
नित नियाव के झंडा गाड़िस, बता पाप अउ पुन ला।
रिहिस उठाये सिर मा सब दिन, देशभक्ति के भारा।।
जय जवान अउ जय किसान के, जग ला दिस हे नारा।
ताशकन्द मा कइसे सुतगिस, जेन कभू नइ सोवै।
देख समाधी विजय घाट के, यमुना रहिरहि रोवै।।
लाल बहादुर लाल धरा के, नभ के चाँद सितारा।
जय जवान अउ जय किसान के, जग ला दिस हे नारा।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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लालबहादुर शास्त्री जयंती
अनुशासन अउ एकता, भारत रहय अखण्ड।
शास्त्री जी के हे कथन, देशद्रोह हे दंड।।
जय जवान रक्षा करे, जय किसान के मान।
लालबहादुर शास्त्री , नेता रहिन महान।।
जीवन सादा हे जिये, राखिन उच्च विचार।
एक सहीं छोटे बड़े, सब बर सम व्यवहार।।
देश धर्म सबले बड़े, शास्त्री जी के मंत्र।
सब विकास मिलके करव, हाथ करय या यन्त्र।।
लालबहादुर शास्त्री , धरती के हे लाल।
हीरा कस दमकत हवय , भारत माँ के भाल।।
आशा देशमुख
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*स्वच्छता अभियान (सरसी छंद)*
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गाँधी बाबा के सपना अब,
होवत हे साकार।
गाँव-शहर के मनखे जम्मों,
बनत हवै हुशियार।।
साफ सफाई अपन हाथ मा,
समझत हे सब लोग।
संग-संग सरकार इहाँ के,
करत हवै सहयोग।।
आज स्वच्छता के नारा हा,
गूँजत हवै हमार।
गाँधी बाबा के सपना अब,..............
कतको बीमारी हा भगही,
मनखे के तन छोड़।
कचरा ले खातू हा बनही,
खेती बर मन मोड़।
घर दुवार अँगना मा सुग्घर,
छाही बने बहार।
गाँधी बाबा के सपना अब,.............
जघा-जघा कचरा निपटारा,
हावै कचरादान।
गली-खोर सब चिक्कन-चाँदन,
कर्मठ मोर सियान।।
एक कदम स्वच्छता रखे बर,
पारत हँव गोहार।।
गाँधी बाबा के सपना अब,...............
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रचनाकार:-
बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
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: *साँची-सुरभि*
*प्यारे बापू को नमन*
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गाँधी जी के कर्म से , ऐसा हुआ प्रकाश ।
दीप्तमान सा हो गया , भारत का आकाश ।
भारत का आकाश , वीरता का परिचायक ।
धन्य धरा यह पूज्य , जहाँ जन्मा वह नायक ।
लेकर अपने साथ , अहिंसा की शुभ आँधी ।
किए देश हित त्याग , समर्पित जीवन गाँधी ।।1।।
सादा जीवन मित व्ययी , सात्विक रहे विचार ।
कहते गाँधी नित रखो , सत्य निष्ठ व्यवहार ।
सत्य निष्ठ व्यवहार , अहिंसा को अपनाओ ।
चरखा चले सुकर्म , जगत का कष्ट मिटाओ ।
सहज सरल मन भाव , दिखावा करो न ज्यादा ।
साँची गाँधी कथ्य , वेश था उनका सादा ।।2।।
गाँधी वादी सोच से , बदलेगी तस्वीर ।
शस्त्र रहे बस प्रेम का , उठे नहीं शमशीर ।
उठे नहीं शमशीर , द्वेष की नहीं लड़ाई ।
बिना तीर तलवार , देश की करो भलाई ।
रखें अडिग निज पाँव , चले कोई भी आँधी ।
सत्य अहिंसा मार्ग , दिखाए प्यारे गाँधी ।।3।।
इन्द्राणी साहू"साँची"
भाटापारा (छत्तीसगढ़)
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---------- मनहरण घनाक्षरी--------
गाॅधी तोर बेंदरा ह, कोंदा भैरा अॅधरा ह ।
सुने बोले कुछु निहीं, पूछी ला डोलात हे ।
दुनिया देखाए बर, फोटू ला खिंचाए बर ।
रद्दा छोड़ बापू जी के, जयन्ती मनात हे ।
सहीद भगत सिंग, सेखर अउ बिस्मिल ।
गाथा ला सुभाष जी के, लइका भुलात हे ।
सलमान साहरुख, इही मन देथे सुख।
मल्लिका वो दीपिका ला , हिरदे मा बसात हे ।
सबो कोती भ्रष्टाचार, बड़ हिंसा अनाचार ।
धरम इमान बेंच, देस ला डुबात हे ।
गाॅधी छाप नोट चाही, सत्ता बर वोट चाही ।
दुखियारी जनता हे, गाॅधी ला बलात हे ।
गाॅधी चऊॅक नाम धर, मास बेंचो साल भर ।
