श्री दुर्गाशंकर इजारदार के दोहा छन्द
परिचय के दोहा
दुर्गा शंकर नाम हे ,मौहापाली गाँव ,
सड़क तीर जी घर हवय ,महुवा के जी छाँव ।
जिला रायगढ़ में रथँव ,सारंगढ़ तहसील ,
लइका मन के संग सिखँव ,आखर आखर खील ।
कोख नानदाई जनय ,ददा मोर कल्यान ,
दू भाई दू झिन बहिन , छोटे तेमा जान ।
राजकुमारी संग में ,घूमें भाँवर सात ,
सुख दुख में जी संग रहय , रांधय सुग्घर भात।
सुर ताल अऊ राग बिन ,लिखथँव कविता जान ,
गुरु असीस ला पाय के ,सिखत हँवव विधान ।
"मैं" ऊपर दोहा
सुन तँय मँय ला छोड़ दे , बात हमन हे सार ,
जतका मँय हो गिस हवय , जरके ओमन खार ।
मँय अक्षर अभिमान के , माथा पाटी जान ,
टूटे फिर ना जुड़ सकय , सिरतो एला मान ।
मँय के कारन होत हे , भाई दुश्मन जान ,
कहिके हमन देख चलव , मिल जाही भगवान ।
मैं मा जग ला देख लव ,करव मंत्र उच्चार ,
मैं मा तो खुद तीन भुवन , तीन देव अवतार ।
मँय के माया मा बँधे , अपने मा सकलाय ,
मर रोवइया नइ मिलय , मन काबर भरमाय ।
मोर मोर कह तै मरे , कहूँ काम नइ आय ,
मै माया मा मोह बश , राम चरन नइ भाय ।
करनी जइसन तैं करे , भरनी तइसन पाय ,
तैं मैं के जी फेर मा , सकल जीवन बिताय ।
गौरैय्या के दोहा
फुदक फुदक खेलत हवय , नोनी बाबू तीर ,
गौरैय्या हर देख तो , हाथ से छिनय खीर ।
गौरैय्या ला देख के , खेलय ताली मार ,
किलकारी देवत हवय , चाउर आगू डार ।
गौरैय्या फुदकय अगर , खँचवा पानी मान ,
पानी गिरही गा कहय ,बबा सिरतोच जान ।
पानी राखव छत सुनव , दाना दे दव द्वार ,
गौरैय्या ला दव मया , करलव धरम अपार ।
हाट बाजार पर दोहा
भइया ये संसार मा,लगे मया के हाट ,
आनी बानी के चीज हे ,लेवव तुमन छाँट ।
झूठ लबारी भरे हवय ,मया लगे हे हाट,
खाँटी तुमन छाँट धरव,राम नाम के बाट ।
मन में धीरज धर चलव ,मानव कहना बात ,
लाड़ू नोहय हाट के ,खाबे ताते तात ।
धरले झोला हाथ मा, चल जाबो जी हाट ,
टिकली फुँदरी तोर बर ,ले लेबे जी छाँट ।
रचनाकार - दुर्गाशंकर इजारदार
सारंगढ़ (छत्तीसगढ़)
परिचय के दोहा
दुर्गा शंकर नाम हे ,मौहापाली गाँव ,
सड़क तीर जी घर हवय ,महुवा के जी छाँव ।
जिला रायगढ़ में रथँव ,सारंगढ़ तहसील ,
लइका मन के संग सिखँव ,आखर आखर खील ।
कोख नानदाई जनय ,ददा मोर कल्यान ,
दू भाई दू झिन बहिन , छोटे तेमा जान ।
राजकुमारी संग में ,घूमें भाँवर सात ,
सुख दुख में जी संग रहय , रांधय सुग्घर भात।
सुर ताल अऊ राग बिन ,लिखथँव कविता जान ,
गुरु असीस ला पाय के ,सिखत हँवव विधान ।
"मैं" ऊपर दोहा
सुन तँय मँय ला छोड़ दे , बात हमन हे सार ,
