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Saturday, October 16, 2021

किशना से गोहार* *गीतिका छंद*

 *किशना से गोहार*


*गीतिका छंद*


हे कन्हैया आ जगत मा ,देख बाढ़े पाप हे।

बाढ़गे अतका सुवारथ ,छल अहम के ताप हे।।

लोभ के रद्दा धरे जग, मन मया ला छोड़ के।

बीच घर द्वारी रुंधागे , नेंव इरखा कोड़ के।।


देश दुनिया राज सत्ता , सब महाभारत करें।

धर्मराजा हे कलेचुप , जेब अँधवा मन भरें।।

आ किशन विनती विनत हव, प्रेम के अवतार धर।

फेर जग मा सुख बसा दे , शांति सुम्मत ला सुघर।।


हे किशन तोरे जरूरत , आज जग ला अउ  हवै।

नइ दिखे गोपाल कोनो,बिन गुवाला गउ हवै।

नाम के बस गोधूलि हे , आय पथरा राज हे।

लागमानी गोत नाता , मूल के बिन ब्याज हे।।


आशा देशमुख

एनटीपीसी कोरबा

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