अपन देस
पुजारी बनौं मैं अपन देस के।
अहं जात भाँखा सबे लेस के।
करौं बंदना नित करौं आरती।
बसे मोर मन मा सदा भारती।
पसर मा धरे फूल अउ हार मा।
दरस बर खड़े मैं हवौं द्वार मा।
बँधाये मया मीत डोरी रहे।
सबो खूँट बगरे अँजोरी रहे।
बसे बस मया हा जिया भीतरी।
रहौं तेल बनके दिया भीतरी।
इहाँ हे सबे झन अलग भेस के।
तभो हे घरो घर बिना बेंस के।
------------------------------------|
चुनर ला करौं रंग धानी सहीं।
सजाके बनावौं ग रानी सहीं।
किसानी करौं अउ सियानी करौं।
अपन देस ला मैं गियानी करौं।
वतन बर मरौं अउ वतन ला गढ़ौ।
करत मात सेवा सदा मैं बढ़ौ।
फिकर नइ करौं अपन क्लेस के।
वतन बर बनौं घोड़वा रेस के---।
रचनाकार - श्री जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
पुजारी बनौं मैं अपन देस के।
अहं जात भाँखा सबे लेस के।
करौं बंदना नित करौं आरती।
बसे मोर मन मा सदा भारती।
पसर मा धरे फूल अउ हार मा।
दरस बर खड़े मैं हवौं द्वार मा।
बँधाये मया मीत डोरी रहे।
सबो खूँट बगरे अँजोरी रहे।
बसे बस मया हा जिया भीतरी।
रहौं तेल बनके दिया भीतरी।
इहाँ हे सबे झन अलग भेस के।
तभो हे घरो घर बिना बेंस के।
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चुनर ला करौं रंग धानी सहीं।
सजाके बनावौं ग रानी सहीं।
किसानी करौं अउ सियानी करौं।
अपन देस ला मैं गियानी करौं।
वतन बर मरौं अउ वतन ला गढ़ौ।
करत मात सेवा सदा मैं बढ़ौ।
फिकर नइ करौं अपन क्लेस के।
वतन बर बनौं घोड़वा रेस के---।
रचनाकार - श्री जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
देश प्रेम के भाव ले सराबोर लाजवाब शक्ति छंद लिखे हव,खैरझिटिया भैया। बधाई अउ शुभकामना।वन्दे मातरम्।
ReplyDeleteवाह क्या बात है जीतेंद्र भाई
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर सृजन हे शक्ति छंद मा अपन देश अपन भाखा के।
ReplyDeleteवाहःहः
बहुत बढिया छंद लिखे हस, जितेंद्र । बहुत बहुत बधाई।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया भईया जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया भईया जी
ReplyDeleteसादर पायलागी,सादर नमन
ReplyDeleteवाह्ह्ह् वाह्ह्ह् सरजी।लाजवाब रचना।सादर बधाई
ReplyDeleteवाह्ह्ह् वाह्ह्ह् सरजी।लाजवाब रचना।सादर बधाई
ReplyDeleteवाह्ह्ह् वाह्ह्ह् सरजी।लाजवाब रचना।सादर बधाई
ReplyDeleteलाजवाब सृजन खैरझिटिया जी।
ReplyDeleteवाह्ह्ह् वाह्ह्ह् जितेंद्र जी।लाजवाब शक्ति छंद।
ReplyDeleteबढ़िया छंद, एक नंबर...सुंदर भाव देश प्रेम के,
ReplyDeleteबधाई भाईईईई....
बहुत बढ़िया छंद जीतेंद्र गुरु
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