महाभुजंग प्रयात सवैया
1(अर्जी-विनती)
निसेनी चढ़ा दे मया मीत के दाइ अर्जी करौं हाथ ला जोड़ के वो।
बने मोर बैरी जमाना ह माता गिराथे उठाथे जिया तोड़ के वो।
जघा पाँव मा दे रहौं मैं सदा मोह माया सबे चीज ला छोड़ के वो।
रहे तोर आशीश माता पियावौं पियासे ल पानी कुँवा कोड़ के वो।
2(भाजी)
मिले हाट बाजार भाजी बने ना हवौं टोर के लाय मैं खार ले गा।
निमारे बने काँद दूबी सबे ला चिभोरे हवौं मैं नदी धार ले गा।
बनाके रखे हौं कढ़ाई म भाजी चनौरी चरोटा चना दार ले गा।
नहा खोर आ बैठ तैं पालथी मोड़ कौरा उठा भूख ला मार ले गा।
3(मुवाजा)
गली खोर खेती ठिहा मोर चुक्ता नपाके कका कोन दीही मुवाजा।
मुहाँटी बने रोड गाड़ी घरे मा झपागे कका कोन दीही मुवाजा।
धुँवा कारखाना ह बाँटे जियाँ जाँ खपागे कका कोन दीही मुवाजा।
लिलागे खुशी भाग मा दुक्ख पोथी छपागे कका कोन दीही मुवाजा।
4(बेटी के रिस्ता)
ठिहा ना ठिकाना जिहाँ हे न दाना उँहा फोकटे हे ग बेटी बिहाना।
हवे फालतू जे सगा के घराना उँहा फोकटे हे ग बेटी बिहाना।
जिहाँ काखरो हे न आना न जाना उँहा फोकटे हे ग बेटी बिहाना।
जिहाँ ना नहानी जिहाँ ना पखाना उँहा फोकटे हे ग बेटी बिहाना।
5(दुष्ट मनखे)
लगाये मया मीत मा जेन आगी भला का रथे ओखरो लागमानी।
गिराथे ठिकाना ल जे काखरो भी रथे ओखरो तीर का छाँव छानी।
सुखाये नहीं का गला ओखरो रोज जेहा मताथे फरी देख पानी।
करे जे बिगाड़ा गरू फोकटे ओखरो होय छाती दुई ठोक चानी।
6(जमाना)
जिया भीतरी मा हमाये हवे गोठ जुन्ना नवा गा कहाये जमाना।
सजाये सँवारे करे गा दिखावा मया छोड़ माया बहाये जमाना।
करे जेन चोरी चकारी दलाली सदा ओखरे ले लहाये जमाना।
खुले आम रक्सा ह घूमे गली खोर मा थोरको ना सहाये जमाना।
7(दाई)
पहाती पहाती उठे दाइ रोजे करे काम बूता बहारे बटोरे।
मिठाये सबो ला बनाये कलेवा मिठाई भरे कोपरी खूब झोरे।
लगाये फिरे छोट बाबू ल छाती सुनाये ग लोरी मया गीत घोरे।
करौं बंदना आरती रोज पाँवे परौं तैं सहारा बने मात मोरे।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
निसेनी चढ़ा दे मया मीत के दाइ अर्जी करौं हाथ ला जोड़ के वो।
बने मोर बैरी जमाना ह माता गिराथे उठाथे जिया तोड़ के वो।
जघा पाँव मा दे रहौं मैं सदा मोह माया सबे चीज ला छोड़ के वो।
रहे तोर आशीश माता पियावौं पियासे ल पानी कुँवा कोड़ के वो।
2(भाजी)
मिले हाट बाजार भाजी बने ना हवौं टोर के लाय मैं खार ले गा।
निमारे बने काँद दूबी सबे ला चिभोरे हवौं मैं नदी धार ले गा।
बनाके रखे हौं कढ़ाई म भाजी चनौरी चरोटा चना दार ले गा।
नहा खोर आ बैठ तैं पालथी मोड़ कौरा उठा भूख ला मार ले गा।
3(मुवाजा)
गली खोर खेती ठिहा मोर चुक्ता नपाके कका कोन दीही मुवाजा।
मुहाँटी बने रोड गाड़ी घरे मा झपागे कका कोन दीही मुवाजा।
धुँवा कारखाना ह बाँटे जियाँ जाँ खपागे कका कोन दीही मुवाजा।
