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Saturday, October 16, 2021

दोहा-मनोज वर्मा

 दोहा-मनोज वर्मा

एक समसामयिक दुखद घटना

घटना पत्थल गॉंव के, अंतस दे झकझोर।

राजनीति मा हे मगन, नेता जम्मो चोर।।


रोटी सेंकत लाश मा, कुकुर भेड़िया गिद्ध।

करत बयानी गोठ हर, मनसा इॅंखर सिद्ध।।


घर के लाठी टूट गे, उजरे मॉंघ सिॅंदूर।

दिही आसरा कोन हर, होय जीवरा चूर।।



बोली लगगे लाश मा, खूब मचाये शोर।

राजनीति मा हे मगन, नेता जम्मो चोर।।


हाल का परिवार के, नइ हे मतलब मान।

बने हितैषी बोट बर, मुर्दा खोर महान।।


नजर लगाये गिद्ध कस, ताकत रहिथे रोज।

जाति धरम अउ हादसा, पेट भरे निज खोज।।


जुॅंहा जोंख किन्नी बने, लहु चुहके मुह बोर।

राजनीति मा हे मगन, नेता जम्मो चोर।।

घटना पत्थल गॉंव के, अंतस दे झकझोर।


मनोज कुमार वर्मा

बरदा लवन बलौदा बाजार

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