*रोला छंद-आशा देशमुख*
राखव मया दुलार,होय झन जिनगी खारा।
रटव मंत्र बस एक,निभावव भाई चारा।
पावव जग मा मान, बोल के गुत्तुर बोली।
सुघ्घर नाम कमाव,मया के भरलव झोली।
कोरोना हे नाम,आय हावय बीमारी।
मरय हज़ारो लोग,तबाही हे बड़ भारी।
बइठे जग चुपचाप,जीव ला कहाँ लुकावय।
ये बैरी ले आज,जगत ला कोन बचावय।
आये जब बरसात,बीज ला बोना होथे।
बइठे समे बिताय,कोढ़िया मन फिर रोथे।
समय अबड़ अनमोल,मोल सब येखर करलव।
जिनगी मा दिन रात,अपन सुख बोरी भरलव।
नस नस ख़ुशी समाय, सृजन नइ होवत हावय।
मिले छंद आनन्द ,भुलाये नइ तो जावय।
जिंहा छंद परिवार ,मया के डोरी आँटय।
गुरुकुल के आधार,सबो सुख दुख मिल बाँटय।
आशा देशमुख
राखव मया दुलार,होय झन जिनगी खारा।
रटव मंत्र बस एक,निभावव भाई चारा।
पावव जग मा मान, बोल के गुत्तुर बोली।
सुघ्घर नाम कमाव,मया के भरलव झोली।
कोरोना हे नाम,आय हावय बीमारी।
मरय हज़ारो लोग,तबाही हे बड़ भारी।
बइठे जग चुपचाप,जीव ला कहाँ लुकावय।
ये बैरी ले आज,जगत ला कोन बचावय।
आये जब बरसात,बीज ला बोना होथे।
बइठे समे बिताय,कोढ़िया मन फिर रोथे।
समय अबड़ अनमोल,मोल सब येखर करलव।
जिनगी मा दिन रात,अपन सुख बोरी भरलव।
नस नस ख़ुशी समाय, सृजन नइ होवत हावय।
मिले छंद आनन्द ,भुलाये नइ तो जावय।
जिंहा छंद परिवार ,मया के डोरी आँटय।
गुरुकुल के आधार,सबो सुख दुख मिल बाँटय।
आशा देशमुख
बहुत सुग्घर रोला छंद दीदी जी।
ReplyDeleteबहुतेच सुग्घर समसामायिक रोला छंद दीदी जी।
ReplyDeleteगज़ब सुग्घर रचना दीदी
ReplyDeleteबड़ सुग्घर रोला छंद
ReplyDeleteसादर आभार गुरुदेव
ReplyDeleteसत्य कथन दीदी
ReplyDeleteसुग्घर सृजन दीदी बधाई👍👌👏💐
ReplyDeleteसुग्घर सृजन बहिनी
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर कोरोना बर समसामयिक रोला छंद।
ReplyDeleteबहुत सुघ्घर समसामयिक रोला छंद बहन। बधाई
ReplyDeleteबड़ सुग्घर सृजन
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