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Tuesday, September 17, 2019

सरसी छन्द - श्री जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

जय बाबा विश्वकर्मा (सरसी छंद)

देव दनुज मानव सब पूजै,बन्दै तीनों लोक।
बबा विश्वकर्मा के गुण ला,गावै ताली ठोक।

सतयुग मा जे सरग बनाये,त्रेता लंका सोन।
पुरी द्वारिका हस्तिनापुर के,पार ग पावै कोन।

चक्र बनाये विष्णु देव के,शिव के डमरु त्रिशूल।
यमराजा के काल दंड अउ,करण कान के झूल।

इंद्र देव के बज्र बनाये,पुष्पक दिव्य विमान।
सोना चाँदी मूँगा मोती,देव लोक धन धान।

बादर पानी पवन गढ़े हे,सागर बन पाताल।
रँगे हवे रुख राई फुलवा,डारा पाना छाल।

घाम जाड़ आसाढ़ गढ़े हे,पर्वत नदी पठार।
बीज भात अउ पथरा ढेला,दिये बने आकार।

दिन के गढ़े अँजोरी ला वो,अउ रतिहा अँधियार।
बबा विश्वकर्मा जी सबके,पहिली सिरजनकार।

सबले बड़का कारीगर के,हवै जंयती आज।
अंतस मा बइठार लेव जी,होय सुफल सब काज।

जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को(कोरबा)
भगवान विश्वकर्मा सबके आस पुरावै

4 comments:

  1. सादर पायलागी गुरुदेव

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  2. सरसी छंद म बहुत जबरदस्त रचना भइया जी

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  3. बहुत ही शानदार रचना हे वर्मा जी ।हार्दिक बधाई ।

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