विश्व पशुधन दिवस पर छंदबद्ध रचनायें
: हरिगीतिका छंद - बोधन राम निषादराज
(गौ माता)
सेवा करौ जी गाय के, माता बरोबर मान के।
गोरस भरे अमरित सहीं,पी लौ सबो जी जान के।।
झन खोर मा ढिल्ला करौ,कोठा रखौ चतवार के।
पूजा करौ दुनों जुवर,सब रोज दीया बार के।।
खा हौ सबो घी दूध अउ,माखन दही उगलात ले।
गोबर अबड़ उपयोग के,झन फेंकिहौ लतियात ले।।
छेना बनाके बार लौ, जेवन चुरोलव रोज के।
खातू बने बनथे इही,सब खेत डारौ खोज के।।
बछवा मिलै गौ मातु ले,नाँगर जुँड़ा बोहाय जी।
बछिया मिलै लक्ष्मी सहीं,घर अन्न ले भर जाय जी।।
ये बिन मुँहूँ के जीव जी,अपने सहीं सब जान लौ।
अउ देवता देवी सबो,गौ मातु मा पहिचान लौ।।
छंदकार:-
बोधन राम निषादराज"विनायक"
सहसपुर लोहारा,जिला-कबीरधाम(छ.ग.)
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आशा देशमुख: विश्व पशु दिवस मा मोर रचना
सरसी छंद -
कँगला हो जाही भैया हो , पशु धन बिन संसार।
एक दुसर बिन सबो अधूरा , गाँव देश परिवार।। 1
मनखे मन हा करय तरक्की , आगे हवय मशीन।
नकली चकली दूध दही ला ,कहत हवय प्रोटीन।2
गाय गरू बर कोठा नइहे ,बनत हवय अब फ्लैट।
कहाँ जाय अब बछरू पठरू ,घर में डॉगी कैट।।3
घर मे एको गइया नइहे ,करय दूध व्यवसाय।
पाकिट मा सब माल बिकत हे ,शुद्ध जिनिस मइलाय।।4
गरवा मन सब छेल्ला घूमय , कोनो नहीं हियाय।
अइसन करनी देख देख के,कलजुग तको लजाय।5
बिन मुँह के धन बर अब तो जी ,देवव थोकिन ध्यान।
पशु मन के पीरा ला समझव , राखव बन मैदान।।6
पशु पालन भी बहुत जरूरी , मनखे के हे मीत।
परब रीत सब बने हवय जी ,गाथे इंखर गीत।7
खेती बारी के सहयोगी , आवक के आधार।
दूध दही घी शुद्ध मिले हे , स्वस्थ रहय परिवार।।8
छेरी पठरू भेड़ी पालन , रोजगार मा आय।
सूरा कुकरी चिरई चुरगुन , यहु मन धन बरसाय।।9
रोजगार के जरिया बनगे , मन से करव कमाव।
पशुपालन के सीख तरीका , जिनगी ला चमकाव।10
प्रकृति बनावय सबो जिनिस ला ,सबो चीज के मान।
पशु मन बर अब बनत हवय जी ,चरागाह गोठान।।11
आशा देशमुख
एनटीपीसी जमनीपाली कोरबा
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विजेन्द्र वर्मा: गीतिका छंद
आज गोधन ला बचाके,नेक करले काम जी।
तोर पीढ़ी जेन आही,तेन जपही नाम जी।।
कान सब झन खोल के अब,बात ला सुन मान लौ।
गाय गरुवा ला तुमन तो,भाग्य लक्ष्मी जान लौ।।
विजेन्द्र वर्मा
नगरगाँव(धरसीवाँ)
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: *छप्पय छंद*
*विषय-पशुधन*
पशुधन के बड़ लाभ, दूध अउ खातू अंडा।
मिलथे सब ला काम, दवा अउ गोबर कंडा।।
छेरी कुकुरी गाय, भइस ला पालन करलौ।
अनुज कहत हे गोठ, आज ले मन मा धरलौ।।
झन छोड़व पशुधन ला तुमन, जिनगी के आधार हे।
सब झन पशुपालन ला करौ, पशु धन ले संसार हे।।
*अनुज छत्तीसगढ़िया*
*पाली जिला कोरबा*
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: सार छंद- विश्व पशु दिवस
मनखे के जिनगी हावय गा, पशु के बिना अधूरा।
जुरमिल के बचाव एला तब, बूता होही पूरा।।
दूध दही अउ घीव पायबर, एखर सकला करबो।
दस दस हाथी के ताकत तब, अपन भुजा मा भरबो।।
मनखे के जिनगी मा हावय, पशु के महिमा भारी।
बइला भँइसा, घोड़ा हाथी, पुरखा के सँगवारी।।
गदहा घोड़ा सबो जीव ला, हमला बचाय परही।
बिना गाय के पूछी पकड़े, चोला कइसे तरही।।
गाय गरू अउ कुकुर बिलाई, घर अँगना मा रहिथे।
मनखे के कतको बाधा ला, अपन उपर गा सहिथे।।
पर्यावरण बचाए खातिर, इँखर रक्षा जरुरी।
प्रकृति ला सम बनाय खातिर, एमन हावय धूरी।।
पहिली भगवान घलो मन हा, पशु रुप मा आइन।
मछरी बरहा नरसिग बनके, नर लीला देखाइन।।
हीरालाल गुरुजी "समय"
छुरा, जिला-गरियाबंद
विश्व पशु दिवस के अवसर मा सुग्घर छंदबद्ध रचना
ReplyDeleteसुन्दर संकलन
ReplyDeleteसुग्घर संकलन
ReplyDeleteसुग्घर संकलन
ReplyDeleteवाह!! बड़ सुग्घर रचना 👌👌
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