दारू पानी घलो मिले, नदिया बोहात हे।
सत्ता के सिकारी मन, झूठे व्यभिचारी मन ।
गाॅधी जी के मुरती ला, माला पहिरात हे ।
राजकुमार चौधरी "रौना"
टेड़ेसरा राजनाॅदगाॅव ।
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(छन्न पकैया छंद)*
छन्न पकैया छन्न पकैया , गांधी के ओ बानी ।
सदा सत्य के मारग चलके , जियव अपन जिनगानी।।
छन्न पकैया छन्न पकैया , बुरा कभू झन बोलव ।
जब भी बोलव अपन बात ला , मन मा सुग्घर तोलव।।
छन्न पकैया छन्न पकैया , झन कर अइसे करनी ।
सरग नरक हे ए भुँइया मा , दिखथे बेरा मरनी ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया , नोहे गोठ लबारी ।
भला करे मा मिले भलाई , सुनलव जी सँगवारी।।
छन्न पकैया छन्न पकैया , बात बांधलव मन मा।
जिनगी हे चरदिनिया भाई , का राखे हे तन मा ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया , ये तन हा मिट जाही ।
सदा साँच के संगत करले , राम कृपा बरसाही।।
बृजलाल दावना
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: *दोहा छंद*
--लाल बहादुर शास्त्री जयंती---
पितु हे मुंशी शारदा, अध्यापन के काज ।
माँ रामदुलारी हवय, घर ला राखय साज ।।
अपन बहादुर लाल ला, माता करे दुलार ।
बालकपन घर के सबो, नन्हें कहँय पुकार ।।
लाल बहादुर शास्त्री, करिन देश उद्धार ।
जन मानस बर हे सदा, लाख-लाख उपकार ।।
अइसन कारज तँय करे, धरती पुत्र सुजान ।
अमर रही गा नाँव हा, हावस गुण के खान ।।
मातृभूमि बर जान दे, बेटा बने महान ।
धर- धर आँसू हा बहे, कइसे करँव बखान ।।
*मुकेश उइके "मयारू"*
ग्राम- चेपा, पाली, जिला- कोरबा(छ.ग)
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"खुश हो जाही बाबा गाँधी"
सुख सुराज बर सुमता बाँधी।
खुश हो जाही बाबा गाँधी।
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई।
आवँय सब झन भाई भाई।
सब के सपना करम कमाई।
भारत के बढ़वार बड़ाई।
देख सुभागी जाँगर खाँधी।
खुश हो जाही बाबा गाँधी।
घर-बन राखन साफ सफाई।
स्वस्थ निरोगी उमर पहाई।
सुघर स्वावलंबन अपनाई।
भारत के गुन गौरव गाई।
अनचित ला छाँदी अउ धाँधी
खुश हो जाही बाबा गाँधी
हमर सुमत ला जग सँहुरावय।
पुरखा मनके मन सुख पावय।
बिखहर मनु के मुँह जर जावय।
बिख महुरा झन घोरे पावय।
नइ उठही नफरत के आँधी।
खुश हो जाही बाबा गाँधी।
संविधान के कहना मानन।
कहिथे का कानून ह जानन।
सहीं गलत चिन्हन पहिचानन।
सच ला सहुँराबो मन ठानन।
घर मा खीर कलेवा राँधी।
खुश हो जाही बाबा गाँधी।
रचना- सुखदेव सिंह"अहिलेश्वर"
गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़
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कुकुभ छंद-जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
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नइहे बापू तोर पुजारी, ना चरखा चश्मा खादी।
सत्य अंहिसा प्रेम सिरागे, बढ़गे बैरी बरबादी।
गली गली मा लहू बहत हे, लड़त हवै भाई भाई।
तोर मोर के तोता पाले, खनत हवै सबझन खाई।
हरौं तोर चेला जे कहिथे, नशा पान के ते आदी।
नइहे बापू तोर पुजारी, ना चरचा चश्मा खादी।।
कतको के कोठी छलकत हे, कतको के गिल्ला आँटा।
धन बल कुर्सी अउ स्वारथ मा, सुख होगे चौदह बाँटा।
देश प्रेम के भाव भुलागे, बनगे सब अवसरवादी।
नइहे बापू तोर पुजारी, ना चरचा चश्मा खादी।।
दया मया बर दाई तरसे, बरसे बाबू के आँखी।
बेटी बहिनी बाई काँपे, नइ फैला पाये पाँखी।
लउठी वाले भैंस हाँकथे, हवै नाम के आजादी।
नइहे बापू तोर पुजारी, ना चरचा चश्मा खादी।।।
राम राज के दउहा नइहे, बाजे रावण के डंका।
भाव भजन अब करै कोन हा, खुद मा हे खुद ला शंका।
दया मया सत खँगत जात हे, बड़ बढ़गे बिपत फसादी।
नइहे बापू तोर पुजारी, ना चरचा चश्मा खादी।।।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को, कोरबा(छग)
