रोला छंद - श्री सुखन जोगी
(1)
लगगे महिना पूस, करे हे कस के जाड़ा |
कतको कम्बल ओंढ़ , चढ़ा करहीच कबाड़ा ||
लगे निकलगे जान , तभो ले दउड़ै साँसा |
धीरन कटही पूस , सुखन बाँधे हे आसा ||
(2)
जोहत बइठे बाट , कहाँ ले आही राजा |
रानी होय हतास , कहे अब तो तैं आजा ||
हिरनी फांसे जाल , लगे हे डोरी फाँदा |
राजा लेवत सोर , रखे हे खींच लबादा ||
रचनाकार - श्री सुखन जोगी
ग्राम - डोंडकी, पोस्ट - बिल्हा , जिला - बिलासपुर
छत्तीसगढ़
(1)
लगगे महिना पूस, करे हे कस के जाड़ा |
कतको कम्बल ओंढ़ , चढ़ा करहीच कबाड़ा ||
लगे निकलगे जान , तभो ले दउड़ै साँसा |
धीरन कटही पूस , सुखन बाँधे हे आसा ||
(2)
जोहत बइठे बाट , कहाँ ले आही राजा |
रानी होय हतास , कहे अब तो तैं आजा ||
हिरनी फांसे जाल , लगे हे डोरी फाँदा |
राजा लेवत सोर , रखे हे खींच लबादा ||
रचनाकार - श्री सुखन जोगी
ग्राम - डोंडकी, पोस्ट - बिल्हा , जिला - बिलासपुर
छत्तीसगढ़
बहुँत बढ़िया रोला सुखन भईया ग... 🌻🌸🌹💓🌈
ReplyDeleteबहुँत बढ़िया रोला सुखन भईया ग... 🌻🌸🌹💓🌈
ReplyDeleteबहुत सुग्घर रचना सर।सादर बधाई
ReplyDeleteबधाई अतनु जी।सुग्घर रोला हे।
ReplyDeleteदिलीप जी, रोला छन्द, सुखन जोगी जी के आय
Deleteबड़ सुग्घर रचना सर जी
ReplyDeleteबड़ सुग्घर रोला छंद जोगी जी।
ReplyDeleteसुघ्घर रोला सृजन करे हव भाई सुखन
ReplyDeleteबधाई हो
बहुत सुग्घर रोला छंद लिखे हव,सुखन जी। बहुत बहुत बधाई अउ शुभकामना।
ReplyDeleteबधाई सुखन जी ।
ReplyDeleteबधाई सुखन जी ।
ReplyDeleteबधाई हो सुखन जी
ReplyDeleteबड़ सुघ्घर रोला छंद सुखन जोगी जी ।
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