पुन्नी के चंदा हर,बरय अंजोर ।
नाचत देखय ओला,आज चकोर ।।
करे सिंगार सोला,चंदा आय ।
जेहर देखय ओला,मन ला भाय।।
अमरित लेके चंदा,बरसे आय ।
छानी परवा दाई,खीर मढ़ाय ।।
ओरमे धान बाली,अमरित पाय ।
पुन्नी शरद म सुघ्घर, रात नहाय ।।
भुइयाँ महतारी के ,पाँव पखार ।
आगे बेटी लछमी,घरे हमार ।।
रचनाकार - श्रीमती वसंती वर्मा
बिलासपुर, छत्तीसगढ़
नाचत देखय ओला,आज चकोर ।।
करे सिंगार सोला,चंदा आय ।
जेहर देखय ओला,मन ला भाय।।
अमरित लेके चंदा,बरसे आय ।
छानी परवा दाई,खीर मढ़ाय ।।
ओरमे धान बाली,अमरित पाय ।
पुन्नी शरद म सुघ्घर, रात नहाय ।।
भुइयाँ महतारी के ,पाँव पखार ।
आगे बेटी लछमी,घरे हमार ।।
रचनाकार - श्रीमती वसंती वर्मा
बिलासपुर, छत्तीसगढ़
वाह दीदी बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत सुघ्घऱ दीदी
ReplyDeleteपुन्नी के चंदा के महिमा तोर।
ReplyDeleteपढ़त मोहा गय मन ह दीदी मोर।।
सादर बधाई दीदी....
वाहःहः बहुत बढ़िया दीदी बरवै छंद म पुन्नी चंदा के बखान।
ReplyDeleteआपमन ला गाड़ा गाड़ा बधाई आदरणीया।
ReplyDeleteबहुत सुग्घर रचना हे दीदी। बधाई अउ शुभकामना।
ReplyDeleteबहुत सुग्धर रचना बर आप ल बधाई दीदी
ReplyDeleteलाजवाब रचना दीदी।सादर बधाई
ReplyDeleteलाजवाब रचना दीदी।सादर बधाई
ReplyDeleteसब्बो भाई बहिनी मनला सादर धन्यवाद मोर रचना ला सहराय हव तेकर बर
ReplyDeleteशानदार बरवै चन्द सृजन बर बसंती वर्मा जी ला हार्दिक शुभकामना।
ReplyDeleteबाबा रामदेव के, देख - दुकान
ReplyDeleteचलौ हमूँ बिसातेन, थोरिक धान।
बधाई हो दीदी जी बहुँत बढ़िया
ReplyDeleteबधाई हो दीदी जी बहुँत बढ़िया
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