श्रीमती आशा देशमुख के दोहा छन्द-
पाय सहारा पेड़ के ,अमरबेल इतराय
बिन पानी बिन खाद के ,फुनगी डारा छाय ।
देवारी के बड़ बुता ,लगे हवव दिन रात
साहित कहिथे सुन सखी ,करले थोकिन बात|
सुघ्घर दोहा पाठ के ,सब करव सुरूवात
साहित हे बड़ साधना ,नोहय भाजी भात|
पउवा तोरे प्रेम मा ,मिटय धरम ईमान
कतको मिटगे गौटिया ,कतको मिटगे शान |
अब गच्छी घर घर दिखे ,छानी सबो नंदाय
तब कुम्हार बपरा घलो ,कैसे दिया बनाय ।
आवव निशदिन पाठ मा ,सुघ्घर सीखव छंद
साहित के परसाद लौ ,पावौ परमानन्द।
झूठ लबारी तौल मा ,पेपर तउले आज
आशा चुप बइठे रहे ,देखे छल के काज।
डिस्टेम्पर के राज मा ,चूना कहाँ लुकाय
ठग जग स्वारथ के इहाँ ,कभू कभू दिख जाय।
कइसन दिन आये इहाँ ,नई मिलय बनिहार
फोकट के चाउर मिले ,जांगर हे बेकार।
सादा करिया धन इहाँ ,काबर लोग लुकाय
असली धन तो खेत मा ,खड़े खड़े मुस्काय |
सुख दुख इक सम जानके ,रहो धरम के साथ
सकल करम का खेल है ,लिखे विधाता माथ।
हमर हाट बाज़ार मा ,चीन करे व्यापार
बैठ के हमर मान ल ,करत हे तिरिस्कार।
ताल तलैया घाट मा ,सुख दुख बांटे गाँव
घर गली अऊ देहरी ,दया मया के छाँव।
सँउहत हावय खेत मा ,अन्नपूर्णा के वास
सबले बड़े किसान हे ,हल हे वोकर पास।
पीपर वेद कहे पीपर तरी ,वासुदेव के वास
एकर से सबला मिले ,प्राण वायु परकास।
डारा पाना लीम के ,सबो दवा बन जाय
रोज मुखारी से कभू ,दाँत रोग नहि आय।
आज बिहनिया छंद मा ,मिले नई कुछ काम
लागत हे दीदी घलो ,जपे राम के नाम ।
लाँघन भूखन चुप रहे ,खावत ही नरियाय
एक पहेली में कहों ,जॉता नाम कहाय ।
पीसत हे गेंहूँ चना ,पीसय चाउर दार
जॉता तोरे दाँत मा ,हावय अब्बड़ धार ।
माटी के दियना कहे ,सुन कुम्हार तैँ बात
ये दुनियां माटी हरे ,सब माटी के जात।
माटी के दियना धरे ,चले कुम्हार बजार
दिया तोर परताप मा ,चलय मोर परिवार।
धनतेरस के दिन करव ,घर अँगना उजियार
लछमी दाई देख के ,आही तुंहर दुवार।
धनतेरस के दिन लिए ,धनवंतरी अवतार
जग ला पहिली बैद मिलिस ,मानो सब उपकार।
खोर गली अँगना सबो ,होवत हे उजियार
करलव सब शुभकामना ,यम के दियना बार ।
छंदकार : श्रीमती आशा देशमुख , कोरबा
रचना अवधि = १५ अक्तूबर २०१६ से ३१ अक्तूबर २०१६
पाय सहारा पेड़ के ,अमरबेल इतराय
बिन पानी बिन खाद के ,फुनगी डारा छाय ।
देवारी के बड़ बुता ,लगे हवव दिन रात
साहित कहिथे सुन सखी ,करले थोकिन बात|
सुघ्घर दोहा पाठ के ,सब करव सुरूवात
साहित हे बड़ साधना ,नोहय भाजी भात|
पउवा तोरे प्रेम मा ,मिटय धरम ईमान
कतको मिटगे गौटिया ,कतको मिटगे शान |
अब गच्छी घर घर दिखे ,छानी सबो नंदाय
तब कुम्हार बपरा घलो ,कैसे दिया बनाय ।
आवव निशदिन पाठ मा ,सुघ्घर सीखव छंद
साहित के परसाद लौ ,पावौ परमानन्द।
झूठ लबारी तौल मा ,पेपर तउले आज
आशा चुप बइठे रहे ,देखे छल के काज।
डिस्टेम्पर के राज मा ,चूना कहाँ लुकाय
ठग जग स्वारथ के इहाँ ,कभू कभू दिख जाय।
