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Tuesday, January 30, 2018

रोला छंद - श्री असकरन दास जोगी

बीतत हे इतवार,बाँध डारवँ का डोरी !
ठलहा बइठे यार,देखथे कइसे गोरी !!
भदरे करिया जाड़,वाह रे दाँत निपोरी !
मन मा पूस सवार,करय नयनन मा चोरी !!1!!

सोवँव कथरी साँट,पूस के बात निराली !
लेवँव कलथी मार,रात हे बड़ मतवाली !!
आथे सपना तोर,अरे रानी अलबेली !
झकना के उठ जाँव,देख तोला कजरेली !! 2!!

देखे हमला यार,पूस के रात कनेखी !
लागे तुरते जाड़,करे जोही अनदेखी !!
प्रेमी होगे सार,मया के जाड़ छँटाही !
मोहन करथे रास,संग में रात पहाही !!3!!

मेला मड़ई होय,चलव जाबो देखे ला !
रोला गाबो पोठ,गोठ लागय सोंचे ला !!
समझै हमरो बात,आस हे मन हिरदे में !
खाली हावय जेब,चाट खाबो कइसे में !!4!!

चिंतन करत सजोर,सोंच मन के फल देथे !
करथे करम अँजोर,सफल जिनगी हर होथे !!
बढ़िया चिंतन तोर,वाह का कहना जोही !
सुनले कहना मोर,बात ले जन-जन बोही !!5!!

बोरे बासी खाय,नून हे जेमा डारे !
चटनी चाँटे पोठ,गोठ में आभा मारे !!
थारी लागे सोन,बरत हे चाँदी माली !
हाँसत बइठे जोर,कहे अउ खाहूँ काली !!6!!

नवा साल के फेर,डहर ला सत गढ़बो जी !
आवत जावत भोर,बने कस के बढ़बो जी !!
जोहारत हे धान,देख के कोठी माँथा !
भरके कोठी धान,देत हें बढ़िया हाँथा !!7!!

भरती गाड़ी थाम,चले जी रस्ता रस्ता !
चक्का बाजे जोर,मेहनत लागे सस्ता !!
बोझा बाँधे डोर,धान हे पक्का-पक्का !
बइला रेंगे चाल,उड़त हे हक्का-बक्का !!8!!

आँखी छेरी ताय,दरस के माँगे चारा !
खोजत रइथे रोज,आस में आरा-पारा !!
पुतरी बनगे जीभ,चरत हे रुप के सुकवा !
पागे पीपर पान,पुरस तो हावे रुखवा !!9!!

आव-भाव में ताव,टेटका कस हे नेता !
हाँथ जोड़ के बोट,लेत हे चतुरा बेटा !!
बछर-बछर के बात,फेर तो बदले बानी !
नवा-नवा रे साध,देख ले अब मनमानी !!10!!

अरजे-बरजे बात,काल तो सुरता आही !
जरथे-बरथे रात,काट के संसो खाही !!
बैरी पावत पोल,खोंट के टोरत जाही !
होगे दुनिया खाक,नास ले कोन बँचाही !!11!!

पुतरी पुतरा खेल,आत हे सुरता भारी !
होही कइसे मेल,बोल दे मोला कारी !!
दया-मया के डार,लहर के नाचन लागे !
कइसे मानय चोर,छुछन के तोला माँगे !!12!!

रचनाकार - श्री असकरन दास जोगी
ग्राम-डोंड़की,पो.+तहसील-बिल्हा, जिला-बिलासपुर
छत्तीसगढ़
www.antaskegoth.blogspot.com

27 comments:

  1. बहुत बहुत धन्यवाद गुरुदेव 🌺🌼🌻🌸🌹💓🙏

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  2. शानदार रोला जोगी जी

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  3. वाहःहः बहुत बढ़िया आसकरण भाई

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  4. वाह्हह वाह्ह सर जी।

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  5. भूख मरत हवँ श्याम, कहाँ ले माखन खाबे
    रोवत हावय गाय, शकुन कब गाय चराबे ?
    ललचाए के गोठ, कहाँ हे माखन - हँडिया
    बछरू मरगे भूख, कहाँ हस किसन कन्हैया?

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    1. बहुत बढ़िया दीदी जी... धन्यवाद

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    2. बहुत बढ़िया दीदी जी... धन्यवाद

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  6. Replies
    1. वाह्ह्ह् वाह्ह्ह् सरजी शानदार रचना।सादर बधाई

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    2. वाह्ह्ह् वाह्ह्ह् सरजी शानदार रचना।सादर बधाई

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    3. धन्यवाद ज्ञानु भईया जी

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    4. धन्यवाद ज्ञानु भईया जी

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  7. बहुत सुग्घर रोला छंद भैया। बधाई अउ शुभकामना।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद भईया जी

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    2. बहुत बहुत धन्यवाद भईया जी

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