Followers

Monday, September 11, 2023

आठे कन्हैय विशेष

 










आठे कन्हैय विशेष


 खैरझिटिया: मोला किसन बनादे (सार छंद)


मोर पाँख ला  मूड़ सजादे,काजर गाल लगादे|

हाथ थमादे बँसुरी दाई,मोला किसन बनादे |


बाँध कमर मा करिया करधन,बाँध मूड़ मा पागा|

हाथ अरो दे करिया चूड़ा,बाँध गला मा धागा|

चंदन  टीका  माथ लगादे ,पहिरा माला मुंदी|

फूल मोंगरा के गजरा ला ,मोर बाँध दे चुंदी|

हार गला बर लान बनादे,दसमत लाली लाली |

घींव  लेवना  चाँट  चाँट  के,खाहूँ थाली थाली |

मुचुर मुचुर मुसकावत सोहूँ,दाई लोरी गादे।

हाथ थमादे बँसुरी दाई,मोला किसन बनादे |


दूध दहीं ला पीयत जाहूँ,बंसी मीठ बजाहूँ|

तेंदू  लउड़ी  हाथ थमादे,गाय  चराके आहूँ|

महानदी पैरी जस यमुना, रुख कदम्ब बर पीपर।    

गोकुल कस सब गाँव गली हे ,ग्वाल बाल घर भीतर।

मधुबन जइसे बाग बगीचा, रुख राई बन झाड़ी|

बँसुरी  धरे  रेंगहूँ   मैंहा ,भइया  नाँगर  डाँड़ी|

कनिहा मा कँस लाली गमछा,पीताम्बर ओढ़ादे।

हाथ थमादे बँसुरी दाई,मोला किसन बनादे |


गोप गुवालीन संग खेलहूँ ,मीत मितान बनाहूँ|

संसो  झन करबे वो दाई,खेल कूद घर आहूँ|

पहिरा  ओढ़ा  करदे  दाई ,किसन बरन तैं चोला|

रही रही के कही सबो झन,कान्हा करिया मोला|

पाँव ददा दाई के परहूँ ,मिलही मोला मेवा |

बइरी मन ला मार भगाहूँ,करहूँ सबके सेवा|

दया मया ला बाँटत फिरहूँ ,दाई आस पुरादे।

हाथ थमादे बँसुरी दाई,मोला किसन बनादे |


जीतेंद्र वर्मा "खैरझिटिया "

बालको (कोरबा )

💐💐💐💐💐💐💐💐💐

 शोभमोहन श्रीवास्तव:  *कृष्ण जन्माष्टमी के हार्दिक बधाई* 


 *जनमे बनवारी* 

(प्रभावती चर्चरीछंद) 



