श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर के दोहा छन्द -
मोर परिचय -
बेटा दाऊलाल के,मातु सुमित्रा मोर।
नाव धरे सुखदेव सिंह,मोरे बबा अँजोर।
देख मया माँ बाप के,उँकर मया के डोर।
आँखी के सँउहे रखैं,निकलन नइ दैं खोर।
स्कूल रहै ना गाँव मा,घर मा ददा पढ़ाय।
कोरा मा बइठार के,सिलहट कलम धराय।
बूता करवँ पढ़ाय के,गुरुजी परगे नाँव।
झिरना के भंडार मा,गोरखपुर हे गाँव।
लिखत रथवँ मन भाव ला,नान्हे बुद्धि लगाय।
होय कृपा सतनाम के,सो गुरुदेव मिलाय।
करिन निगम गुरुदेव मन,बिनती ला स्वीकार।
फोन करिस सर हेम हा,होइस खुशी अपार।
पाये हवँ सानिध्य ला,तरसत हवयँ हजार।
जनकवि कोदूराम के,सूरुज अरुण कुमार।
दोहा
अँगना बारी डीह मा,या डोली के मेंड़।
भुँइया के सिंगार बर,सिरजालौ दू पेंड़।
गरुवा के दैहान मा,या तरिया के पार।
झाड़ लगावत साठ जी,रूँधौ काँटा तार।
बड़ महिमा हे पेंड़ के,कोटिन गुण के खान।
कर सेवा नित पेंड़ के,खच्चित हे कल्यान।
"होली"
शहर नगर अउ गाँव मन,होगे हे तइयार।
होली ला परघाय बर,सम्हरे हाट बजार।
पिचका रंग गुलाल के,जघा जघा भरमार।
लइका संग सियान के,रेम लगे हे झार।
घर अँगना ममहात हे,चूरत हे पकवान।
मुठवा खुरमी ठेठरी,भजिया चना पिसान।
टोली निकले खोर मा,अलग अलग हे रंग।
कोनो मन सिधवा लगैं,कोनो मन हुड़दंग।
माथा टीका लगाय के,छूवत हावय पाँव।
अइसन सुग्घर दृश्य ला,देख सहेजे गाँव।
छोड़व मन के भेद ला,टोरव भ्रम के जाल।
मन हिरदे चतवार के,पोतव रंग गुलाल।
मानवता सिरजाय बर,आथे सबो तिहार।
मनखे पन ला छोड़ के,लड़ना हे बेकार।
सखियन मन के बीच मा,उत्तर पाय सवाल।
आँख कान ला छोड़ के,रँगले गाल गुलाल।
"बासी"
भइया नांगर जोत के,बइठे जउने छाँव।
भउजी बासी ला धरे,पहुँचे तउने ठाँव।
भइया भउजी ला कहय,लउहा गठरी छोर।
लाल गोंदली हेर के,लेय हथेरी फोर।
बासी नून अथान ला,देय गहिरही ढार।
उँखरु बइठ के खात हे,मार मार चटकार।
भइया भउजी के मया,पुरवाही फइलाय।
चटनी बासी नून कस,सबके मन ला भाय।
"दारू"
दारू हमर समाज के,टोरत हावय रीढ़।
तभो मान मरजाद ला,लागत नइहे चीढ़।
पीके कहूँ शराब तयँ,धन करबे बरबाद।
बाई गारी देय ही,खिसियाही अवलाद।
तोर नशा के संग मा,जाही छूट परान।
समय रहत तयँ चेत जा,इही बबा के ज्ञान।
पीये कहूँ शराब तयँ,लोटा थारी बेंच।
बेटा बूढ़त काल मा,तोर चपकही घेंच।
कोन जनी का सोंच मा,जागत सारी रात।
खाँस खाँस के डोकरा,बीड़ी ला सिपचात।
गाँव गली मा आज कल,मिलथे नशा तमाम।
लइकन संग सियान मन,छलकावत हें जाम।
डिस्पोजल बोतल धरे,बइठे नरवा तीर।
आखिर युवा हमार गा,जाही कतका गीर।
दोहा:-
बउरत खानी चेत कर,पानी गजब अमोल।
बिन पानी जिनगी नही,जीबे कइसे बोल।।
सुन संगी एक मशविरा,त्याग अहं अभिमान।
धरले गुरु के गोठ ला,बइठ लगा ले ध्यान।।
सक्षम समरथ सैन्य बल,बादर लेवय नाप।
दुनिया देखत आज हे,भारत के परताप।
काबर किम्मत नइ करै,अपन बबा के गोठ।
बदरा बर किँजरत फिरै,छोड़य दाना पोठ।
बेटा काबर नइ सुनय,अपन ददा के बात।
किँजरत फिरथे खोर मा,नाहक खाथे लात।
नींद गँवागे बाप के,दुरिहागे सुख चैन।
रोवत रहिथे रात भर,बोहत रहिथे नैन।
दाई समझावत थके,बाप घलो गै हार।
बड़े ददा थकगे कका,थकगे सब परिवार।
नाव हवय सुखदेव सिंह,गोरखपुर हे गांव।
हाथ जोर बिनती करव,रखहु अशिष के छाँव।
मोर बुता शिक्षण हवै,नइहे दूसर काम।
नान मून लिखत रथौं,बड़का नइहे नाम।
पुरवा महक बिखेरही,सुरता आही कंत।
हटही पहरा जाड़ के,आगे नवा बसंत।।
चारो कोती फूल के,गंध हवा मा छाय।
