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Friday, September 1, 2023

खेल दिवस*29 अग.2023



 

खेल दिवस*29 अग.2023


महिमा अबड़े खेल के,हाँकी हावय नाम।

पुष्ट देह ला ये करे,अतके येखर काम।।

अतके येखर काम,भाग तो सुस्ती जावय।

चंगा मन हा होय,गजब के फुरती आवय।।

मिलजुल खेलय टीम, गोल बर माथा रगड़े।

इही खेल के भाव, खेल के महिमा अबड़े।।





2. ध्यान चंद जेहा हवे,भारत के अभिमान।

जेखर से हे देश मा,हाँकी के पहिचान।।

हाँकी के पहिचान, कई ठन मेडल लाइस।

करके कइयो गोल ,भीड़ मा जेहा छाइस।।

खेल दिवस हे आज,रहे जी जनमे तेहा।

ये माटी के लाल,हवे ध्यानचंद जेहा।।

चित्रा श्रीवास

बिलासपुर

छत्तीसगढ़

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 छंद गीत- हॉकी


राष्ट्रीय खेल भारत के हॉकी, जग जन मा पहिचान।

मेजर ध्यानचंद हॉकी के, जादूगर तो जान।।


दिन अगस्त उनतीस ये, सन उन्निस सौ पाँच।

शहर इलाहाबाद हा, झूम उठिस जी नाच।।

ध्यानचंद जी जनम धरे, बनके प्रतिभावान।

राष्ट्रीय खेल भारत के हॉकी, जग जन मा पहिचान।।1


मातु शारदा के जी ललना, सामेश्वर के लाल।

जनम धरे तँय ऊँच करे बर, भारत माँ के भाल।।

मेजर बन भी डँटे रहे तँय, सीमा सीना तान।

राष्ट्रीय खेल भारत के हॉकी, जग जन मा पहिचान।।2


करे महारथ हासिल हॉकी, देख रहँय सब दंग।

ध्यानचंद जी ध्यान लगा के, खेलय मस्त मलंग।।

देश विदेश सबो जन जानय, भारत के ये शान।

राष्ट्रीय खेल भारत के हॉकी, जग जन मा पहिचान।।3


गोंद लगा के छड़ी घुमाथे, बोलिस जब जापान।

तोड़ छड़ी ला देखे जब तो, होगें सब हैरान।।

ना तो गोंद छड़ी मा पाइस, ध्यानचंद के ध्यान।

राष्ट्रीय खेल भारत के हॉकी, जग जन मा पहिचान।।4


खेल विदेशी ला अपनाये, छोड़ अपन अब खेल।

हॉकी हा तो झाँकी रहिगे, खेंलत पेल ढपेल।।

आगे आ आवाज उठावव, पाये हॉकी मान।

राष्ट्रीय खेल भारत के हॉकी, जग जन मा पहिचान।।5


इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 29/08/2023

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     आल्हा छंद ( ध्यान चंद )

        हॉकी के जादूगर

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राष्ट्रीय खेल हमर देश के, 

      नाम हरय जी हॉकी जान।

खेलइया हे ध्यान चंद जी,

      दिस हावे इनला पहिचान।

धरे जनम तारीख उनतीस,

      अगस्त उन्नीस सौ ग पाँच।

ये कहलाइस जादूगर जी,

      हॉकी के गा आवे सांच।

उतरे जब मैदान म वोहर,

    गेंद चिपक स्टिक ही रहि जाय।

देखय खेलत ध्यान चंद ला,

    देखइया के मन भरमाय।

मातु शारदा सामेश्वर के,

     येहर बेटा बन के आय।

राजपूत गा वंश म जन्मे,

     राजपूत येहर कहलाय।

करे महारथ हासिल येहर,

    हॉकी के जी खेल म जान।

ध्यान चंद जब खेलय हॉकी,

     करे नहीं जी विचलित ध्यान।

अउ सीमा मा बनके मेजर,

     डटे रहे जी सीना तान।

जइसे खेलय हॉकी ला वो, 

    वइसनेच तयं वहू ल मान।

फइले नाम ह देश विदेश म,

   जादूगर हॉकी के आय।

अब तो येहर इही नाम ले,

     शान देश के ये कहलाय।

देखय येखर खेल विदेशी,

     किसम किसम के सोंच बनाय।

कोनो बोलय चुम्बक हावे,

     स्टिक ला येखर देखव जांच।

कोनो बोलय गोंद लगे हे,

     कतको करय तीन अउ पांच।

मिले विरासत मा नइ इनला,

     सतत साधना करके पाय।

खेल देख गा ध्यान चंद के,

     तानाशाह हिटलर थर्राय।

ओर जर्मनी के गा खेलो,

     हिटलर तक हा बोले जान।

येखर बदला मा हम देबो,

      तुमला बहुत बहुत सम्मान।

तीन तीन ओलंपिक खेले,

      अपन देश के खातिर जान।

पाइस हावे ध्यान चंद हा, 

      बड़े बड़े गा वो सम्मान।

पात्र रत्न भारत के वोहर,

      वइसे जी वो हावे जान।

हो सके तो देवें उनला,

       सर्वोच्च देश के सम्मान।


कुलदीप सिन्हा "दीप"

कुकरेल ( सलोनी ) धमतरी

29 / 08 / 2023

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शोभन छन्द - हाॅकी (३०/०८/२०२३)


खेल हाॅकी खेल लेवव , खेल सुग्घर आय ।

फील्ड रोलर बर्फ हाॅकी , हर जघा मन भाय ।।

टीम ग्यारह के बनाके , खेलथें सब लोग ।

हष्ट होथे पुष्ट होथे , ये शरीर निरोग ।।


मिस्र ले शुरुआत होइस , बाद आइस देश ।

ध्यानचंद बने खिलाड़ी , जन्म दिवस विशेष ।।

धातु या लकड़ी छड़ी मा , गेंद करलव गोल ।

जीत जाहू हार के जी , बात हे अनमोल ।।



ओम प्रकाश पात्रे "ओम "

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