अमृत ध्वनि छंद - श्री कौशल कुमार साहू
(1 ) नेता
नेता मन के हे मजा, जेकर हे सरकार।
गोल्लर कस ढिल्ला चरैं, चौपट खेती खार।।
चौपट खेती, खार देश के, कोठी उन्ना।
जनता रोवय, भूख मरे घर, कुरिया सुन्ना।
पइसा चंदा, खूब सकेले, सब गररेता।
काजू किसमिस, रोज झड़कथें, बनके नेता।।
(2) नारी
नारी घर परिवार के, करथे जम्मो काम ।
चिक्कन चाँदन घर लगे, सरग बरोबर धाम ।।
सरग बरोबर, धाम बनाथे, घर सिरजाथे ।
बन महतारी, पालन हारी, भाग जगाथे ।
फूल खिलाथे, बड़ ममहाथे, अँगना बारी ।
खूब निभाथे, जिम्मेदारी, घर मा नारी ।
(3) महतारी
महतारी के हे मया, दुनिया मा अनमोल ।
मिलै नहीं खोजे कहूँ, मीठा मीठा बोल ।।
मीठा मीठा, बोल लगे जस, गुरतुर केरा ।
खेत खार घर, बूता करथे, जम्मो बेरा ।
रोवत लइका, मुसकी मारे, अउ किलकारी।
अपने मुँह के, कौंरा बाँटय, जब महतारी ।
(4) हरि भजन
जाना हे सब छोड़ के, दुनिया ले सिरतोन।
धन दौलत जावय नहीं, ना चाँदी ना सोन।।
ना चाँदी ना, सोन खजाना, एको आना।
सबो बिराना, करम ठठाना, रोना गाना।
सुक्खा पाना, झर जर जाना, राख समाना।
हरि ला गाना, का पछताना, सब ला जाना।
छंदकार - श्री कौशल कुमार साहू
गांव :- सुहेला (फरहदा )
जिला - बलौदाबाजार - भाटापारा (छत्तीसगढ़)
सुग्घर छंद सर जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया छंद
ReplyDeleteबहुत बढ़िया छंद भैया जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना भइया जी
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना भैया
ReplyDeleteछंद खजाना मा मोर अलवा जलवा अमृत ध्वनि छंद ला सुग्घर स्थान देय बर परम पूज्य आदरणीय गुरुदेव अऊ गुरु जी जितेन्द्र "खैरझीटिया" जी ला सादर प्रणाम अउ आभार।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया।
ReplyDeleteवाह, गजब सुग्घर सृजन साहू भैया ।हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteवाहहह!बहुतेच बढ़िया अमृतध्वनि के सृजन करे हव फरहदिया सर।बधाई हे
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