आभार सवैया
पानी बिना हे पियासे चिरैया दया जीव राखौ बचा जिन्दगानी ल ।
भाँड़ी मुहाँटी तरी रूख राई कुडे़रा सकोरा मढा़देव पानी ल।
मैना परेवा सुवा रोज आही दुवारी गुँजाही सुना मीठ बानी ल।
दाना चुगे बूँद पानी पिये जे कहाँ माँगथे लोभ मा राजधानी ल ।।
शशि साहू कोरबा
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