अमृत ध्वनि छ्न्द
दीदी बहिनी लाय जा , आगे तीज तिहार ।
भाँची भाँचा आ जही,लेजा मोटर कार।।
लेजा मोटर, कार सड़क के, तीरे तीरे।
अलहन झन हो ,जाय चलाबे,धीरे धीरे।।
मँयदा सूजी,कनकी आँटा,चाले छलनी।
कटवा भजिया,खुरमा राँधय, दीदी बहिनी।।
शक्कर पारा हे बने, लागे बढ़िया मीठ।
लड्डू पेंडा़ खाय बड़,मन नइ माने ढीठ।।
मन नइ माने,ढीठ अबड़ हे,लालच करथे।
जिहाँ देखथे ,रसा मलाई ,दउँडे़ परथे।।
बरा ठेठरी, अईरसा हे, अउ हे खारा।
हे सोंहारी, बर्तन थारी, शक्कर पारा।।
तातू राम धीवर
भैंसबोड़ जिला धमतरी ✍️
मो.6267792997
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सरसी छंद गीत- *छत्तिसगढ़ के शान*
फरा ठेठरी खुरमी मुठिया, चौसेला पकवान।
अंगाकर रोटी हा भइया, छत्तिसगढ़ के शान।।
परब हरेली तीजा पोरा, सब ला गजब सुहाय।
राखी होली दीवाली मा, घर अँगना ममहाय।।
खुशी उमंग तिहार कहाइस, अउ पुरखा के मान।
अंगाकर रोटी हा भइया, छत्तिसगढ़ के शान।।
करी अइरसा कतरा पकुवा, मालपुआ के स्वाद।
खाजा कुसली खा ले करबे, जिनगी भर तँय याद।।
कहाँ मिठाई अइसन पाबे, हाट बजार दुकान।
अंगाकर रोटी हा भइया, छत्तिसगढ़ के शान।।
पाख पितर पुरखा बर तर्पण, भक्ति श्राद्ध अउ भोग।
बरा बोबरा बटिया पपची, खूब खिलावँय लोग।
गुलुल गुलुल चीला भजिया ला, खावय हमर सियान।
अंगाकर रोटी हा भइया, छत्तिसगढ़ के शान।।
🖊️इंजी. गजानंद पात्रे "सत्यबोध"
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 05/09/2023
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शोभन छन्द - खीर सोंहारी (०४/०९/२०२३)
खीर सोंहारी चुरे हे , तीज तिहार आय ।
ठेठरी खुरमी बरा ला , देख मन ललचाय ।।
ये हमर खाई खजेनी , पेट भर भर खाव ।
नइ मिलय अइसन दुबारा , बाद झन पछताव ।।
ओम प्रकाश पात्रे "ओम "
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सार छंद
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हर तिहार के बेरा घर घर,बनँय ठेठरी खुरमी।
जिंकर पिरीत परोसा लावँय,हर रिश्ता मा गरमी।।
खाजा पपची बिड़िया देखत,आवँय मुँह मा पानी।
जेला खा बुढ़वा चोला मा,छावँय तुरत जवानी।।
बर बिहाव पंगत के शोभा,लाड़ू बने करी के।
खाके जिया अघावँय कसरत,होय दाँत अँगरी के।।
सबो कलेवा पहुना खातिर,सजें एक थारी मा।
छलकँय मया मजा बड़ आवय,तब दुनियादारी मा।।
किसम किसम के रोटी पीठा,हरँय हमर चिन्हारी।
भरय कलेवा कोठी हर घर,छत्तिसगढ़ महतारी।।
दीपक निषाद--लाटा (भिंभौरी)-बेमेतरा
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