कइसन दिन आये इहाँ ,नई मिलय बनिहार
फोकट के चाउर मिले ,जांगर हे बेकार।
सादा करिया धन इहाँ ,काबर लोग लुकाय
असली धन तो खेत मा ,खड़े खड़े मुस्काय |
सुख दुख इक सम जानके ,रहो धरम के साथ
सकल करम का खेल है ,लिखे विधाता माथ।
हमर हाट बाज़ार मा ,चीन करे व्यापार
बैठ के हमर मान ल ,करत हे तिरिस्कार।
ताल तलैया घाट मा ,सुख दुख बांटे गाँव
घर गली अऊ देहरी ,दया मया के छाँव।
सँउहत हावय खेत मा ,अन्नपूर्णा के वास
सबले बड़े किसान हे ,हल हे वोकर पास।
पीपर वेद कहे पीपर तरी ,वासुदेव के वास
एकर से सबला मिले ,प्राण वायु परकास।
डारा पाना लीम के ,सबो दवा बन जाय
रोज मुखारी से कभू ,दाँत रोग नहि आय।
आज बिहनिया छंद मा ,मिले नई कुछ काम
लागत हे दीदी घलो ,जपे राम के नाम ।
लाँघन भूखन चुप रहे ,खावत ही नरियाय
एक पहेली में कहों ,जॉता नाम कहाय ।
पीसत हे गेंहूँ चना ,पीसय चाउर दार
जॉता तोरे दाँत मा ,हावय अब्बड़ धार ।
माटी के दियना कहे ,सुन कुम्हार तैँ बात
ये दुनियां माटी हरे ,सब माटी के जात।
माटी के दियना धरे ,चले कुम्हार बजार
दिया तोर परताप मा ,चलय मोर परिवार।
धनतेरस के दिन करव ,घर अँगना उजियार
लछमी दाई देख के ,आही तुंहर दुवार।
धनतेरस के दिन लिए ,धनवंतरी अवतार
जग ला पहिली बैद मिलिस ,मानो सब उपकार।
खोर गली अँगना सबो ,होवत हे उजियार
करलव सब शुभकामना ,यम के दियना बार ।
छंदकार : श्रीमती आशा देशमुख , कोरबा
रचना अवधि = १५ अक्तूबर २०१६ से ३१ अक्तूबर २०१६
गजब सुघ्घर दोहा,,
ReplyDeleteसुंदर
ReplyDeleteसुंदर
ReplyDeleteबहुत सुंदर दोहा आशा दीदी
ReplyDeleteअनूठा संग्रह!! गुरुदेव को प्रणाम और आशा दीदी को सुंदर दोहे के लिए बधाई।।
ReplyDeleteअनूठा संग्रह!! गुरुदेव को प्रणाम और आशा दीदी को सुंदर दोहे के लिए बधाई।।
ReplyDeleteअनमोल संग्रह गुरुदेव ल सादर प्रणाम
ReplyDeleteसुन्दर दोहावली बर आशा दीदी ल बधाई
छंद के छ के अनमोल धरोहर हम सब के थाती बर गुरूदेव ल साभार धन्यवाद अउ बड़ सुग्घर दोहावली बर आशा दीदी ल बधाई ..
ReplyDeleteबड़ सुग्घर दोहालरी दीदी जी।
ReplyDeleteश्री मती आशा देशमुख जी के विविध भाव उपर आधारित विधान सम्मत अनुपम दोहावली।
Deleteदेशमुख जी ला हार्दिक बधाई।
वाह्ह्ह्ह्ह् दीदी ला सुंदर रचना बर बधाई अउ गुरुजी के भगीरथ प्रयास ला सादर नमन
ReplyDeleteसादर आभार नमन गुरुदेव
ReplyDeleteआपके उपकार के मैं कृतज्ञ हँव गुरुदेव।
सादर चरण वंदन गुरुवर।
दीदी ला सुग्घर रचना बर सादर बधाई अउ प्रणाम
ReplyDeleteदीदी ला सुग्घर रचना बर सादर बधाई अउ प्रणाम
ReplyDeleteबहुँत बढ़िया दीदी...
ReplyDeleteबहुँत बढ़िया दीदी...
ReplyDeleteबहुत सुग्घर सुग्घर दोहा लिखे हव आशा दीदी। बधाई।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया दोहा छन्द आशा दीदी
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