कविता गढ़ना काम हे, कवि के अतकी जान
जुग परिबर्तन ये करिस, बोलिन सबो सियान
बोलिन सबो सियान, इही दिखलावे दरपन
सुग्घर सुगढ़ बिचार, जगत बर कर दे अरपन
कविता- मा भर जान, सदा हे आगू बढ़ना
गोठ अरुण के मान, मयारू कविता गढ़ना ।।
जुग परिबर्तन ये करिस, बोलिन सबो सियान
बोलिन सबो सियान, इही दिखलावे दरपन
सुग्घर सुगढ़ बिचार, जगत बर कर दे अरपन
कविता- मा भर जान, सदा हे आगू बढ़ना
गोठ अरुण के मान, मयारू कविता गढ़ना ।।
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
बहुत ही सुन्दर कुंडली छंद गुरुदेव
ReplyDeleteसादर प्रणाम
पयलगी गुरुदेव,
ReplyDeleteउत्कृष्ट कुण्डली।
सादर प्रणाम गुरुदेव।
Deleteसुग्घर कुण्डलिया ।
सुग्घर कुण्डलिया ,बधाई दीदी
ReplyDeleteअब्बड़ सुघ्घर कुंडली गुरुदेव,सादर पायलागी
ReplyDeleteसुग्घर कुंडली छंद गुरुदेव।सादर प्रणाम
ReplyDeleteसुग्घर कुंडली छंद गुरुदेव।सादर प्रणाम
ReplyDeleteबहुँत सुघ्घर गुरुदेव
ReplyDeleteबहुँत सुघ्घर गुरुदेव
ReplyDeleteबहुत सुग्घर कुण्डलिया,गुरुदेव। सादर प्रणाम।
ReplyDeleteबहुत सुग्घर कुण्डलिया,गुरुदेव। सादर प्रणाम।
ReplyDeleteवाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् जबरदस्त कुण्डलियाँ गुरुदेव।
ReplyDeleteसुघ्घर छंद
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