मणि जड़ाय सोन थार,दियना रिगबिग मँझार।

मंगल करसा सँवार, धर धर नर नारी।

मन हुलास बहत धार, बोलत जय बार बार,

रंग रंग के कर सिंगार, खड़े हें दुवारी।।

घंटा घन घनन घोर, झालर झन झन झकोर,

सुन भीजत पोर पोर, गदगद हिय भारी।।

दमउ दफड़ा दमोर, छन्न छन्न छन्न शोर,

भँवरत माते विभोर, कुलक जात वारी।।

चूमत निच्चट निहार, गिंधिया गिंधिया दुलार, 

शोभामोहन अधार, जनमे बनवारी। 


शोभामोहन श्रीवास्तव

💐💐💐💐💐💐💐💐

आशा देशमुख: *कृष्ण जन्माष्टमी के हार्दिक बधाई*🌷🙏



चौपाई छन्द जन्मष्टमी


कृष्ण कन्हैया


आये तिथि शुभ अष्टमी,  लिये कृष्ण अवतार। 

दुनिया ले सब दुख मिटे, पाये गीता सार।।


जनम धरे हे किशन कन्हैया। घर घर बाजत हवय बधैया।। 

बलदाऊ के छोटे भइया, मातु जसोदा लेत बलैया।। 


नाचत हें ब्रज के नर नारी। सोन रतन धर थारी थारी। 

झुलना झूले किशन मुरारी। बाजे ढोल मँजीरा तारी।। 


ध्वजा पताका तोरण साजे। गली गली घर बाजा बाजे। 

खुशी मनावैं सबो डहर मा, गाँव गाँव अउ शहर शहर मा।। 


समय आय हे मंगलकारी। भागत हे दुख विपदा कारी। 

 मुस्कावत हे कृष्ण मुरारी। रोग शोक सब भय भव हारी।। 


मन ला मोहत हे नंद लाला। आजू बाजू गोप गुवाला।। 

मातु जसोदा गोदी पाये। मोती माणिक रतन लुटावे।। 


ब्रजनारी मन सोहर गावैं। देवन सबो सुने बर आवैं।। 

बड़े भाग पाए ब्रजवासी। इंखर घर आये सुखरासी।।


दूध दही के धारा बोहय। खुशी मगन शुभ घर घर सोहय। 

लीलाधर के महिमा भारी।  माया रचथे मंगलकारी।। 


सबो डहर नाचे खुशी, भरे मगन आनंद। 

भरे भरे धरती लगय, आये सुषमाकंद।। 



आशा देशमुख

एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा

💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

*नन्द लाला - हरिगीतिका छंद*


हे नन्द लाला तोर ये,मुरली घलो बइरी बने।

दिन रात मँय हाँ सोंचके,गुन गाँव मँय मन ही मने।।

घर द्वार मोला भाय नइ,सुन तोर मुरली तान ला।

मँय घूमथँव घर छोड़ के,कान्हा इहाँ अन पान ला।।


जमुना नदी के पार मा,काबर तहूँ इतराय रे।

चोरी करे कपड़ा तहूँ,अउ डार मा लटकाय रे।।

हम लाज मा शरमात हन,तँय हाँस के बिजराय रे।

अइसन ठिठोली छोड़ दे,अब जीव हा करलाय रे।।


ए राधिका सुन बात ला,तँय मोर हिरदे छाय हस।

मोरे मया ला पाय के,गजबे तहूँ इतराय हस।।

राधा बने तँय श्याम के,ये देख दुनिया जानथे।

राधा बिना नइ श्याम हे,अब संग मा पहिचान थे।।


रचनाकार:-

बोधन राम निषादराज"विनायक"

सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)

💐💐💐💐💐💐💐💐

पुरुषोत्तम ठेठवार: *हे गिरधारी ले ले,तॅंय अवतार*

*(बरवै छंद)*


हे गिरधारी ले ले, तॅंय अवतार।

सकल जगत मा घपटे,विपदा टार।।


  छोट गोठ बर होवय,भारी रार।

  जग मा अबड़ मचे हे, हाहाकार।।


बेटी बहन के खूब,लुटाये मान।

भाई बनके आजा,दया निधान।।


 ‌‌ हे गिरधर बनवारी,किशन मुरार।

पाप ताप ला जग ले, लउहा टार।।


   ‌‌ छिन छिन बाढ़त हावै, अत्याचार।

   ‌ पापी मन ला किशना, तुरते मार।।


 गउ माता रोवत हे,आंख उघार।

हर ले गउ के दुख ला, खेवनहार।।


   मुरली मीठ बजाके, हर ले पाप।

  तान सुना दे सुग्घर,हर संताप।।


     ‌भेदभाव के खचवा,किशना पाट।

   चलॅंय सबो झन सुग्घर,सत के बाट।।


ठेठवार के विनंती, बारंबार।

जग ले करदे मोहन, बेड़ा पार।।


*रचना*

*पुरुषोत्तम ठेठवार*

*धरमजयगढ़*

💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐

 अशोक कुमार जायसवाल: *जन्माष्टमी के हार्दिक बधाई*

*कज्जल छंद*


आजा कान्हा नंद लाल |

संग खेलबो ग्वाल बाल |

अबड़ झूलबो कदम डाल |

सबो रेंगबो एक चाल ||


जाके यमुना के कछार |

गेंद खेलबो उछल पार |

हसीं ठिठोली कई बार |

पाबो जिनगी जनम सार ||


राधा जाही हमर साथ |

सखी विशाखा धरे हाथ |

चंदन रोली लगे माथ |

देखत होही मगन नाथ ||


गोपी ग्वाला करे बात |

सुमिरन करथन तोर पात |

सुगम बनावव खेल आप |

जेहर मन मा रहय छाप ||


सुनके कान्हा कहे बात |

यमुना रइथे साँप घात |

जम्मो पानी घुरे ताप |

छोड़व यमुना के अलाप ||


यमुना पानी जहर होय |

कतको मनखे जान खोय |

चुपके डसथे साँप सोय |

यमराज काल ला पठोय ||


मन नाथे नइये नकेल |

खेले माढ़य नहीं खेल |

यमुना तट हे हेल मेल |

संग खेलबो सब सकेल ||


अशोक कुमार जायसवाल

भाटापारा

💐💐💐💐💐💐💐💐💐

No comments:

Post a Comment