रोला छंद - अशोक धीवर "जलक्षत्री"
दारू झन पी यार, फेर पाछू पछताबे।
जिनगी के दिन चार, कहाँ तँय येला पाबे।।
माँसाहार तियाग, तहाँ ले जिनगी बड़ही।
सुख पाबे भरमार, इही हा मंगल करही।।
होत पलायन रोक, जाय झन कोनो बाहिर।
सब ला इहें सरेख, सबोझन हावय माहिर।।
इहें करँय सब काम, भले दू पइसा पावँय।
सुखी रहे परिवार, संग मा पीवँय खावँय।।
चिंता हे बेकार, करव झन फोकट भारी।
सब ला इही सताय, इही जड़ हे बीमारी।।
एला जउन भगाय, उही हा सब ले सुखिया।
कर ले सब ले प्रेम, नहीं ते बनबे दुखिया।।
छंदकार - अशोक धीवर "जलक्षत्री"
ग्राम - तुलसी (तिल्दा नेवरा)
जिला - रायपुर (छत्तीसगढ़)
सचलभास क्र. - ९३००७१६७४०
दारू झन पी यार, फेर पाछू पछताबे।
जिनगी के दिन चार, कहाँ तँय येला पाबे।।
माँसाहार तियाग, तहाँ ले जिनगी बड़ही।
सुख पाबे भरमार, इही हा मंगल करही।।
होत पलायन रोक, जाय झन कोनो बाहिर।
सब ला इहें सरेख, सबोझन हावय माहिर।।
इहें करँय सब काम, भले दू पइसा पावँय।
सुखी रहे परिवार, संग मा पीवँय खावँय।।
चिंता हे बेकार, करव झन फोकट भारी।
सब ला इही सताय, इही जड़ हे बीमारी।।
एला जउन भगाय, उही हा सब ले सुखिया।
कर ले सब ले प्रेम, नहीं ते बनबे दुखिया।।
छंदकार - अशोक धीवर "जलक्षत्री"
ग्राम - तुलसी (तिल्दा नेवरा)
जिला - रायपुर (छत्तीसगढ़)
सचलभास क्र. - ९३००७१६७४०
उम्दा 💐💐
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणी
Deleteसुग्घर संदेशपरक रोला छंद हे,बधाई हो
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय
Deleteबहुत सुंदर सृजन बधाउ
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय
Deleteबहुत सुग्घर अशोक जी बधाई हो
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय
ReplyDeleteगुरुदेव श्री निगम जी ल सादर प्रणाम
ReplyDeleteगुरु जी जितेन्द्र वर्मा खैरझिटिया जी ल बहुत बहुत धन्यवाद जेकर द्वारा ये संभव होवत हे
ReplyDeleteजोरदार सृजन, बधाई
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