Followers

Tuesday, August 29, 2017

रोला छंद - श्री सुखन जोगी

रोला छंद - श्री सुखन जोगी

(1)

लगगे महिना पूस, करे हे कस के जाड़ा |
कतको कम्बल ओंढ़ , चढ़ा करहीच कबाड़ा ||
लगे निकलगे जान , तभो ले दउड़ै साँसा |
धीरन कटही पूस , सुखन बाँधे हे आसा ||

(2)

जोहत बइठे बाट , कहाँ ले आही राजा |
रानी होय हतास , कहे अब तो तैं आजा ||
हिरनी फांसे जाल , लगे हे डोरी फाँदा |
राजा लेवत सोर , रखे हे खींच लबादा ||


चनाकार - श्री सुखन जोगी
ग्राम - डोंडकी, पोस्ट - बिल्हा , जिला - बिलासपुर 
छत्तीसगढ़

13 comments:

  1. बहुँत बढ़िया रोला सुखन भईया ग... 🌻🌸🌹💓🌈

    ReplyDelete
  2. बहुँत बढ़िया रोला सुखन भईया ग... 🌻🌸🌹💓🌈

    ReplyDelete
  3. बहुत सुग्घर रचना सर।सादर बधाई

    ReplyDelete
  4. बधाई अतनु जी।सुग्घर रोला हे।

    ReplyDelete
    Replies
    1. दिलीप जी, रोला छन्द, सुखन जोगी जी के आय

      Delete
  5. बड़ सुग्घर रचना सर जी

    ReplyDelete
  6. बड़ सुग्घर रोला छंद जोगी जी।

    ReplyDelete
  7. सुघ्घर रोला सृजन करे हव भाई सुखन
    बधाई हो

    ReplyDelete
  8. बहुत सुग्घर रोला छंद लिखे हव,सुखन जी। बहुत बहुत बधाई अउ शुभकामना।

    ReplyDelete
  9. बड़ सुघ्घर रोला छंद सुखन जोगी जी ।

    ReplyDelete