अमृत ध्वनि छंद-श्री सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
(1)
रोवत हे माँ भारती,देख गाँव घर लोग।
लगे मनुज के माथ मा,जात-पात के रोग।
जात-पात के,रोग पछेड़े,घर अउ बन ला।
खास बड़न ला,उज्जर तन ला,अघुवा मन ला।
लोभनीति हा,जातिवाद ला,उलहोवत हे।
ये सब देखत,समय सरेखत,माँ रोवत हे।
(2)
पतरा-पोथी हा कथे,एकम लगत कुँवार।
मान-गउन ला पाय बर,पितर पधारे द्वार।
पितर पधारे,द्वार ओरिया,मा निज घर के।
भर भर थारी,बरा सुँहारी,रोज पितर के।
बने पाख भर,होम नमन कर,आरुग सथरा।
ते पाछू घर,शुद्ध उजिर कर,कहिथे पतरा।
(3)
ले पावत हँव पाव भर,मोर मयारू प्याज।
अस्सी रुपिया पर किलो,तोर भाव हे आज।
तोर भाव हे,आज बने अस,पर के घर मा।
पर बेचे हँव,चार किलो मँय,कोरी भर मा।
चार महीना,गार पसीना,उपजावत हँव।
झन आँसू धर,प्याज पाव भर,ले पावत हँव।
रचना-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़
(1)
रोवत हे माँ भारती,देख गाँव घर लोग।
लगे मनुज के माथ मा,जात-पात के रोग।
जात-पात के,रोग पछेड़े,घर अउ बन ला।
खास बड़न ला,उज्जर तन ला,अघुवा मन ला।
लोभनीति हा,जातिवाद ला,उलहोवत हे।
ये सब देखत,समय सरेखत,माँ रोवत हे।
(2)
पतरा-पोथी हा कथे,एकम लगत कुँवार।
मान-गउन ला पाय बर,पितर पधारे द्वार।
पितर पधारे,द्वार ओरिया,मा निज घर के।
भर भर थारी,बरा सुँहारी,रोज पितर के।
बने पाख भर,होम नमन कर,आरुग सथरा।
ते पाछू घर,शुद्ध उजिर कर,कहिथे पतरा।
(3)
ले पावत हँव पाव भर,मोर मयारू प्याज।
अस्सी रुपिया पर किलो,तोर भाव हे आज।
तोर भाव हे,आज बने अस,पर के घर मा।
पर बेचे हँव,चार किलो मँय,कोरी भर मा।
चार महीना,गार पसीना,उपजावत हँव।
झन आँसू धर,प्याज पाव भर,ले पावत हँव।
रचना-सुखदेव सिंह अहिलेश्वर
गोरखपुर कबीरधाम छत्तीसगढ़
सादर आभार छंद खजाना।प्रणाम गुरुदेव छंदविद् अरूण कुमार निगम जी
ReplyDeleteसुन्दर छन्द संग्रह गुरुदेव जी सादर नमन
ReplyDeleteअद्भुत सृजन सर जी हार्दिक बधाई
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सर
Deleteबहुत शानदा रचना लेखन की बधाई
ReplyDeleteसादर धन्यवाद
Deleteसुग्घर छंद बधाई हो गुरुदेव
ReplyDeleteसादर धन्यवाद
Deleteध्वनि अमृत ए छंद के, करत पान सानंद।
ReplyDeleteअद्भत रचना हे तुँहर, साहित के मकरंद।।
बहुत बहुत बधाई भाई
आभार बड़े भैया।आशीष बनाय रखहू
Deleteबड़ सुग्घर रचना
ReplyDeleteभईया जी
सादर धन्यवाद भाई जी
Deleteबहुत सुग्घर छंद लिखे हव गुरुदेव, बहुत बधाई
ReplyDeleteसादर धन्यवाद श्लेष जी
Deleteसमय ला सरेखत सुग्घर अमृतध्वनि छंद अहिलेश्वर जी, बधाई
ReplyDeleteसादर धन्यवाद पोखन भाई
Deleteशानदार सृजन सुखदेव भाई,,
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सर
Deleteवाह ।बहुत सुग्घर अमृत ध्वनि छंद के सृजन करे हव, अहिलेश्वर जी ।हार्दिक बधाई अउ शुभकामना ।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद वर्मा जी
Deleteबेहतरीन सृजन आदरणीय, बहुत बहुत बधाई आप ला।
ReplyDeleteसादर धन्यवाद सिन्हा जी
Deleteउम्दा सृजन
ReplyDeleteसादर धन्यवाद खैरझिटिया सर
Deleteवाह्ह्ह वाह्ह्ह सर जी
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