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दोहा
सत अहिंसा के पुजारी , नित करय गा काम ।
संत वो साबरमती के ,दास मोहन नाम।।
देश हित सेवा करय बड़,
रोज देवय ज्ञान ।
युग पुरुष गांधी हरय जी,
कर नमन सम्मान।।
लिलेश्वर देवांगन
गुधेली बेरला बेमेतरा
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विष्णुपद छंद
ऊँचनीच के भेदभाव ला, छोडव अब करना।
बड़े होय अउ चाहे छोटे, सब ला हे मरना।।
भेद छोड़ मनखे मनखे मा, एक समान सबो।
जाँत-पाँत मा भले अलग हन, हम इंसान सबो।।
लाभ उठाये बर कतको मन, राग अलापत हे।
देख ठगावत मनखे मन ला, जीं हा कलपत हे।।
अपन अपन सब करम धरम मा, खुश सब ला रहना।
आँव बड़े मैं अउ तँय छोटे, नइये कुछ कहना।।
कखरो आस्था अउ पूजा सँग, झन खिलवाड़ करी।
अंधभक्त बन फेर इहाँ झन, तिल के ताड़ करी।।
सत्य अहिंसा के मारग मा, रोज हमन चलबो।
स्वस्थ समाज बनाये खातिर, काम सदा करबो।।
ज्ञानुदास मानिकपुरी
चंदेनी- कवर्धा
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*चौपई छंद*
गाँधी जी के कहना मान |
गुण तैं सत्य अहिंसा जान ||
सब मा अलख जगा दे आज |
आही संगी फेर सुराज ||
गाँधी जी के बंदर तीन |
कइथे सुन बड़हर अउ दीन |
देखे सुने कहे के बात |
समझाइस हे सब ला घात ||
रद्दा सत बाबा के प्रेम |
सत्याग्रह अपनाइस नेम ||
लिस आजादी लाठी टेक |
सब बर काम करिस हे नेक ||
टोपी चरखा लाठी ताय |
खादी अस्त्र शस्त्र कस आय ||
खेदारिस गाँधी अंग्रेज |
राखिस भारत मान सहेज ||
गाँधी करिस देश बर काम |
होइस गाँव शहर मा नाम ||
देके राष्ट्र पिता सम्मान |
गाइस जनता गौरव गान ||
अशोक कुमार जायसवाल
सत्र -13
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: सँउहे देव समान।
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(सरसी)
हाड़- माँस के मनखे तन मा ,सँउहे देव समान।
बापू जी अउ लाल बहादुर, वीर सपूत महान।।
धोती डंडा चश्मा वाला, दुब्बर पातर देह।
दीन-हीन के हितवा मितवा, हिरदे भरे सनेह।
मानवता के परम पुजारी, राष्ट्रपिता पहिचान।
हाड-माँस के मनखे तन मा, सँउहे देव समान।
सत्य-अहिंसा ला नइ छोंड़े, पाये कतको कष्ट।
दुष्ट फिरंगी मन के शासन ,होइस तभ्भे नष्ट।
आजादी के अलख जगाये, जागिस हिंदुस्तान।
हाड़-माँस के मनखे तन मा, सँउहे देव समान।
छुआछूत के घोर विरोधी, चले सदा सदराह।
जनसेवा के तोर महात्मा ,नइये कोनो थाह।
कोढ़ी के अंतस मा देखे,बइठे हे भगवान।
हाड-माँस के मनखे तन मा,सँउहे देव समान।
कमल सहीं चिखला मा जागे, गुदड़ी के हे लाल।
जय जवान अउ जय किसान के, ऊँचा राखे भाल।
हिंदुस्तानी लाल बहादुर,तैं सच्चा इंसान।
हाड-माँस के मनखे तन मा,सँउहे देव समान।
जब ले चंदा सूरज रइही,अम्मर रइही नाम।
गाँधी जी अउ शास्त्री जी के, पावन हावय काम।
दुन्नों महापुरुष के 'बादल', करत हवै गुणगान।।
हाड़-माँस के मनखे तन मा ,सँउहे देव समान।
बापू जी अउ लाल बहादुर, वीर सपूत महान।।
चोवा राम 'बादल'
हथबंद, छत्तीसगढ़
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-कुंड़लिया
गाँधी बाबा
लाठी धर रेगिंस बबा,आइस नवा बिहान।
सत्य अहिंसा ला धरव,गाँधी कदम महान।
गाँधी कदम महान,मौनव्रत अलख जगाइन।
बिना खड़्ग अउ ढ़ाल,देस आजाद कराइन।
सूती धोती मान,अटल ऊखर कद काठी।
खादी बनिस विचार, अमर हे चरखा लाठी।।
(2)
चिंतन गाँधी के करव,राष्ट्र पिता सम्मान।
राम राज साकार हो,सब लव मन मा ठान।
सब लव मन मा ठान,स्वच्छता लक्ष्य हमर हो।
मोहन के व्यवहार,स्वदेशी चरखा घर हो।
सूती खादी मान,करव सब धारन तन-मन।
भारत के पहिचान,हवे जी गाँधी चिंतन ।।
रचनाकार-डाॅ मीता अग्रवाल मधुर रायपुर छत्तीसगढ
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