सरस्वती-वंदना
(1)-
माँ भवानी शारदा दे,ज्ञान के भंडार ला।
कंठ मा सुर-साज दे दे,छंद के परिवार ला ।।
शब्द सागर बूड़ के हम,रोज करथन साधना।
भक्ति मा अउ शक्ति भर दे,सुन हमर आराधना । ।
(2)
आव जिभिया मा बिराजौ,छंद के आगाज़ हे ।
तोर चरणन मा समर्पित,पुष्प साहित आज हे ।।
ये जगत कल्याण खातिर,लेखनी मा धार दे ।
कर सकन नित काव्य सिरजन,माँ भवानी शारदे ।।
(3)
हाथ वीणाधारिणी माँ,ज्ञान के परसाद दे ।
कर अलंकृत हम सबो ला,आज आशिर्वाद दे ।।
काव्य के बरसा करन वो,तोर अँचरा छाँव मा ।
छंद के जुरियाँय साधक,आज पबरित गाँव मा।।
(4)
तोर किरपा पाय हावन,काव्य-रस के ज्ञान ला।
शब्द-कोठी झन रितावय,दे असल वरदान ला ।।
हे सदा कमलासिनी माँ,सात सुर झँकार दे ।
देश बर सद्भावना अउ ,शाँति के उपहार दे ।।
रचनाकार - श्री मोहन लाल वर्मा,
ग्राम-अल्दा,पो.आॅ.-तुलसी (मानपुर),व्हाया-हिरमी,तहसील-तिल्दा,जिला-रायपुर( छत्तीसगढ )
(1)-
माँ भवानी शारदा दे,ज्ञान के भंडार ला।
कंठ मा सुर-साज दे दे,छंद के परिवार ला ।।
शब्द सागर बूड़ के हम,रोज करथन साधना।
भक्ति मा अउ शक्ति भर दे,सुन हमर आराधना । ।
(2)
आव जिभिया मा बिराजौ,छंद के आगाज़ हे ।
तोर चरणन मा समर्पित,पुष्प साहित आज हे ।।
ये जगत कल्याण खातिर,लेखनी मा धार दे ।
कर सकन नित काव्य सिरजन,माँ भवानी शारदे ।।
(3)
हाथ वीणाधारिणी माँ,ज्ञान के परसाद दे ।
कर अलंकृत हम सबो ला,आज आशिर्वाद दे ।।
काव्य के बरसा करन वो,तोर अँचरा छाँव मा ।
छंद के जुरियाँय साधक,आज पबरित गाँव मा।।
(4)
तोर किरपा पाय हावन,काव्य-रस के ज्ञान ला।
शब्द-कोठी झन रितावय,दे असल वरदान ला ।।
हे सदा कमलासिनी माँ,सात सुर झँकार दे ।
देश बर सद्भावना अउ ,शाँति के उपहार दे ।।
रचनाकार - श्री मोहन लाल वर्मा,
ग्राम-अल्दा,पो.आॅ.-तुलसी (मानपुर),व्हाया-हिरमी,तहसील-तिल्दा,जिला-रायपुर( छत्तीसगढ )
जबरदस्त इस्तुति रचे हव वर्मा जी। बधाई हो।
ReplyDeleteआप सबो के मया आशीष के प्रतिफल आय ,गुरुदेव।
Deleteवाह्ह्ह् वाह्ह्ह् सरजी बेहतरीन गीतिका छंद मा सृजन।सादर बधाई
ReplyDeleteआभार भैया जी
Deleteवाह्ह्ह् वाह्ह्ह् सरजी बेहतरीन गीतिका छंद मा सृजन।सादर बधाई
ReplyDeleteआभार भैया जी
Deleteबहुतेच बढ़िया भैया
ReplyDeleteधन्यवाद आदरणीय।
Deleteवाहःहः मोहन भाई बहुते सुघ्घर
ReplyDeleteप्रणाम। आभार।
Deleteपंडवानी गा गजब हे,सीख - देवत गीत हे
ReplyDeleteबहुत कन सुग्हर कथा हे,गीत मा संगीत हे।
सुन हमन खुमरी बनाबो,चलव कोंडा गाँव रे
अपन खुमरी ला सजाबो,देख सुखके छाँव रे।
सादर नमन।
Deleteबहुत सुघ्घर सरस्वती वंदना मोहनलाल भाई आपके लेखनी ला नमन्
ReplyDeleteआप सबो के आशीष हे,दीदी।
Deleteबहुत सुग्घर वंदना के छन्द हरे भैया । सिरतोन मा शारदा आपके कंठ म विराजे हे। आपके स्वर म पहली घाव सुन के आपके शब्द के कायल हो गेव
ReplyDeleteधन्यवाद,भैया जी।
Deleteगुरुदेव के कृपा परसाद ले अइसन रचना लेखन संभव हो सके हे।मँय अलवा जलवा कभू कभार मन परे मा तुकबंदी गीत कविता लिखत रहेंव ।जो कुछ भी लिखे हँव गुरुदेव के महान कृपा दृष्टि हे।गुरुदेव ला सादर प्रणाम। नमन।
ReplyDeleteवाह्ह्ह्ह् वाह्ह्ह्ह् मोहन लाल जी।माँ शारदे ला अर्पित लाजवाब गीतिका बर अशेष बधाई।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया बधाई सर जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया बधाई सर जी
ReplyDeleteवाह्ह् अति सुन्दर।
ReplyDeleteउम्दा, बहुत ही शानदार...
ReplyDeleteबधाई भाई मोहन