*किशना से गोहार*
*गीतिका छंद*
हे कन्हैया आ जगत मा ,देख बाढ़े पाप हे।
बाढ़गे अतका सुवारथ ,छल अहम के ताप हे।।
लोभ के रद्दा धरे जग, मन मया ला छोड़ के।
बीच घर द्वारी रुंधागे , नेंव इरखा कोड़ के।।
देश दुनिया राज सत्ता , सब महाभारत करें।
धर्मराजा हे कलेचुप , जेब अँधवा मन भरें।।
आ किशन विनती विनत हव, प्रेम के अवतार धर।
फेर जग मा सुख बसा दे , शांति सुम्मत ला सुघर।।
हे किशन तोरे जरूरत , आज जग ला अउ हवै।
नइ दिखे गोपाल कोनो,बिन गुवाला गउ हवै।
नाम के बस गोधूलि हे , आय पथरा राज हे।
लागमानी गोत नाता , मूल के बिन ब्याज हे।।
आशा देशमुख
एनटीपीसी कोरबा
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