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Monday, September 11, 2023

भाजी

 भाजी


छत्तीसगढ़ के भाजी कतका गुणकारी हवै


*भाजी*

*जयकारी छंद*


चेंच अमारी अउ बोहार। कुलफा भाजी काँदा नार।। 

देख भागथे गैस विकार।खाव सुघर सब्बो परिवार।। 


दही-मही कुरमा मा डाल। मेथी पालक भाजी लाल।। 

बथवा गुड़रू हवय सुकाल। काया बर बनथे गा ढाल।। 


गुमी चरोटा बूटी आय। मुरई भाजी गजब सुहाय।। 

रोग पीलिया तको भगाय। चुनचुनिया हा पेट पचाय।। 


तिवरा उरीद के हे नाम। खेढ़ा करथे दूर जुकाम।। 

रक्त चाप हा बाढ़े जाय।भाजी सहजन दूर भगाय।। 


मेला मड़ई हाट बजार। लान करमता भूँज बघार।। 

मुँह के छाला उँकर मिटाय।चाट-चाट जे मनखे खाय।। 


भाजी मखना गुरतुर स्वाद। बाल झड़े रोके के खाद।। 

चना चनौरी गजब मिठास। सुघर बढ़ाथे सबके आस।। 


पोई भाजी खून बढ़ाय। तिनपनिया लू शांत कराय।। 

कुलथी पथरी रोग भगाय।गोल जोड़ के दरद मिटाय।। 


पटवा केनी कुसमी प्याज ।रखथे सबके सुघर मिजाज।। 

बर्रे मा मिनरल भरपूर। डाल कोचई मा अमचूर।। 


मछेरिया मुसकेनी खाव।चौलाई के गुण ला गाव।। 

खूब विटामिन हवय भराय ।मुरहा मा ताकत आ जाय।।

विजेंद्र

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सार छंद(गीत)-भाजी साग खवादे


रोज रोज के भाँटा आलू,लगगे अब बिट्टासी।

खाये के हावै मन जोही,भाजी के सँग बासी।


चना चनौरी चेंच चरोटा,चौलाई चुनचुनिया।

मुसकेनी मेथी अउ मुनगा,मुरई मास्टर लुनिया।

कुरमा कांदा कुसमी कुल्थी,कोचाई करमत्ता।

गुमी लाखड़ी गोभी बर्रे,बरबट्टी के पत्ता।

प्याज अमारी पटवा पालक,सरसो के मैं दासी।

खाये के हावै मन जोही,भाजी के सँग बासी।।


रोपा गुड़रू मखना झुरगा,कजरा कुसुम करेला।

पोई अउ बोहार जरी के,हरौं बही मैं चेला।।

उरिद लाल चिरचिरा खोटनी,कोइलार तिनपनिया।

भथुवा पहुना लहसुनवा खा, चलहूँ छाती तनिया।

भूँज बघार बनाबे बढ़िया,अड़बड़ लगे ललासी।

खाये के हावै मन जोही,भाजी के सँग बासी।।


खेत खार बारी बखरी ले,झट लाबों चल टोरी।

खनिज लवण अउ रथे विटामिन,दुरिहाथे कमजोरी।

तेल बाँचही नून बाँचही,समय घलो बच जाही।

भाजी पाला ला खाये ले,तन मा ताकत आही।

भाजी कड़ही बरी खोइला,खाथे कोसल वासी।

खाये के हावै मन जोही,भाजी के सँग बासी।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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छत्तीसगढ़ के भाजी-खैरझिटिया


हमर राज के साग मा,भाजी पावय मान।

आगर दू कोरी हवै,सुनव लगाके कान।।


चना चनौरी चौलई,चेंच चरोटा लाल।

चुनचुनिया बर्रे कुसुम,खाव उँचाके भाल।


मुसकेनी मेथी गुमी,मुरई मास्टर प्याज।

तिनपनिया अउ लहसुवा,करे हाट मा राज।


खाव खोटनी खेड़हा, खरतरिहा बन जाव।

पटवा पालक ला झड़क,तन के रोग भगाव।


कुल्थी कांदा करमता,कजरा गोल उरीद।

कुरमा कुसमी कोचई,के हे कई मुरीद।।


झुरगा गोभी लाखड़ी,भथवा गुड़डू  टोर।

राँधव भूँज बखार के,महकै घर अउ खोर।


पोई अउ सरसो मिले,मिले अमारी साग।

मछेरिया बोहार के,बने बनाये भाग।।।


करू करेला के घलो,भाजी होथे खास।

रोपा पहुना बरबटी,आथे सबला रास।।


मखना मुनगा मा मिले,विटामीन भरपूर।

कोइलार लुनिया करे,कमजोरी ला दूर।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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