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Monday, September 30, 2019

अमृत ध्वनि छंद-दुर्गा शंकर इजारदार



अमृत ध्वनि छंद-दुर्गा शंकर इजारदार

(1) सत काम

करले तँय सत काम गा,जग मा होही नाम ,
संग करम हा जात हे ,करनी के जी काम ,
करनी के जी ,काम अमर हे ,जग मा सुनले ,
काम करे के ,पहली तँय हर ,थोकन गुनले ,
सत माटी में ,अपन करम के ,झोली भरले ,
नाम रखे बर ,अपन जगत मा,अतके करले ।।

(2)मनखे मनखे एक हे

मनखे मनखे एक हे ,एक खून के रंग ,
जात पाँत के भेद मा ,काबर करथव जंग ,
काबर करथव ,जंग सबो झन, मिलके सोंचव ,
सबो बरोबर ,सार बात हे ,कनिहा खोंचव ,
सब मनखे मा, एक जीव हे ,समझव झन खे ,
हाड़ माँस हा,घलो एक हे ,मनखे मनखे ।।

(3)मन के मैला

तन के मैला धोय तँय ,साबुन मल के जोर ,
मन के मैला देख ले ,रबड़ी माड़े तोर ,
रबड़ी माड़े ,तोर मोर के ,कपट भरे हे ,
जलन भाव मा ,करिया होके ,जरे परे हे ,
गरब भरे हे ,मन मा भारी ,करिया धन के ,
मैला धोले ,आगू मन के ,फिर धो तन के ।

छंदकार -दुर्गा शंकर इजारदार
सारंगढ़ (मौहापाली)

13 comments:

  1. बढ़िया संदेश प्रधान अमृतध्वनि रचे हव इजारदार सर।बधाई हे

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  2. बहुत सुन्दर रचना भैया

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  3. सुंदर अमृत ध्वनि छंद, बधाई हो

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  4. बहुत बढ़िया रचना
    बहुत बहुत बधाई हो गुरुजी

    माटी

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  5. अति सुन्दर गुरुदेव जी सादर नमन

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  6. बहुत सुग्घर छंद रचे हव आपमन आदरेय

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  7. बड़ सुग्घर रचना भैय्या जी
    गाड़ा गाड़ा बधाई हे

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  8. सुघ्घर रचना भैया जी

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  9. अब्बड़ सुघ्घर गुरु बबा

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  10. बहुत सुग्घर भैया

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  11. बहुत शानदार सर

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  12. बहुत सुग्घर छन्द के सिरजन गुरूवर

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