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Monday, September 11, 2023

शिक्षक दिवस विशेष

 शिक्षक दिवस विशेष


मनहरण घनाक्षरी         

                  शिक्षक


ज्ञान ले महान दान ,खोजें म मिलय नही

सुखमय जीवन के,देत तरकीब जी

प्रलय अउ निर्माण,गोद म खेले जेकर

नमन शिक्षक जेहा, दिल के करीब जी

जिनगी आकार देत,लक्ष्य ल सकार करे

बताए  ज्ञान विज्ञान  , विचित्र अजीब जी

विषय सरल बना,अभ्यास कराय रोज

मिलय आशीर्वाद वो, हे खुशनसीब जी

अज्ञानी ज्ञानी बने, रात दिन प्रयास ले

ईंट ले ताज बनाय, होथे शिल्पकार जी

गीली मिट्टी  ठोक पीट, नवा प्रयोग करथे

रूप अउ अकार दे,होथे वो कुम्हार जी

मंजिल म पहुंचाए, खुद रथे जमीन म

जिये ब रद्दा देखाय,देत डांट प्यार जी

हवा अउ तूफान ले, नाव ल बचाय रखे

तूफान  ले लड़े ब, सिखाथे मल्हार जी

                           बेदराम पटेल

                      बेलरगोंदी(छुरिया)

                       राजनांदगांव

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 कुण्डलिया छन्द 


*बानी गुरु के सार हे, जानत सकल जहान।*

*देवत हवै अँजोर जी, सब ला एक समान।।*

*सब ला एक समान, चलव सब लेलव दीक्षा।*

*करलौ गुरु के ध्यान, तभे जी मिलही शिक्षा।।*

*महिमा ला जी जान, सफल होही जिनगानी।*

*जिनगी बनही तोर, मिलय गुरु अमरित बानी।।*


*आपमन के शिष्य*

*राजकुमार निषाद"राज"*

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सरसी छंद गीत- *शिक्षक*


शिक्षक शिक्षा के दीपक बन, बाँटय ज्ञान प्रकाश।

अनगढ़ माटी के चोला ला, देवय रूप तराश।।


प्रथम पिता माता हे शिक्षक, बात रखौ ये भान।

जेन पढ़ावय क ख ग घ हमला, दूजा शिक्षक मान।।

तिसरइया उन सब शिक्षक ये, जे बाँधय मन आस।

शिक्षक शिक्षा के दीपक बन, बाँटय ज्ञान प्रकाश।।1


बुरा भला के भेद बतावय, रीति नीति संस्कार।

परहित सेवा धर्म परायण, बाँटय भाव विचार।।

शिक्षक के शिक्षा से संभव, सभ्य समाज विकास।

शिक्षक शिक्षा के दीपक बन, बाँटय ज्ञान प्रकाश।।2


ढ़ोंग रूढ़ि पाखंडवाद ले, करथे सदा सचेत।

शिक्षा के आगे नतमस्तक, जादू टोना प्रेत।।

शिक्षक शिक्षा ले ही करथे, मन के भरम विनास।।

शिक्षक शिक्षा के दीपक बन, बाँटय ज्ञान प्रकाश।।3


🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"

बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 05/09/2023

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विष्णुपद छंद


बिन स्वारथ के ज्ञान जगत मा, वो बगरावत हे।

रोज छात्र मन ला शिक्षक हा, खूब पढ़ावत हे।।


पढ़ा रोज लइका ला शिक्षक, देवय ज्ञान इहाँ।

परमारथ बर जिनगी अर्पित, काम महान इहाँ।।


जइसे बरसा ये भुइँया के, प्यास बुझावत हे।

जइसे रद्दा मनखे मन ला, घर पहुँचावत हे।।


नदी कुआँ अउ रुखराई, पर सेवा करथे।

जंगल पर्वत खेतीबारी, सबके दुख हरथे।।


माटी के लोंदा ला सुग्घर, दे आकार इहाँ।

आनी बानी जिनिस बनाथे, रोज कुम्हार इहाँ।।


शिक्षक हा शिक्षक के शिक्षक, लइका  मास्टर हे।

नेता अधिकारी वकील अउ, कोनो डॉक्टर हे।।


ज्ञानुदास मानिकपुरी

चंदेनी- कवर्धा

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केंवरायदु: मनहरण घनाक्षरी


माता हे प्रथम गुरू, बोले के कराये शुरू,

चरण में महतारी ,तोरो प्रणाम हे।


गुरू ज्ञान सागर हे,छलकत गागर हे,

माथा हे चरण में, बड़ पुन काम हे।


क ख ग घ पढ़ा पढ़ा,तोला देथे गुरू बढ़ा,

गोविंद ले गुरू बड़े,पाँव चारो धाम हे।


पाले गुरू तिर ज्ञान,होही गा तोर कल्याण,

जग में गुरू के सँग, चमकत नाम हे।


केवरा यदु"मीरा"राजिम

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[9/5, 5:25 PM] डी पी लहरे: *चौपाई छन्द*

*शिक्षक दिवस के नँगत बधाई अउ मंगल कामना*


भव सागर ले पार लगाथे,

भटकन नइ दय राह दिखाथे।

ज्ञान सीख अमरित बरसाथे,

जिनगी सबके सुफल बनाथे]]१


हवय गुरू के महिमा भारी,

खूब निभावय जिम्मेदारी।

गुरू मिटावय जग अँधियारी,

करय गुरू जिनगी उजियारी]]२


सत रद्दा ला गुरू धराथे।

सहीं गलत पहिचान कराथे।

शिक्षा गंगा ला बोहाथे,

अँधियारी ला दूर भगाथे]]३


गुरू बचन ला मन मा धरलौ,

मन के खाली कोठी भरलौ।

गुरू देव के सेवा करलौ।

ज्ञान सीख ले चोला तरलौ]]४


गुरू हवय जी बड़का देवा,

ज्ञान सीख के देय कलेवा।

करय गुरू के जे जन सेवा,

निसदिन पावय शिक्षा मेवा]]५


गुरू दरश ला निसदिन पा लौ,

गुरू ज्ञान के गुन ला गा लौ।

काया माया फूल चढ़ालौ

गुरू चरन मा माथ नवालौ]]६


           *दोहा*

गुरू सीख अनमोल हे,कर दय बेड़ा पार।

भाव भजन मन मा रखौ,मिटही क्लेश विकार।।


डी.पी.लहरे'मौज'

कवर्धा छत्तीसगढ़

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शिक्षक ला गुरुजी कहन, गुरुकुल कस स्कूल।

बड़का  कक्षा  मा  तहाँ,   गुरुजी  कहना  भूल।।

गुरुजी कहना भूल, 'कांत' सीखे 'सर' कहना।

गलती  करन  कबूल,  परय थपरा तक सहना।।

पा   उंखर  आसीस,  बनिन  विद्वान समीक्षक।

तुँहर  चरण  मैं  शीश, नवावँव  गुरुवर शिक्षक।।


सूर्यकान्त गुप्ता, सिंधिया नगर दुर्ग(छ.ग.)

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तुल्य ईश्वर आप गुरुजी , बाॅंटते नित ज्ञान हो ।

पथ प्रदर्शक भाग्य दाता , ये जगत के प्राण हो ।।

जो शरण में आपके हैं , वो कहाॅं नादान हैं ।

पा गये हैं भर खजाना , देख लो धनवान हैं ।।


✍️ ओम प्रकाश पात्रे "ओम "🙏

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शोभन छन्द - गुरुदेव (०५/०९/२०२३)


ज्ञान के दियना जलाके , जग करय उजियार ।

पार नइया ला लगावय , वो हरय पतवार ।।

ज्ञान गुन आशीष देथे , चैन सुख अउ छाॅंव ।

हे बड़े गुरुदेव जग मा , रोज परलव पाॅंव ।।


✍️ ओम प्रकाश पात्रे "ओम "🙏

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