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Wednesday, January 24, 2018

गीतिका छंद - श्री मोहन लाल वर्मा

सरस्वती-वंदना
     
 (1)-

माँ भवानी शारदा दे,ज्ञान के भंडार ला।
कंठ मा सुर-साज दे दे,छंद के परिवार ला ।।
शब्द सागर बूड़ के हम,रोज करथन साधना।
भक्ति मा अउ शक्ति भर दे,सुन हमर आराधना  । ।

     (2)

आव जिभिया मा बिराजौ,छंद के आगाज़ हे ।
तोर चरणन मा समर्पित,पुष्प साहित आज हे ।।
ये जगत कल्याण खातिर,लेखनी मा धार दे ।
कर सकन नित काव्य सिरजन,माँ भवानी शारदे  ।।

        (3)

हाथ वीणाधारिणी माँ,ज्ञान के परसाद दे ।
कर अलंकृत हम सबो ला,आज आशिर्वाद दे  ।।
काव्य के बरसा करन वो,तोर अँचरा छाँव मा ।
छंद के जुरियाँय साधक,आज पबरित गाँव मा।।

      (4)
तोर किरपा पाय हावन,काव्य-रस के ज्ञान ला।
शब्द-कोठी झन रितावय,दे असल वरदान ला ।।
हे सदा कमलासिनी माँ,सात सुर झँकार  दे ।
देश बर सद्भावना  अउ ,शाँति के  उपहार दे ।।

         
रचनाकार - श्री मोहन लाल वर्मा,
ग्राम-अल्दा,पो.आॅ.-तुलसी (मानपुर),व्हाया-हिरमी,तहसील-तिल्दा,जिला-रायपुर( छत्तीसगढ )
      

22 comments:

  1. जबरदस्त इस्तुति रचे हव वर्मा जी। बधाई हो।

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    1. आप सबो के मया आशीष के प्रतिफल आय ,गुरुदेव।

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  2. वाह्ह्ह् वाह्ह्ह् सरजी बेहतरीन गीतिका छंद मा सृजन।सादर बधाई

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  3. वाह्ह्ह् वाह्ह्ह् सरजी बेहतरीन गीतिका छंद मा सृजन।सादर बधाई

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  4. बहुतेच बढ़िया भैया

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  5. वाहःहः मोहन भाई बहुते सुघ्घर

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  6. पंडवानी गा गजब हे,सीख - देवत गीत हे
    बहुत कन सुग्हर कथा हे,गीत मा संगीत हे।
    सुन हमन खुमरी बनाबो,चलव कोंडा गाँव रे
    अपन खुमरी ला सजाबो,देख सुखके छाँव रे।

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  7. बहुत सुघ्घर सरस्वती वंदना मोहनलाल भाई आपके लेखनी ला नमन्

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  8. बहुत सुग्घर वंदना के छन्द हरे भैया । सिरतोन मा शारदा आपके कंठ म विराजे हे। आपके स्वर म पहली घाव सुन के आपके शब्द के कायल हो गेव

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  9. गुरुदेव के कृपा परसाद ले अइसन रचना लेखन संभव हो सके हे।मँय अलवा जलवा कभू कभार मन परे मा तुकबंदी गीत कविता लिखत रहेंव ।जो कुछ भी लिखे हँव गुरुदेव के महान कृपा दृष्टि हे।गुरुदेव ला सादर प्रणाम। नमन।

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  10. वाह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह् मोहन लाल जी।माँ शारदे ला अर्पित लाजवाब गीतिका बर अशेष बधाई।

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  11. बहुत बढ़िया बधाई सर जी

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  12. बहुत बढ़िया बधाई सर जी

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  13. वाह्ह् अति सुन्दर।

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  14. उम्दा, बहुत ही शानदार...
    बधाई भाई मोहन

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