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Tuesday, May 23, 2023

गीत-चिरई बर पानी

 गीत-चिरई बर पानी


चिरई बर मढ़ाबों चल, नाँदी मा पानी।

गरमी के बेरा आगे, तड़पे जीव परानी।।


जरत हवय चटचट भुइँया, हवा तात तात हे।

मनखे बर हे कूलर पंखा, जीव जंतु लरघात हे।।

रुख राई के जघा बनगे, हमर छत छानी।

चिरई बर मढ़ाबों चल, नाँदी मा पानी।।


बिहना आथे चिंवचिंव गाथे, रोथे मँझनी बेरा।

प्यास मा मर खप जाथे, संझा जाय का डेरा।।

काल बनगे जीव जंतु बर, हमर मनमानी।

चिरई बर मढ़ाबों चल, नाँदी मा पानी।।


दू बूँद पानी माँगे, दू बीजा दाना।

पेड़ पात बीच रहिथे, बनाके ठिकाना।।

चिरई बिन कहानी कइसे, कही दादी नानी।

चिरई बर मढ़ाबों चल, नाँदी मा पानी।।


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को,कोरबा(छग)

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