अरुण कुमार निगम के दोहा छन्द -
दोहा छन्द के विधान
डाँड़ (पद) - २, ,चरन - ४
तुकांत के नियम - दू-दू डाँड़ के आखिर मा माने सम-सम चरन मा, बड़कू,नान्हें (२,१)
हर डाँड़ मा कुल मातरा – २४ , बिसम चरन मा मातरा – १३, सम चरन मा मातरा- ११
यति / बाधा – १३, ११ मातरा मा
खास- बिसम चरन के सुरु मा जगन मनाही.
बिसम चरन के आखिर मा सगन, रगन या नगन या नान्हें,बड़कू(१,२)
सम चरन के आखिर मा बड़कू,नान्हें (२,१)
बड़कू अउ नान्हें मातरा के गिनती के हिसाब से दोहा के २३ किसम होथे.
देसी-बिदेसी
मँय बासी हौं भात के, तँय मैदा के पाव
मँय गुनकारी हौं तभो, तोला मिलथे भाव |
मँय सेवैया-खीर हौं, तँय नूडल- चउमीन
मँय बनथौं परसाद रे, तोला खावैं छीन |
मँय चीला देहात के, मँय भर देथौं पेट
तँय तो खाली चाखना, अंडा के अमलेट |
मँय अंगाकर मस्त हौं, तँय पिज्जा अनमोल
अंदर बाहिर एक मँय , तँय पहिरे हस खोल |
स्वच्छ भारत अभियान
सहर गाँव मैदान – ला, चमचम ले चमकाव
गाँधी जी के सीख – ला , भइया सब अपनाव ||
लख-लख ले अँगना दिखै, चम-चम तीर-तखार
धरौ खराटा बाहरी, आवौ झारा - झार ||
भारत भर - मा चलत हवै , सफई के अभियान
जुरमिल करबो साफ हम , गली खोर खलिहान ||
आफिस रद्दा कोलकी , घर दुकान मैदान
रहैं साफ़ – सुथरा सदा, सफल होय अभियान ||
साफ - सफाई धरम हे , एमा कइसन लाज
रहै देस - मा स्वच्छता, सुग्घर स्वस्थ समाज ||
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
दोहा छन्द के विधान
डाँड़ (पद) - २, ,चरन - ४
तुकांत के नियम - दू-दू डाँड़ के आखिर मा माने सम-सम चरन मा, बड़कू,नान्हें (२,१)
हर डाँड़ मा कुल मातरा – २४ , बिसम चरन मा मातरा – १३, सम चरन मा मातरा- ११
यति / बाधा – १३, ११ मातरा मा
खास- बिसम चरन के सुरु मा जगन मनाही.
बिसम चरन के आखिर मा सगन, रगन या नगन या नान्हें,बड़कू(१,२)
सम चरन के आखिर मा बड़कू,नान्हें (२,१)
बड़कू अउ नान्हें मातरा के गिनती के हिसाब से दोहा के २३ किसम होथे.
देसी-बिदेसी
मँय बासी हौं भात के, तँय मैदा के पाव
मँय गुनकारी हौं तभो, तोला मिलथे भाव |
मँय सेवैया-खीर हौं, तँय नूडल- चउमीन
मँय बनथौं परसाद रे, तोला खावैं छीन |
मँय चीला देहात के, मँय भर देथौं पेट
तँय तो खाली चाखना, अंडा के अमलेट |
मँय अंगाकर मस्त हौं, तँय पिज्जा अनमोल
अंदर बाहिर एक मँय , तँय पहिरे हस खोल |
स्वच्छ भारत अभियान
सहर गाँव मैदान – ला, चमचम ले चमकाव
गाँधी जी के सीख – ला , भइया सब अपनाव ||
लख-लख ले अँगना दिखै, चम-चम तीर-तखार
धरौ खराटा बाहरी, आवौ झारा - झार ||
भारत भर - मा चलत हवै , सफई के अभियान
जुरमिल करबो साफ हम , गली खोर खलिहान ||
आफिस रद्दा कोलकी , घर दुकान मैदान
रहैं साफ़ – सुथरा सदा, सफल होय अभियान ||
साफ - सफाई धरम हे , एमा कइसन लाज
रहै देस - मा स्वच्छता, सुग्घर स्वस्थ समाज ||
अरुण कुमार निगम
आदित्य नगर, दुर्ग (छत्तीसगढ़)
बहुँत बढ़िया गुरुदेव
ReplyDeleteधन्यवाद
Deleteबहुत बढ़िया दोहा गुरुदेव
ReplyDeleteबहुत बढ़िया दोहा गुरुदेव
ReplyDeleteउम्दा दोहा गुरुदेव
ReplyDeleteबहुत सुंदर दोहा गुरुदेव।।
ReplyDeleteबहुत सुंदर दोहा गुरुदेव।।
ReplyDeleteबिकट बढ़िया दोहा गुरुददा
ReplyDeleteलाजवाब दोहावली छंद के सृजन गुरुदेव।सादर प्रणाम
ReplyDeleteलाजवाब दोहावली छंद के सृजन गुरुदेव।सादर प्रणाम
ReplyDeleteलाजवाब दोहा छंद गुरुदेव
ReplyDeleteलाजवाब दोहा छंद गुरुदेव
ReplyDeleteबड़ सुग्घर अनुकरनीय विचारनीय दोहालरी गुरुदेव।
ReplyDelete।।सादर पयलगी।।
ये तो हमर मन बर अनमोल रतन हरे गुरूजी
ReplyDeleteअउ रत्न के पारखी हव आप ये रतन के चमक दुनियाँ भर में बगरे गुरूजी
हमर मन के यही कामना है।
हमर बासी चीला सेवई अँगाकर के महत्तम ल सुग्घर बताय हव गुरुदेव । नवा पीढ़ी ल एल बताना जरूरी हवय । स्वच्छता अभियान के सुग्घर सन्देश दोहा के माध्यम ले ।
ReplyDeleteहमर बासी चीला सेवई अँगाकर के महत्तम ल सुग्घर बताय हव गुरुदेव । नवा पीढ़ी ल एल बताना जरूरी हवय । स्वच्छता अभियान के सुग्घर सन्देश दोहा के माध्यम ले ।
ReplyDeleteजबरदस्त दोहा।
ReplyDeleteगुरुदेव के लेखनी
ReplyDeleteभाव विभोर कर देथे।
अद्वितीय दोहा सृजन।
बहुत सुग्घर दोहावली हे,गुरुदेव
ReplyDeleteसुघ्घर दोहा के सृजन बर बधाई।����������
ReplyDeleteसुघ्घर दोहा के सृजन बर बधाई।����������
ReplyDeleteबहुतेच सुग्घर दोहा गुरुदेव
ReplyDeleteवाह्ह्ह्ह्ह् गुरुदेव एक से बढ़के एक दोहा सुग्घर संदेश
ReplyDeleteलेखनी ला सादर प्रणाम
शानदार दोहावली गुरुदेव
ReplyDeleteबहुत सुंदर दोहा छन्द गुरु
ReplyDeleteदोहा छन्द विधान के सुग्घर जानकारी गुरुदेव
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