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Tuesday, May 23, 2023

सेहत(चौपाई छंद)- जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

 विश्व स्वास्थ्य दिवस के आप सबो ला सादर बधाई


सेहत(चौपाई छंद)- जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"


*आफत तन में आय जब, मन कइसे सुख पाय*

*तन मन तनतन होय तब, माया मोह सुहाय*


हाड़ माँस के तैं काया धर।

हाय हाय झन कर माया बर।

सब बिरथा काया के सुख बिन।

जतन बदन के करले निस दिन।


तन खेलौना हाड़ माँस के।

जे चाबी मा चले साँस के।

जी ले जिनगी हाँस हाँस के।

दुःख दरद डर धाँस धाँस के।


पी ले पानी खेवन खेवन।

समै समै मा खाले जेवन।

समै मा सुत जा समै मा जग जा।

भोजन बने करे मा लग जा।


झन होवय कमती अउ जादा।

कोशिस कर होवय नित सादा।

गरम गरम खा ताजा ताजा।

बजही तभे खुशी के बाजा।


देख रेख कर सबे अंग के।

हरे सिपाही सबे जंग के।

हरा भरा रख तन फुलवारी।

तैं माली अउ तैं गिरधारी।


योग ध्यान हे तन बर बढ़िया।

गतर चला बन छत्तीसगढ़िया।

तन के कसरत हवै जरूरी।

चुस्ती फुर्ती सुख के धूरी।


चलुक चढा झन नसा पान के।

ये सब दुश्मन जिया जान के।

गरब गुमान लोभ अउ लत हा।

करथे तन अउ मन ला खतहा।


मूंगा मोती कहाँ सुहावै।

जब काया मा दरद हमावै।

तन तकलीफ उहाँ बस दुख हे।

तन के सुख तब मनके सुख हे।


जतन रतन कस अपन बदन ला।

सजा सँवार सदन कस तन ला।

तन मशीन बरोबर ताये।

जे नइ माने ते दुख पाये।


तन के तार जुड़े हे मन ले।

का का करथस तन बर गन ले।

जुगत बनाले सुख पाये बर।

आलस तन के दुरिहाये बर।


तन हे चंगा तब मन चंगा।

रहे कठौती मा तब गंगा।

कारज कर झन बने लफंगा।

बने बुता बर बन बजरंगा।।


*सेहत ए सुख साधना, सेहत गरब गुमान*

*सेहत ला सिरजाय जे,उही गुणी इंसान*


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)


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काया काली बर- सार छन्द


जिबे आज ला जब तैं बढ़िया, तब तो रहिबे काली।

सेहत सबले बड़का धन ए, धन दौलत धन जाली।।


काली बर धन जोड़त रहिथस, आज पेट कर उन्ना।

संसो फिकर करत रहिबे ता, काल झुलाही झुन्ना।।

तन अउ मन हा हावय चंगा, ता होली दीवाली।

जिबे आज ला जब तैं बढ़िया, तब तो रहिबे काली।।


खाय पिये अउ सुते उठे के, होय बने दिनचरिया।

काया काली बर रखना हे, ता रख तन मन हरिया।

फरी फरी पी पुरवा पानी, देख सुरुज के लाली।

जिबे आज ला जब तैं बढ़िया, तब तो रहिबे काली।।


हफर हफर के हाड़ा टोड़े, जोड़े कौड़ी काँसा।

जब खाये के पारी आइस, अटके लागिस स्वाँसा।।

उपरे उपर उड़ा झन फोकट, जड़ हे ता हे डाली।

जिबे आज ला जब तैं बढ़िया, तब तो रहिबे काली।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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