जतका मँय हो गिस हवय , जरके ओमन खार ।
मँय अक्षर अभिमान के , माथा पाटी जान ,
टूटे फिर ना जुड़ सकय , सिरतो एला मान ।
मँय के कारन होत हे , भाई दुश्मन जान ,
कहिके हमन देख चलव , मिल जाही भगवान ।
मैं मा जग ला देख लव ,करव मंत्र उच्चार ,
मैं मा तो खुद तीन भुवन , तीन देव अवतार ।
मँय के माया मा बँधे , अपने मा सकलाय ,
मर रोवइया नइ मिलय , मन काबर भरमाय ।
मोर मोर कह तै मरे , कहूँ काम नइ आय ,
मै माया मा मोह बश , राम चरन नइ भाय ।
करनी जइसन तैं करे , भरनी तइसन पाय ,
तैं मैं के जी फेर मा , सकल जीवन बिताय ।
गौरैय्या के दोहा
फुदक फुदक खेलत हवय , नोनी बाबू तीर ,
गौरैय्या हर देख तो , हाथ से छिनय खीर ।
गौरैय्या ला देख के , खेलय ताली मार ,
किलकारी देवत हवय , चाउर आगू डार ।
गौरैय्या फुदकय अगर , खँचवा पानी मान ,
पानी गिरही गा कहय ,बबा सिरतोच जान ।
पानी राखव छत सुनव , दाना दे दव द्वार ,
गौरैय्या ला दव मया , करलव धरम अपार ।
हाट बाजार पर दोहा
भइया ये संसार मा,लगे मया के हाट ,
आनी बानी के चीज हे ,लेवव तुमन छाँट ।
झूठ लबारी भरे हवय ,मया लगे हे हाट,
खाँटी तुमन छाँट धरव,राम नाम के बाट ।
मन में धीरज धर चलव ,मानव कहना बात ,
लाड़ू नोहय हाट के ,खाबे ताते तात ।
धरले झोला हाथ मा, चल जाबो जी हाट ,
टिकली फुँदरी तोर बर ,ले लेबे जी छाँट ।
रचनाकार - दुर्गाशंकर इजारदार
सारंगढ़ (छत्तीसगढ़)
दुर्गाशंकर जी, बहुत सुग्घर दोहावली
ReplyDeleteगुरुदेव सादर प्रणाम ! ए सब आपके आसिरवाद आय !
Deleteदुर्गा भईया बड़ नीक लागिस
ReplyDeleteवाह अहिलेश्वर जी बढ़िया
Deleteअसकरन भाई सादर धन्यवाद
Deleteदुर्गा भईया बड़ नीक लागिस
ReplyDeleteधन्यवाद असकरन भइया
Deleteधन्यवाद असकरन भइया
Deleteदुर्गाशंकर भाई बहुत बढ़िया दोहा
ReplyDeleteधन्यवाद दीदी , सादर प्रणाम
Deleteउत्कृष्ट दोहावली दुर्गा भाई हार्दिक बधई ...!!!
ReplyDeleteधन्यवाद सर जी मया बनाकर रखव
Deleteबहुत अच्छा भैया
ReplyDeleteधन्यवाद प्यारा अनुज
Deleteभावपूर्ण दोहावली । हार्दिक बधाई दुर्गाशंकर जी।
ReplyDeleteधन्यवाद वर्मा भइय मया अउ दुलार बनाए रखव
Deleteबेहतरीन दोहावली सर।सादर बधाई
ReplyDeleteधन्यवाद भइया
Deleteबेहतरीन दोहावली सर।सादर बधाई
ReplyDeleteवाह ईजारदार जी बहुत सुंदर दोहा
ReplyDeleteसादर आभार सर जी ,
Deleteबहुत सुग्घर दोहावली हे,दुर्गाशंकर भैया। बधाई।
ReplyDeleteमोहन भइया सादर आभार सह नमन आदरणीय
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