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Thursday, April 30, 2020

*रोला छंद-आशा देशमुख*

*रोला छंद-आशा देशमुख*

राखव मया दुलार,होय झन जिनगी खारा।
रटव मंत्र बस एक,निभावव भाई चारा।
पावव जग मा मान, बोल के गुत्तुर बोली।
सुघ्घर नाम कमाव,मया के भरलव झोली।


कोरोना हे नाम,आय हावय बीमारी।
मरय हज़ारो लोग,तबाही हे बड़ भारी।
बइठे जग चुपचाप,जीव ला कहाँ लुकावय।
ये बैरी ले आज,जगत ला कोन बचावय।


आये जब बरसात,बीज ला बोना होथे।
बइठे समे बिताय,कोढ़िया मन फिर रोथे।
समय अबड़ अनमोल,मोल सब येखर करलव।
जिनगी मा दिन रात,अपन सुख बोरी भरलव।

नस नस ख़ुशी समाय, सृजन नइ होवत हावय।
मिले छंद आनन्द ,भुलाये नइ तो जावय।
जिंहा छंद परिवार ,मया के डोरी आँटय।
गुरुकुल के आधार,सबो सुख दुख मिल बाँटय।


आशा देशमुख

11 comments:

  1. बहुत सुग्घर रोला छंद दीदी जी।

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  2. बहुतेच सुग्घर समसामायिक रोला छंद दीदी जी।

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  3. गज़ब सुग्घर रचना दीदी

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  4. बड़ सुग्घर रोला छंद

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  5. सादर आभार गुरुदेव

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  6. सत्य कथन दीदी

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  7. सुग्घर सृजन दीदी बधाई👍👌👏💐

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  8. सुग्घर सृजन बहिनी

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  9. बहुत सुघ्घर कोरोना बर समसामयिक रोला छंद।

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  10. बहुत सुघ्घर समसामयिक रोला छंद बहन। बधाई

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