पुरवाही के संग मा,तन मन हा ममहाय।
"अँगना"
अँगना ले घर हा फबे,अँगना घर के नाक।
आव जवइया बइठ ले,कहिके पारै हांक।
चिक्कन चाँदन राखले,अँगना तुलसी दूब।
देख मगन हो जाय मन,बइठ सुहावै खूब।
मदिरा महुरा एक हे,एक हवय गा रास।
तन मन धन के होत हे,इँकरे कारन नाश।
"भाजी""
खाले भाजी करमता,भाजी मा हे खास।
गुणकारी हे आँख बर,संगे सुघर मिठास।
भाजी रांधौ चेंच के,डार अमारी पान।
गुणकारी हे पेट बर,बात बबा के मान।
भाजी उरला हा घलो,बड़ गुणकारी आय।
नस मा दउड़त खून के,शक्कर ला हटियाय।
"लोटा"
घर आये महिमान ला,लोटा मा जल देव।
आसन मा बइठार के,राम रमउवा लेव।
शौचालय घर घर रहै,बड़ सुग्घर अभियान।
लोटा धरके जाव झन,बात सियानी मान।
खुला शौच के प्रश्न मा,काबर हावव मौन।
लोटा धरके जाय बर,छोड़व गा सिरतोन।
टठिया लोटा बेच के,पीयै दारू मंद।
ते प्रानी के जान ले,दिन बाचे हे चंद।
सुखदेव सिंह अहिलेश्वर 'अँजोर"
गोरखपुर, कवर्धा (छत्तीसगढ़)
बहुत बढ़िया दोहा सुखदेव भाई
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद प्रणाम दीदी
Deleteबड़ सुग्घर परिचय के संग दोहालरी अहिलेश्वर जी।
ReplyDeleteसाभार धन्यवाद अमित सर जी
Deleteबड़ सुग्घर दोहा अहिलेश्वर जी। आप ला बहुँत बहुँत बधाई।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आदरणीय वर्मा सर जी
Deleteसुग्घर रचना भाई , विषयवार दोहावली वाह्ह्ह्ह्ह्
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय दुर्गा भैया
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय दुर्गा भैया
Deleteसुग्घर रचना भाई , विषयवार दोहावली वाह्ह्ह्ह्ह्
ReplyDeleteवाहःहः सुखदेव भाई
ReplyDeleteबहुतेच बढ़िया
सादर प्रणाम दीदी
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद
सादर प्रणाम दीदी
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद
सुग्घर दोहावली सुखदेव जी
ReplyDeleteगुरुदेव ये तो आपके आशीष आय।
Deleteसादर चरण वंदन
बहुँत सुघ्घर अहिलेश्वर भईया जी
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय अतनु सर जी
Deleteबहुँत सुघ्घर अहिलेश्वर भईया जी
ReplyDeleteकई प्रकार के विषय मा सुग्घर दोहावली हे,सुखदेव जी।बहुत बहुत बधाई अउ शुभकामना।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद आदरणीय मोहन
Deleteभैया आपके मया अउ सराहना खातिर
विविध विषय मा शानदार विधान सम्मत दोहा।
ReplyDeleteबधाई हो सुखदेव जी।
सादर प्रणाम आदरणीय बादल भैया
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद
बहुत बढ़िया दोहा सुखदेव जी
ReplyDeleteसादर धन्यवाद वर्मा जी
Deleteबहुत सुन्दर हे दोहा मनआपके सुखदेव भाई बधाई आप ला
ReplyDeleteसादर धन्यवाद मितान भैया
Deleteबहुत सुग्घर दोहावली सर।सादर बधाई
ReplyDeleteसादर धन्यवाद ज्ञानू सर जी
Deleteबहुत सुग्घर दोहावली सर।सादर बधाई
ReplyDeleteघातेच सुग्घर दोहावली अहिलेश्वर जी ।
ReplyDeleteघातेच सुग्घर दोहावली अहिलेश्वर जी ।
ReplyDeleteघातेच सुग्घर अहिलेश्वर जी
ReplyDeleteसादर धन्यवाद अजय "अमृतांशु" सर जी
Deleteघातेच सुग्घर अहिलेश्वर जी
ReplyDeleteशानदार दोहा सुखदेव गुरु
ReplyDeleteबधाई सुखदेव जी।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद "सत्यबोध"भैया जी
Deleteबधाई सुखदेव जी।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सर जी।
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