लिलागे खुशी भाग मा दुक्ख पोथी छपागे कका कोन दीही मुवाजा।
4(बेटी के रिस्ता)
ठिहा ना ठिकाना जिहाँ हे न दाना उँहा फोकटे हे ग बेटी बिहाना।
हवे फालतू जे सगा के घराना उँहा फोकटे हे ग बेटी बिहाना।
जिहाँ काखरो हे न आना न जाना उँहा फोकटे हे ग बेटी बिहाना।
जिहाँ ना नहानी जिहाँ ना पखाना उँहा फोकटे हे ग बेटी बिहाना।
5(दुष्ट मनखे)
लगाये मया मीत मा जेन आगी भला का रथे ओखरो लागमानी।
गिराथे ठिकाना ल जे काखरो भी रथे ओखरो तीर का छाँव छानी।
सुखाये नहीं का गला ओखरो रोज जेहा मताथे फरी देख पानी।
करे जे बिगाड़ा गरू फोकटे ओखरो होय छाती दुई ठोक चानी।
6(जमाना)
जिया भीतरी मा हमाये हवे गोठ जुन्ना नवा गा कहाये जमाना।
सजाये सँवारे करे गा दिखावा मया छोड़ माया बहाये जमाना।
करे जेन चोरी चकारी दलाली सदा ओखरे ले लहाये जमाना।
खुले आम रक्सा ह घूमे गली खोर मा थोरको ना सहाये जमाना।
7(दाई)
पहाती पहाती उठे दाइ रोजे करे काम बूता बहारे बटोरे।
मिठाये सबो ला बनाये कलेवा मिठाई भरे कोपरी खूब झोरे।
लगाये फिरे छोट बाबू ल छाती सुनाये ग लोरी मया गीत घोरे।
करौं बंदना आरती रोज पाँवे परौं तैं सहारा बने मात मोरे।
जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
वाहःहः बहुत सुघ्घर महाभुजंग प्रयात सवैया
ReplyDeleteविषय भी अलग अलग बहुते सुघ्घर
बधाई हो।
बढ़िया जितेंद्र भैया बधाई अउ शुभकामना
ReplyDeleteबढ़िया जितेंद्र भैया बधाई अउ शुभकामना
ReplyDeleteअब्बड़ नीक लागिस सर जी,आपमन ला बधाई
ReplyDeleteअब्ब नीक लागिस सर जी,आपमन ला बधाई
ReplyDeleteमहाभुजंग सवैया अलग अलग विसय के सुघ्घर लिखेहव बधाई हो जितेन्द्र भाई बहुत अकन कोरी करी
ReplyDeleteविविध विषय ल लेके लाजवाब महाभुजंग सवैया सृजन वाह्ह वाह्ह खैरझिटिया जी।बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई,जितेन्द्र। बहुत बढिया लिखे हस।
ReplyDeleteवाह्ह वाह्ह्ह् जितेंद्र जी।लाजवाब अउ विविध विषय मा सारगर्भित महाभुजंग प्रयात सवैया लेखन बर आप ला हार्दिक शुभकामना ।
ReplyDeleteबने छंद मा तँय विषय सब समेटे महूँ पढ़ भुलाएँव समय ला ग भाई।
ReplyDeleteमुवाजा दिलाये बताये जमाना, बिहावैं बताये कहाँ बेटि माई।।
चिखाये बताये रँधाये ग भाजी, जनाये मया जऊन करथे ओ दाई।
कहौं भाई अतके रचे छंद बढ़िय, बधाई बधाई बधाई बधाई।।
बहुत सुंदर भाई जितेंद्र...
मोर बर तो बिन अभ्यास के कठिन लगिस जी..
आपके जवाब नही सर जी
Deleteबहुत सुग्घर भैया ।बधाई अउ शुभकामना।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया भईया जी
ReplyDeleteआप सबो ल सादर प्रणाम,सधन्यवाद
ReplyDeleteवाह्ह्ह् वाह्ह्ह् बहुत सुग्घर सर।सादर बधाई
ReplyDeleteवाह्ह्ह् वाह्ह्ह् बहुत सुग्घर सर।सादर बधाई
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